ट्रांसजेंडर के सार्वजनिक शौचालय के निर्माण को लेकर दिल्ली हाई कोर्ट ने दिया ये आदेश

डीएन ब्यूरो

दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी में ट्रांस जेंडर के लिए सार्वजनिक शौचालयों के निर्माण के लिए आठ सप्ताह की समय सीमा तय की पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

ट्रांसजेंडर के सार्वजनिक शौचालय के निर्माण
ट्रांसजेंडर के सार्वजनिक शौचालय के निर्माण


नयी दिल्ली:  दिल्ली उच्च न्यायालय ने मंगलवार को राष्ट्रीय राजधानी में ट्रांस जेंडर के लिए सार्वजनिक शौचालयों के निर्माण के लिए आठ सप्ताह की समय सीमा तय की और चेतावनी दी कि आदेश पर अमल न होने की स्थिति में वह दिल्ली सरकार और नयी दिल्ली नगरपालिका परिषद (एनडीएमसी) के संबंधित शीर्ष अधिकारियों को व्यक्तिगत रूप से पेश होने का आदेश देगा।

मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा की अध्यक्षता वाली पीठ ने इस बात का संज्ञान लिया कि दिल्ली सरकार की ओर से दायर की गई स्थिति रिपोर्ट के अनुसार, यद्यपि निर्माण प्रक्रिया चल रही है, लेकिन ट्रांसजेंडर आबादी के लिए कोई सार्वजनिक शौचालय नहीं बनाया गया है।

पीठ ने कहा, “इस अदालत में स्थिति रिपोर्ट दायर करके बताया गया है कि सरकार ने ‘ट्रांसजेंडर व्यक्तियों (अधिकारों का संरक्षण) अधिनियम को ध्यान में रखते हुए ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए सार्वजनिक शौचालयों के निर्माण को लेकर उचित कार्रवाई की है। हालांकि, स्थिति रिपोर्ट से यह पता चलता है कि शौचालयों का निर्माण बिल्कुल नहीं किया गया है।” पीठ में न्यायमूर्ति सुब्रमण्यम प्रसाद भी शामिल थे।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार अदालत ने शौचालयों का निर्माण यथासंभव आठ सप्ताह के भीतर सुनिश्चित करने की सरकार को मोहलत दी और उसे नयी स्थिति रिपोर्ट पेश करने का निर्देश भी दिया।

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अदालत ने कहा कि एनडीएमसी की स्थिति रिपोर्ट ने भी ‘कागजी काम’ होने का संकेत दिया था, लेकिन ‘जमीनी हकीकत यह है कि कुछ भी नहीं किया गया है।’ अदालत ने ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए सार्वजनिक शौचालयों के निर्माण के वास्ते परिषद को अंतिम अवसर दिया।

अदालत ने कहा, ‘‘यह भी स्पष्ट किया जाता है कि यदि उपरोक्त अवधि के भीतर शौचालयों का निर्माण नहीं किया जाता है तो अदालत सुनवाई की अगली तारीख पर लोक निर्माण विभाग के सचिव को पेश होने का निर्देश देगी।’’

मामले को 14 जुलाई को सुनवाई के लिए सूचीबद्ध किया गया है।

दिल्ली सरकार के वकील ने अदालत को आश्वासन दिया कि निर्माण की प्रक्रिया में तेजी लाई जाएगी।

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अदालत ने दिल्ली नगर निगम (एमसीडी) सहित अन्य स्थानीय निकायों को भी ट्रांसजेंडर व्यक्तियों के लिए शौचालयों की कुल संख्या के संबंध में एक विस्तृत स्थिति रिपोर्ट दाखिल करने के लिए कहा है।

अदालत जस्मीन कौर छाबड़ा की ओर से दायर एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रही थी।

उच्च न्यायालय ने पहले सरकार से कहा था कि जहां भी नए सार्वजनिक स्थान विकसित किए जा रहे हैं, वहां ट्रांसजेंडर के लिए अलग शौचालय होने चाहिएं और उसने बिना किसी देरी के इस पहलू पर गौर करने का निर्देश दिया था।










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