ईडी ने धनशोधन मामले में आईआरएस अधिकारी को गिरफ्तार किया
प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को कहा कि सीमा शुल्क और जीएसटी के अतिरिक्त आयुक्त के रूप में कार्यरत 2008 बैच के एक आईआरएस अधिकारी को कथित तौर पर आय से अधिक संपत्ति रखने से जुड़े धनशोधन मामले की जांच के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया है।
मुंबई: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने बुधवार को कहा कि सीमा शुल्क और जीएसटी के अतिरिक्त आयुक्त के रूप में कार्यरत 2008 बैच के एक आईआरएस अधिकारी को कथित तौर पर आय से अधिक संपत्ति रखने से जुड़े धनशोधन मामले की जांच के सिलसिले में गिरफ्तार किया गया है।
सचिन बालासाहेब सावंत पूर्व में संघीय एजेंसी के साथ उसके मुंबई क्षेत्रीय कार्यालय में एक उप निदेशक के तौर पर काम कर चुके हैं। ईडी द्वारा अधिकारी के मुंबई स्थित परिसरों और कुछ अन्य जगहों पर मंगलवार को छापेमारी के बाद सावंत को धनशोधन रोकथाम अधिनियम (पीएमएलए) के प्रावधानों के तहत हिरासत में ले लिया गया।
एजेंसी ने एक बयान में कहा कि अधिकारी को यहां एक विशेष पीएमएलए अदालत में पेश किया गया, जिसने उन्हें 5 जुलाई तक ईडी की हिरासत में भेज दिया।
सूत्रों के अनुसार, अधिकारी लखनऊ में सीमा शुल्क और जीएसटी निदेशालय में तैनात हैं। वह सीमा शुल्क और अप्रत्यक्ष कर कैडर के भारतीय राजस्व सेवा (आईआरएस) अधिकारी हैं। सावंत ने 2017 से 2019 के बीच ईडी के मुंबई क्षेत्रीय कार्यालय में भी काम किया है।
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अधिकारी के खिलाफ धनशोधन का मामला आय से अधिक संपत्ति होने के आरोप में केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) द्वारा जून 2022 में दर्ज एक प्राथमिकी पर आधारित है।
ईडी ने कहा कि सावंत ने ‘‘अपनी आय के ज्ञात और कानूनी स्रोतों से अधिक संपत्ति अर्जित की और जांच में पाया गया कि परिवार के सदस्यों के निजी बैंक खातों और उस डमी कंपनी के बैंक खाते में अज्ञात स्रोतों से लगभग 1.25 करोड़ रुपये की नकदी जमा की गई जिसमें उनके पिता एवं एक अन्य रिश्तेदार निदेशक हैं।’’
एजेंसी ने आरोप लगाया कि यह पाया गया है कि उक्त डमी कंपनी के नाम पर अचल संपत्ति खरीदी गई थी और उक्त संपत्ति की खरीद का स्रोत व्यक्तिगत ऋण और अन्य बैंक ऋण के तौर पर दिखाया गया, जिसका पुनर्भुगतान भी नकद में किया गया।
उसने कहा कि हालांकि, फ्लैट डमी कंपनी के नाम पर है, लेकिन सावंत इस फ्लैट पर इसके असली मालिक के रूप में काबिज थे।
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सीबीआई के अनुसार, सावंत ने 12.01.2011 से 31.08.2020 तक की जांच अवधि के दौरान अवैध रूप से संपत्ति अर्जित की जो उनके अलावा परिवार के अन्य सदस्यों के नाम पर हैं। इस दौरान उन्होंने बड़े पैमाने पर खर्च भी किया, जो उनकी आय के ज्ञात और कानूनी स्रोत के अनुपात से 204 प्रतिशत अधिक (2,45,78,579 रुपये) हैं।’’