Mumbai Metro: बंबई हाई कोर्ट में मुंबई मेट्रो का जवाब- मुकदमेबाजी के कारण जनता का पैसा हो रहा जाया
मुंबई मेट्रो रेल निगम (एमएमआरसीएल) ने बृहस्पतिवार को बंबई उच्च न्यायालय से कहा कि आरे कॉलोनी में मेट्रो कार शेड (डिपो) निर्माण में देरी हो रही है और मुकदमेबाजी की वजह से जनता का पैसा भी जाया जा रहा है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
मुंबई: मुंबई मेट्रो रेल निगम (एमएमआरसीएल) ने बृहस्पतिवार को बंबई उच्च न्यायालय से कहा कि आरे कॉलोनी में मेट्रो कार शेड (डिपो) निर्माण में देरी हो रही है और मुकदमेबाजी की वजह से जनता का पैसा भी जाया जा रहा है। एमएमआरसीएल ने इसके साथ ही पूर्व में प्रस्तावित संख्या से अधिक पेड़ो की कटाई करने के फैसले का भी बचाव किया।
मेट्रो परियोजना में नोडल एजेंसी एमएमआरसीएल ने उच्च न्यायायल को बताया कि अदालत में मामला होने की वजह से वह वर्ष 2019 में पेड़ो की कटाई नहीं कर सका और इसकी वजह से गोरेगांव उपनगर में प्रस्तावित योजना के लिए और अधिक संख्या में पेड़ो की कटाई की जरूरत है।
वर्ष 2019 में एमएमआरसीएल ने बृह्नमुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) के वृक्ष प्राधिकरण से 84 पेड़ों को काटने की अनुमति मांगी थी लेकिन मामला उच्च न्यायालय में जाने और उसके बाद उच्चतम न्यायालय का रुख करने की वजह से यथा स्थिति बनाए रखने का आदेश आया।
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उच्चतम न्यायालय से पेड़ों की कटाई की अनुमति मिलने के बाद एमएमआरसीएल ने वृक्ष प्राधिकरण से 177 पेड़ों की कटाई की अनुमति मांगी। एमएमआरसीएल के मुताबिक मेट्रो कार शेड के लिए प्रस्तावित जमीन पर गत चार साल में पेड़ों की संख्या बढ़ गई है।
कार्यकर्ता जोरु भथेना ने बीएमसी प्राधिकार द्वारा 177 पेड़ों को काटने के लिए जारी नोटिस के खिलाफ पिछले महीने उच्च न्यायालय का रुख किया। भथेना ने दावा किया कि यह नवंबर 2022 को उच्चतम न्यायालय के आदेश का उल्लंघन है क्योंकि शीर्ष अदालत ने केवल 84 पेड़ों को काटने की अनुमति दी है।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार एमएमआरसीएल के अधिवक्ता आशुतोष कुंभकोनी ने अदालत से कहा, ‘‘याचिकाकर्ताओं की वजह से मामला गत चार साल से लंबित है। इन चार सालों में चार बरसात के मौसम बीते जिसकी वजह से उस समय परिभाषा के तहत जो पौधे थे, अब पेड़ हो गए हैं।’’
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एमएमआरसीएल ने बृहस्पतिवार को दाखिल हलफनामे में कहा कि कार डिपो मेट्रो लाइन का हृदय और आत्मा है। उन्होंने कहा, ‘‘ डिपो का निर्माण अक्टूबर 2023 तक किया जाना है। एक दिन की देरी से भी जनता के 5.87 करोड़ रुपये का नुकसान होगा।’’