ईडी ने धनशोधन मामले में जम्मू-कश्मीर सहकारी बैंक के पूर्व अध्यक्ष को गिरफ्तार किया

डीएन ब्यूरो

प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जम्मू-कश्मीर में 250 करोड़ रुपये के धनशोधन मामले में जम्मू-कश्मीर सहकारी बैंक के पूर्व अध्यक्ष मोहम्मद शफी डार को गिरफ्तार किया है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

जम्मू-कश्मीर सहकारी बैंक के पूर्व अध्यक्ष  गिरफ्तार
जम्मू-कश्मीर सहकारी बैंक के पूर्व अध्यक्ष गिरफ्तार


श्रीनगर: प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने जम्मू-कश्मीर में 250 करोड़ रुपये के धनशोधन मामले में जम्मू-कश्मीर सहकारी बैंक के पूर्व अध्यक्ष मोहम्मद शफी डार को गिरफ्तार किया है। 

उन्होंने बताया कि डार को एक ‘‘फर्जी फर्म’’ ‘रिवर झेलम कोऑपरेटिव हाउसिंग बिल्डिंग सोसाइटी’ के अध्यक्ष मोहम्मद हिलाल ए मीर के साथ गिरफ्तार किया गया है और उन्हें एक विशेष अदालत के सामने पेश किया जायेगा।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार अधिकारियों ने दावा किया कि ईडी ने बृहस्पतिवार को मामले के सिलसिले में डार के आवास सहित अन्य स्थानों पर छापेमारी की थी और इस दौरान आपत्तिजनक साक्ष्य बरामद किये गये।

उन्होंने बताया कि यह धोखाधड़ी ‘‘फर्जी’’ फर्म ‘रिवर झेलम कोऑपरेटिव हाउसिंग बिल्डिंग सोसाइटी’ के नाम पर की गई थी।

अधिकारियों ने बताया कि यह छापेमारी ईडी के श्रीनगर स्थित कार्यालय द्वारा धन शोधन निवारण अधिनियम (पीएमएलए) के तहत तलाशी और जब्ती के लिए एजेंसी को प्रदान किये गये अधिकार के तहत की गई।

जम्मू और कश्मीर भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) ने अगस्त, 2020 को भारतीय दंड संहिता और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम के तहत अपराधों के लिए मीर, डार और अन्य के खिलाफ मामले में आरोप पत्र दायर किया था।

एसीबी की जांच के मुताबिक मीर ने सहकारी समितियों के प्रशासन विभाग के सचिव को एक आवेदन दिया था, जिसमें श्रीनगर के बाहरी इलाके में ‘सेटेलाइट टाउनशिप’ का निर्माण करने के वास्ते 37.5 एकड़ भूमि का कब्जा लेने के लिए 300 करोड़ रुपये की वित्तीय सहायता देने के लिए जम्मू-कश्मीर सहकारी बैंक को निर्देश देने का अनुरोध किया गया था।

एसीबी की जांच में यह पाया गया कि श्रीनगर में जम्मू-कश्मीर सहकारी बैंक ने औपचारिकताओं का पालन किये बिना 223 करोड़ रुपये का ऋण स्वीकृत कर दिया।

इसमें पाया गया कि ‘रिवर झेलम कोऑपरेटिव हाउस बिल्डिंग सोसाइटी’ को सहकारी समितियों के पंजीयक के समक्ष पंजीकृत भी नहीं किया गया था और मीर ने डार तथा अन्य के साथ मिलकर सोसाइटी के नाम पर एक फर्जी पंजीकरण प्रमाण पत्र तैयार किया था।










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