दिल्ली अग्निकांडः 17 मौतों के बाद मरी दिखीं सिस्टम की संवेदनाएं..नेता राजनीतिक रोटियां सेकने में जुटे..

डीएन ब्यूरो

दिल्ली के बवाना में जिस फैक्ट्री में आग लग जाने के कारण 17 लोगों की मौतें हुई, वह फैक्ट्री बिना लाइसेंस के ही चल रही थी। ऐसे में यह सवाल उठता है कि इस भीषण अग्निकांड के लिये आखिरकार कौन जिम्मेदार है?

बवाना में आग की चपेट में इमारत
बवाना में आग की चपेट में इमारत


नई दिल्ली: अभी मुंबई के एक पब में लगी आग के कारण हुई मौतों का मामला खत्म भी नहीं हुआ था कि देश की राजधानी दिल्ली के बवाना में आग लगने से 17 लोगों की मौत की खबर ने पूरे देश को झकझोर दिया  है। ऐसे में यह सवाल उठता है कि इस अग्निकांड के लिए जिम्मेदार कौन है? प्रथम दृष्टया देखा जाए तो इस मौत के लिए दिल्ली सरकार और उत्तरी दिल्ली नगर निगम जिम्मेदार है। क्योंकि दिल्ली सरकार का श्रम विभाग एवं फैक्ट्री निदेशालय ही फैक्ट्रियों को लाइसेंस जारी करता है और औद्योगिक विभाग के फैक्ट्री एक्ट कार्यालय से भी उद्योगों को मंजूरी लेनी होती है।

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दिल्ली सरकार और एमसीडी की भूमिका

यहां दिल्ली नगर निगम का भी रोल अहम है और इसलिए दिल्ली महिला आयोग ने उत्तरी दिल्ली नगर निगम को नोटिस भेजने की बात कही है। दरअसल एमसीडी के कार्य क्षेत्र में चल रही फैक्ट्रियों की मानिटरिंग सरकार के अलावा एमसीडी को भी करना होता है। दिल्ली के किसी क्षेत्र में चल रही फैक्ट्री के लिये फैक्ट्री लाइसेंसिंग, फायर डिपार्टमेंट, डीपीसीसी, हेल्थ आदि के लिये कई तरह की एनओसी सरकार और एमसीडी से लेनी पड़ती है और ये सब सही है या नहीं, इसके जांच के बाद ही फैक्ट्री संचालित की जा सकती है? एक बार लाइसेंस मिलने के बाद भी उन्हें समय-समय पर रिन्यू करना पड़ता है। लेकिन इस मामले में सारे नियम-कानूनो के ताक पर रखा गया, जिस कारण यह अग्निकांड सामने आया। 

उत्तरी एमसीडी मेयर और भाजपा नेता की करतूत

इस घटना के बाद उत्तरी एमसीडी की मेयर और भाजपा नेता अपनी खुद की पोल कैमरे के सामने खोलती नजर आ रही हैं। इस मामले में उनका वक्तव्य काफी शर्मनाक है। वायरल हुए उनके एक वीडियो में वे मीडिया के सवालों से बचने का तरीका अधिकारी को बता रही थीं। वे कैमरे में एक अधिकारी के कान में कुछ फुसफुसाते नजर आ रही है। कैमरे में वे अधिकारी से कह रही है कि ‘इस फैक्ट्री का लाइसेंस हमारे पास है, इसलिए कुछ नहीं कर सकते।‘ यह वाकया सामने आने के बाद प्रीति चारों तरफ से घिरी हुई नजर आ रही हैं। जो दर्शाता है कि अब एमसीडी भी कैसे अपनी जिम्मेदारी से भागना चाहती है?

हालांकि हादसे के बाद दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने जांच के आदेश दिए हैं। उन्होंने मृतकों के परिजनों को पांच-पांच लाख रुपये और घायलों को 1-1 लाख रुपये मुआवजा देने की बात कही है। जबकि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ट्वीट कर घटना पर दुख जताया है। इसके अलावा आज सुबह ही दिल्ली के उपराज्यपाल ने अस्तपाल का दौरा किया और मामले की जांच को लेकर कहा कि जांच प्रधान सचिव (गृह) कराई जाएगी। 

दूसरी ओर दिल्ली पुलिस ने कार्रवाई करते हुए फैक्ट्री मालिक मनोज को गिरफ्तार कर लिया है। फिर भी सवाल यही उठता है कि मुंबई कांड के बाद सबक क्यों नहीं लिया गया और क्यों बिना लाइसेंस की फैक्ट्री को चलने दिया गया? क्यों नहीं इस हृदयविदारक कांड के लिए उत्तरी एमसीडी और दिल्ली सरकार पर कार्यवाही होनी चाहिए?










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