

न्यायिक अधिकारियों के लिए जगह की कमी पर चिंता प्रकट करते हुए दिल्ली उच्च न्यायायल ने मंगलवार को प्रदेश सरकार ने पूछा कि क्या वह निचली अदालतों में सुनवाई की खातिर सबूतों का रिकार्ड रखने वाले स्थानीय आयुक्तों के वास्ते राशि और जमीन प्रदान करेगी। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
नयी दिल्ली: न्यायिक अधिकारियों के लिए जगह की कमी पर चिंता प्रकट करते हुए दिल्ली उच्च न्यायायल ने मंगलवार को प्रदेश सरकार ने पूछा कि क्या वह निचली अदालतों में सुनवाई की खातिर सबूतों का रिकार्ड रखने वाले स्थानीय आयुक्तों के वास्ते राशि और जमीन प्रदान करेगी।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश मनमोहन की अगुवाई वाली पीठ ने कहा कि दिल्ली सरकार राशि नहीं जारी कर रही है तथा खुद उच्च न्यायालय भी उन नये मजिस्ट्रेट के वास्ते अदालतकक्षों के आवंटन में ‘गंभीर समस्या’ से जूझ रहा है जो अगले साल पदभार ग्रहण करेंगे।
न्यायमूर्ति मनमोहन और न्यायमूर्ति मिनी पुष्कर्ण की पीठ ने कहा, ‘‘हमारी प्राथमिकता अदालतें हैं। हमारे पास पर्याप्त अदालतें नहीं हैं, अगले साल 110 मजिस्ट्रेट तैयार होने जा रहे हैं। हमारे पास उनके लिए जगह नहीं है। यह गंभीर समस्या है।’’
याचिकाकर्ता ने जिला अदालतों में स्थानीय आयुक्तों की खातिर अवसंरचना की मांग की। उन्होंने दलील दी कि इस काम के लिए कमरा या जगह नहीं है।
उच्च न्यायालय ने कहा कि राजधानी में किसी जिला अदालत परिसर में कोई खाली जगह नहीं है और नये भवनों के निर्माण की कोई परियोजना भी विचाराधीन नहीं है।
पीठ ने कहा, ‘‘ किसी परियोजना को मंजूरी नहीं मिल रही है । कुछ भी विचाराधीन/प्रक्रियाधीन नहीं है। किसी अवसंरचना को मंजूरी नहीं मिल रही है। वे धनराशि नहीं जारी कर रहे हैं... यदि दिल्ली सरकार धनराशि देने को इच्छुक है तो हमें कोई दिक्कत नहीं है।’’
उच्च न्यायालय ने कहा, ‘‘पटियाला हाउस अदालत जाइए। कहीं भी जाइए। हमें बताइए (कि कहीं जगह है।) हम वहां कुछ मजिस्ट्रेट को तैनात कर देंगे।’’
उच्च न्यायालय ने इस मामले की अगली सुनवाई दिसंबर में करने का फैसला किया।
पीठ ने कहा कि दिल्ली सरकार के वकील इस बात का निर्देश हासिल करें कि क्या दिल्ली में जिला अदालतों में स्थानीय आयुक्तों द्वारा सबूतों की रिकार्डिंग रखने के लिए उपयुक्त अवसंरचना प्रदान करने के वास्ते धनराशि और जमीन उपलब्ध करायी जाएगी।’’
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