दिल्ली की अदालत ने धनशोधन के मामले से तीन को आरोप मुक्त किया

डीएन ब्यूरो

दिल्ली की एक अदालत ने झारखंड के बृंदा, सिसाई और मेराल कोयला खदान आवंटन से जुड़े धनशोधन के मामले में तीन आरोपियों को आरोप मुक्त कर दिया। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

अदालत ने धनशोधन के मामले से तीन को आरोप मुक्त किया
अदालत ने धनशोधन के मामले से तीन को आरोप मुक्त किया


नयी दिल्ली: दिल्ली की एक अदालत ने झारखंड के बृंदा, सिसाई और मेराल कोयला खदान आवंटन से जुड़े धनशोधन के मामले में तीन आरोपियों को आरोप मुक्त कर दिया।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार कोयला मंत्रालय से गलत तरीके से खदान आवंटन पत्र प्राप्त करने के बाद कथित तौर पर 650 करोड़ रुपये का धनशोधन के के मामले में मनोज जायसवाल, रमेश जायसवाल और अभिजीत इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड को आरोपी बनाया गया था।

न्यायाधीश ने पांच सितंबर को पारित आदेश में कहा, ‘‘अदालत के रिकॉर्ड पर दर्ज कराए गए सबूतों में ऐसी कोई सामग्री नहीं है जिससे पता चले कि आरोपी धनशोधन के मामले में संलिप्त थे।’’

न्यायाधीश ने कहा कि इस बात की जांच करने की जरूरत थी कि क्या अभिजीत इंफ्रास्ट्रक्चर लिमिटेड ने भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) के नेतृत्व वाले बैंकों के कंसोर्टियम से धोखाधड़ी का अपराध किया।

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उन्होंने कहा कि यह प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) पर है कि वह इसपर विचार करे और फैसला करे कि मामले को आगे ले जाना है या नहीं।

अदालत ने बचाव पक्ष के वकील विजय अग्रवाल की इस दलील को स्वीकार किया कि मामला आधारहीन है क्योंकि केवल एक ही परिदृश्य था जिसमें कहा जा सकता था कि आवंटन से आय हो सकती थी और वह तब था जब खदान से कोयला निकाला गया हो, बेचा गया हो और प्राप्त राशि का उपयोग किया गया हो।

उन्होंने कहा, ‘‘ हालांकि, ईडी पहली बार में कोयला ब्लॉक के आवंटन से हुई आय या अर्जित संपत्ति नहीं दिखा सकी।’’

ईडी ने आरोप लगाया था कि कंपनी ने अपने मूल्य से कई गुना अधिक प्रीमियम पर शेयर आवंटित किए और कोयला खदान आवंटित होने के बाद अपनी कुल संपत्ति आवंटन से पहले 30 करोड़ रुपये से बढ़कार लगभग 750 करोड़ रुपये कर दी। बढ़ी हुई संपत्ति के आधार पर उसने बैंकों से भारी-भारकम ऋण प्राप्त किया।

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ईडी ने आरोप लगाया कि खदान का आवंटन रद्द होने के बाद साल 2018 में अभिजीत समूह की कुल संपत्ति घटकर ऋणात्मक रूप से 69 करोड़ रुपये रह गई।

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) ने कथित तौर पर जाली दस्तावेजों का उपयोग करके और स्क्रीनिंग कमेटी और इस्पात मंत्रालय और कोयला मंत्रालय के समक्ष कंपनी की गलत जानकारी देकर कर खदान आवंटन प्राप्त करने के मामले में प्राथमिकी दर्ज की थी जिसके आधार पर ईडी ने धनशोधन का मामला दर्ज किया था।










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