फतेहपुर में एएनम ने अपने घर पर कराई डिलीवरी, जच्चा-बच्चा की हुई मौत

डीएन संवाददाता

फतेहपुर में एक दर्दनाक घटना सामने आई है जहां एक मां और नवजात बच्चे की मौत ने परिजनों में हड़कंप मचा दिया है। यह दुखद घटना झोलाछाप डॉक्टर के कारण हुई, जिसने दो जानें ले लीं। पढ़िए डायनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

मृतक के परिजनों का रो रो कर बुरा हाल
मृतक के परिजनों का रो रो कर बुरा हाल


फतेहपुर: जिले से एक बेहद चौंकाने वाली दुखद घटना सामने आई है। कोराई स्वास्थ्य केंद्र में तैनात एएनएम गीता उत्तम पर गंभीर आरोप लगे हैं कि वह पिछले कई सालों से अपने घर पर अवैध रूप से डिलीवरी कराती है और सरकारी तनख्वाह भी लेती है। इस मामले में स्वास्थ्य विभाग की घोर लापरवाही और भ्रष्टाचार उजागर हुआ है।

डायनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार गीता उत्तम पर आरोप है कि वह कोराई अस्पताल में आने वाले मरीजों को अपने घर बुलाकर डिलीवरी कराती थी। इसके लिए वह भोले-भाले ग्रामीणों से मोटी रकम वसूलती थी। एएनएम के इस गलत काम से न केवल मरीजों की जान को खतरा हुआ, बल्कि स्वास्थ्य सेवाओं की साख भी दांव पर लग गई। गीता उत्तम ने अपने निजी लाभ के लिए कई निजी अस्पतालों के साथ सेटिंग कर रखी थी। जब भी कोई केस बिगड़ता था, तो वह मरीज को तुरंत उन अस्पतालों में ले जाती थी। ताजा घटना में भी जब हालत बिगड़ी, तो महिला को अंश हॉस्पिटल ले जाया गया, जहां आधे घंटे तक इलाज होता रहा। हालत और बिगड़ने पर मरीज को कानपुर रेफर कर दिया गया, लेकिन तब तक बहुत देर हो चुकी थी। इस कुप्रथा के कारण हाल ही में एक मां और उसके नवजात शिशु की मौत हो गई। इस घटना से पूरे इलाके में हड़कंप मच गया और परिजनों में भारी आक्रोश फैल गया। गीता उत्तम की इस घोर लापरवाही और अवैध गतिविधियों के कारण दो निर्दोष लोगों की जानें चली गईं।

यह घटना सिर्फ गीता उत्तम की ही नहीं, बल्कि पूरे स्वास्थ्य विभाग की विफलता को उजागर करती है। जिले का स्वास्थ्य महकमा झोलाछाप डॉक्टरों और अवैध रूप से काम करने वालों के आगे नतमस्तक नजर आ रहा है। इस मामले ने स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली और उसकी निगरानी क्षमता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। गौरतलब है कि यह पहली बार नहीं है जब गीता उत्तम पर ऐसे आरोप लगे हैं। तीन साल पहले भी एक ऐसा ही मामला सामने आया था, जिसे जिले के आलाधिकारियों ने सिस्टम में लेकर रफा-दफा कर दिया था। इससे स्पष्ट है कि गीता उत्तम कई सालों से इस अवैध धंधे में संलिप्त है और लाखों रुपये ऐंठ चुकी है।

यह मामला सदर कोतवाली के नई तहसील इलाके का है। इस गंभीर प्रकरण ने स्वास्थ्य विभाग की कार्यप्रणाली और उसकी निगरानी क्षमता पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। लोगों की जान से खिलवाड़ करने वाली इस तरह की गतिविधियों पर लगाम लगाने में स्वास्थ्य विभाग पूरी तरह विफल साबित हुआ है। अब देखना यह है कि इस मामले में क्या कार्रवाई होती है और क्या स्वास्थ्य विभाग इस तरह के मामलों को रोकने के लिए कड़े कदम उठाएगा या फिर एक बार फिर से इसे रफा-दफा कर दिया जाएगा।


 










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