दिल्ली हाई कोर्ट ने रिश्वत मामले में पुलिस अधिकारी की दोषसिद्धि और जेल की सजा को किया रद्द, जानिये पूरा मामला
दिल्ली उच्च न्यायालय ने 1991 में एक महिला से उसके पड़ोसी को गिरफ्तार करने के लिए एक हजार रुपये की रिश्वत कथित तौर पर लेने के मामले में एक पुलिस अधिकारी की दोषसिद्धि और एक साल कारावास की सजा को रद्द कर दिया है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
नयी दिल्ली: दिल्ली उच्च न्यायालय ने 1991 में एक महिला से उसके पड़ोसी को गिरफ्तार करने के लिए एक हजार रुपये की रिश्वत कथित तौर पर लेने के मामले में एक पुलिस अधिकारी की दोषसिद्धि और एक साल कारावास की सजा को रद्द कर दिया है।
न्यायमूर्ति जसमीत सिंह ने कहा कि अभियोजन पक्ष द्वारा रिश्वत की मांग और उसे प्राप्त करने को संदेह से परे जाकर साबित किया जाना चाहिए और वर्तमान मामले में, गवाहों के बयानों से ‘रिश्वत की मांग और उसे प्राप्त करने के सबूत साबित’ नहीं हुए हैं।
निचली अदालत द्वारा दिये गये फैसले के खिलाफ अधिकारी द्वारा दाखिल अपील पर सुनवाई करते हुए उच्च न्यायालय ने यह फैसला सुनाया।
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अभियोजन पक्ष के अनुसार, शिकायतकर्ता के भाई का 1991 में अपने पड़ोसी के साथ झगड़ा हुआ था और उसने पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी। मामला अपीलकर्ता (निचली अदालत द्वारा दोषी ठहराये गए अधिकारी) को सौंपा गया था, जो उस समय संबंधित पुलिस थाने में उप-निरीक्षक के पद पर तैनात थे।
अभियोजन पक्ष के मुताबिक अपीलकर्ता ने शिकायतकर्ता से उसके पड़ोसी को गिरफ्तार करने की एवज में दो हजार रुपये बतौर रिश्वत की कथित तौर पर मांग की।
उसने बताया कि आरोपी को भ्रष्टाचार ब्यूरो ने एक हजार रुपये की रिश्वत कथित तौर पर लेते हुए रंगे हाथ पकड़ा था।
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निचली अदालत ने 2000 में आरोपी पुलिस अधिकारी को भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धाराओं सात और 13 (आई) (डी) के तहत दोषी करार दिया था और उसे एक साल सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी।