Adoption Cases: बंबई हाई कोर्ट ने बच्चों को गोद लेने से जुड़े मामलों को लेकर दिया ये बड़ा फैसला
बंबई उच्च न्यायालय ने गोद लेने से जुड़े लंबित मामलों को जिला अधिकारियों को स्थानांतरित करने पर अंतरिम रोक लगाते हुए उच्च न्यायालय की एकल पीठ के न्यायाधीश को मामले की अगली सुनवाई तक ऐसे मामलों में निर्णय लेने की प्रक्रिया जारी रखने का निर्देश दिया है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट
मुंबई: बंबई उच्च न्यायालय ने गोद लेने से जुड़े लंबित मामलों को जिला अधिकारियों को स्थानांतरित करने पर अंतरिम रोक लगाते हुए उच्च न्यायालय की एकल पीठ के न्यायाधीश को मामले की अगली सुनवाई तक ऐसे मामलों में निर्णय लेने की प्रक्रिया जारी रखने का निर्देश दिया है।
न्यायमूर्ति गौतम पटेल और न्यायमूर्ति एस.जी. दिगे की खंडपीठ ने मंगलवार को किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल एवं संरक्षण) संशोधन अधिनियम-2021 की वैधता को चुनौती देने वाली दो याचिकाओं पर सुनवाई के दौरान यह आदेश पारित किया।
मालूम हो कि किशोर न्याय (बच्चों की देखभाल एवं संरक्षण) संशोधन अधिनियम-2021 में ‘अदालत’ के स्थान पर ‘जिला अधिकारी’ शब्द शामिल किया गया है।
इस अधिनियम के अमल में आने के बाद गोद लेने से जुड़े सभी मामले, जिनमें विदेशी मामले भी शामिल हैं, अंतिम मंजूरी के लिए उच्च न्यायालय के बजाय जिला अधिकारी के समक्ष पेश किए जाएंगे।
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बंबई उच्च न्यायालय ने भारत के अटॉर्नी जनरल को नोटिस जारी कर दो दंपति द्वारा दायर इन याचिकाओं पर केंद्र सरकार का रुख बताने को भी कहा।
पीठ ने अपने आदेश में कहा कि गोद लेने से जुड़े मामलों पर अब तक उच्च न्यायालय के न्यायाधीश विचार करते थे। आदेश में कहा गया है, “हमने अभी तक यही नहीं पाया है कि इन मामलों के निपटारे के संबंध में कोई शिकायत की गई है। हमें अभी इस संशोधन का औचित्य समझना है।”
उच्च न्यायालय ने कहा कि वह लंबे समय से गोद लेने से जुड़े मामलों को देख रहा है।
पीठ ने कहा, “हमारे सामने ऐसी कोई भी दलील पेश नहीं की गई है कि लगभग चार सप्ताह की सीमित अवधि के बाद जब हम याचिकाओं पर सुनवाई करेंगे, तब तक इस व्यवस्था को क्यों नहीं जारी रखा जाना चाहिए। यदि मौजूदा व्यवस्था जारी रहती है तो किसी भी पक्ष को कोई पूर्वाग्रह नहीं होगा और हितों की रक्षा भी की जा सकेगी।”
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पीठ ने सरकार की इस दलील को मानने से इनकार कर दिया कि उच्च न्यायालय द्वारा गोद लेने से जुड़े मामलों के निपटारे में देरी हुई है।
उसने 30 सितंबर 2022 को पुणे के महिला एवं बाल विकास आयुक्त द्वारा बंबई उच्च न्यायालय के रजिस्ट्रार को लिखे पत्र के अमल पर रोक लगा दी, जिसमें गोद लेने से जुड़े मामले जिला अधिकारियों को स्थानांतरित करने का निर्देश दिया गया है।
उच्च न्यायालय ने मामले की अगली सुनवाई के लिए 14 फरवरी की तारीख निर्धारित की। अदालत ने स्पष्ट किया कि उस समय तक उच्च न्यायालय की एकल पीठ के न्यायाधीश गोद लेने से जुड़े मामलों की सुनवाई करेंगे।