विश्व भारती के प्रोफेसर की बर्खास्तगी को लेकर चोमस्की, अन्य शिक्षाविदों ने राष्ट्रपति को पत्र लिखा

डीएन ब्यूरो

जाने-माने भाषाविद् नोम चोमस्की सहित 250 से अधिक शिक्षाविदों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर “अवांछनीय” कार्यों को लेकर विश्व भारती के प्रोफेसर सुदीप्त भट्टाचार्य की सेवा समाप्ति की सूचना दी और उनके हस्तक्षेप की मांग की। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

फाइल फोटो
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कोलकाता: जाने-माने भाषाविद् नोम चोमस्की सहित 250 से अधिक शिक्षाविदों ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को पत्र लिखकर “अवांछनीय” कार्यों को लेकर विश्व भारती के प्रोफेसर सुदीप्त भट्टाचार्य की सेवा समाप्ति की सूचना दी और उनके हस्तक्षेप की मांग की।

यह पत्र नौ जनवरी को लिखा गया था। पत्र में विश्व भारती द्वारा की गई कार्रवाई को “अवैध” बताया गया है। पत्र में कहा गया कि विश्वविद्यालय ने विभिन्न मौकों पर भट्टाचार्य द्वारा कथित रूप से करने के तौर पर जिन कार्यों का उल्लेख ‘‘कदाचार की सूची’’ में किया है उन्हें सत्यापित करने के लिये कोई जांच नहीं की गई।

पत्र की एक प्रति ‘पीटीआई’ को उपलब्ध कराई गई है।

राष्ट्रपति को लिखे गए पत्र में कहा गया कि भट्टाचार्य को 22 दिसंबर को केंद्रीय विश्वविद्यालय की कार्यकारी परिषद की बैठक में उनके ‘‘विश्व भारती के साथ सेवा/अनुबंध को समाप्त करने’’ के बारे में बताया गया था।

पत्र में कहा गया, ‘‘कदाचारों को तारीखों और घटना के अन्य विवरण या विशिष्ट कार्यों के लिए निर्दिष्ट किए बिना सूचीबद्ध किया गया है जिसके लिए प्रोफेसर भट्टाचार्य को अभ्यारोपित किया गया है। यह स्पष्ट है कि विश्वविद्यालय के प्रोफेसर और शिक्षक संघ के पदाधिकारी के खिलाफ कठोर अनुशासनात्मक कार्रवाई शुरू करने से पहले विश्वविद्यालय के अधिकारियों द्वारा कोई उचित जांच नहीं की गई थी।’’

पत्र पर चोमस्की, अर्थशास्त्री अमिय बागची, सेंटर फॉर स्टडीज इन सोशल साइंसेज के पूर्व निदेशक पार्थ चटर्जी, एक्सएलआरआई के प्रोफेसर सुमित सरकार और यादवपुर विश्वविद्यालय के एमेरिटस प्रोफेसर सुप्रिया चौधरी सहित विभिन्न शिक्षाविदों के हस्ताक्षर हैं।

संपर्क किए जाने पर भट्टाचार्य ने ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया कि संकाय सदस्यों ने चोमस्की से संपर्क किया और उन्हें घटनाक्रम से अवगत कराया जिसके बाद भाषाविद् और सामाजिक आलोचक ने उनके साथ एकजुटता व्यक्त की।

विश्व भारती के अधिकारियों ने हालांकि इस मामले पर टिप्पणी करने से इनकार कर दिया।










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