हिरासत में मौत: उच्च न्यायालय ने वायुसेना से जुड़े तीन लोगों की उम्रकैद की सजा निलंबित कर दी

डीएन ब्यूरो

गुजरात उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को वायुसेना के दो पूर्व कर्मियों और एक मौजूदा कर्मी को सुनाई गई उम्रकैद की सजा निलंबित कर दी। पिछले साल एक विशेष अदालत ने 28 वर्षीय युवक की हिरासत के मौत के मामले में इन तीनों को दोषी ठहराया था।

हिरासत में मौत (फाइल)
हिरासत में मौत (फाइल)


अहमदाबाद: गुजरात उच्च न्यायालय ने शुक्रवार को वायुसेना के दो पूर्व कर्मियों और एक मौजूदा कर्मी को सुनाई गई उम्रकैद की सजा निलंबित कर दी। पिछले साल एक विशेष अदालत ने 28 वर्षीय युवक की हिरासत के मौत के मामले में इन तीनों को दोषी ठहराया था।

न्यायमूर्ति वोरा और न्यायमूर्ति एसवी पिंटो की खंडपीठ ने सेवानिवृत्त स्क्वाड्रन लीडर अनूप सूद, सेवानिवृत्त सार्जेंट अनिल केएन और सेवारत सार्जेंट महेंद्र सिंह शेरावत की आजीवन कारावास की सजा को उनकी अपील के लंबित रहने तक निलंबित कर दिया।

चूंकि आरोपी पिछले साल दोषी ठहराए जाने के बाद सलाखों के पीछे हैं, इसलिए पीठ ने उन्हें इस शर्त पर जमानत भी दी कि वे देश छोड़कर नहीं जाएंगे और दोषसिद्धि के खिलाफ अपनी अपील की सुनवाई के दौरान उपस्थित रहेंगे।

केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (सीबीआई) की एक विशेष अदालत ने पिछले साल मई में तीनों को दोषी ठहराया था और वर्ष 1995 में गुजरात के जामनगर हवाई अड्डे पर हिरासत में मौत के एक मामले में उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई थी।

तीनों को गिरजा रावत की हत्या का दोषी पाया गया जो ‘एयर फोर्स-वन’, जामनगर में रसोइया के रूप में काम करता था। तीनों पर आरोप है कि उन्होंने कैंटीन से कथित शराब चोरी के मामले में रावत को प्रताड़ित किया।

इस मामले के सात अभियुक्तों में से इन तीनों को दोषी ठहराया गया, एक की सुनवाई के दौरान मौत हो गई जबकि तीन अन्य को सीबीआई अदालत ने बरी कर दिया।

 










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