मिलावटी दूध बेचने के 38 साल पुराने मामले के 85 वर्षीय दोषी की याचिका पर सुनवाई करेगा न्यायालय

डीएन ब्यूरो

उत्तर प्रदेश के 85 वर्षीय एक व्यक्ति ने मिलावटी दूध बेचने का दोषी पाए जाने और एक साल कारावास की सजा सुनाए जाने के 38 साल से अधिक समय बाद अपनी सजा और जमानत के निलंबन के लिए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।

उच्चतम न्यायालय (फाइल)
उच्चतम न्यायालय (फाइल)


नई दिल्ली: उत्तर प्रदेश के 85 वर्षीय एक व्यक्ति ने मिलावटी दूध बेचने का दोषी पाए जाने और एक साल कारावास की सजा सुनाए जाने के 38 साल से अधिक समय बाद अपनी सजा और जमानत के निलंबन के लिए उच्चतम न्यायालय का दरवाजा खटखटाया है।

न्यायमूर्ति अनिरुद्ध बोस और न्यायमूर्ति राजेश बिंदल की अवकाशकालीन पीठ ने मंगलवार को कहा कि वह याचिकाकर्ता वीरेंद्र सिंह की याचिका पर बृहस्पतिवार को फैसला करेगी।

सिंह को सात अक्टूबर, 1981 को मिलावटी दूध बेचते पकड़ा गया था और निचली अदालत ने 29 सितंबर 1984 को उसे खाद्य अपमिश्रण निवारण अधिनियम, 1954 के प्रावधानों के तहत दोषी ठहराते हुए एक साल के सश्रम कारावास की सजा सुनाई थी और उस पर दो हजार रुपए का जुर्माना लगाया था।

सिंह ने बुलंदशहर सत्र अदालत में इस फैसले को चुनौती दी थी, जिसने 14 जुलाई 1987 को निचली अदालत का फैसला बरकरार रखा था। इसके बाद उसने 28 जुलाई 1987 को इलाहाबाद उच्च न्यायालय का रुख किया था। उच्च न्यायालय ने 30 जनवरी 2013 को सुनाए फैसले में सिंह की दोषसिद्धि को बरकरार रखा था, लेकिन उसकी सजा को एक साल से कम करके छह महीने कर दिया था।

सिंह करीब चार दशक से जमानत पर रिहा था और उसने 20 अप्रैल 2023 को निचली अदालत के समक्ष आत्मसमर्पण कर दिया और दो हजार रुपए जुर्माना भर दिया। उसे गिरफ्तार करके जेल भेज दिया गया।

सिंह के वकील सतीश कुमार ने सिंह की बिगड़ते स्वास्थ्य के मद्देजनर उसकी याचिका को तत्काल सूचीबद्ध किए जाने का अनुरोध किया था।

पीठ ने कुमार से कहा, ‘‘हम मामले पर आठ जून को सुनवाई करेंगे।’’

सिंह ने अपनी याचिका में दावा किया है कि वह दमा समेत विभिन्न बीमारियों से पीड़ित है। सिंह ने कहा कि उसका बुलंदशहर के जेल अस्पताल में इलाज जारी है और उसकी हालत खराब होती जा रही है।

उसने दावा किया है कि वह पेशे से एक बस कंडक्टर था और धार्मिक अनुष्ठानों के लिए दूध खरीदने अपने पैतृक गांव किर्यावली से कल्याणपुर गया था।

सिंह ने कहा कि जब वह कल्याणपुर से अपने घर लौट रहा था, तभी खाद्य निरीक्षक एच सी गुप्ता ने उसे बीच में रोक लिया और वह जो दूध ले जा रहा था, उसके नमूने विश्लेषण के लिए भेजे गए और दूध मिलावटी पाया गया।

 










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