छत्तीसगढ़ शराब घोटाला: न्यायालय ने गैर जमानती वारंट को लेकर ‘‘जल्दबाजी’’ पर ईडी से सवाल किया

डीएन ब्यूरो

उच्चतम न्यायालय ने छत्तीसगढ़ में 2,000 करोड़ रुपये के कथित शराब घोटाले से संबंधित धन शोधन के एक आरोपी के खिलाफ गैर-जमानती वारंट (एनबीडब्ल्यू) जारी करने को लेकर निचली अदालत में अर्जी दायर करने के संबंध में ‘‘जल्दबाजी’’ पर बृहस्पतिवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से सवाल किया। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

छत्तीसगढ़ शराब घोटाला
छत्तीसगढ़ शराब घोटाला


नयी दिल्ली:  उच्चतम न्यायालय ने छत्तीसगढ़ में 2,000 करोड़ रुपये के कथित शराब घोटाले से संबंधित धन शोधन के एक आरोपी के खिलाफ गैर-जमानती वारंट (एनबीडब्ल्यू) जारी करने को लेकर निचली अदालत में अर्जी दायर करने के संबंध में ‘‘जल्दबाजी’’ पर बृहस्पतिवार को प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) से सवाल किया।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक न्यायमूर्ति संजय किशन कौल, न्यायमूर्ति सुधांशु धूलिया और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने एनबीडब्ल्यू पर रोक लगाते हुए कहा कि शीर्ष अदालत ने 18 जुलाई को इस मामले में सुनाए आदेश में कहा था कि ईडी को ‘‘हर तरीके से खुद पर नियंत्रण रखना चाहिए।’’

पीठ अनवर ढेबर द्वारा दायर एक अर्जी पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें उनके खिलाफ एनबीडब्ल्यू जारी करने के निचली अदालत के 13 अक्टूबर के आदेश की तामील पर रोक लगाने का अनुरोध किया गया था। ढेबर ने अदालत से यह निर्देश भी देने का अनुरोध किया कि ईडी मामले में उनके खिलाफ कोई दंडात्मक कदम नहीं उठाए।

ढेबर की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता मुकुल रोहतगी ने शीर्ष अदालत को बताया कि छत्तीसगढ़ उच्च न्यायालय ने जुलाई में उन्हें अंतरिम जमानत देने के बाद छह अक्टूबर को उनकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी। उन्होंने कहा कि ईडी ने रायपुर की निचली अदालत में नौ अक्टूबर को एक अर्जी दायर कर ढेबर के खिलाफ गैर जमानती वारंट जारी करने का अनुरोध किया था।

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पीठ ने ईडी के वकील से कहा, ‘‘एक बार जब हम कहते हैं कि आपको कोई भी कठोर कदम नहीं उठाना है, तो क्या यह (एनबीडब्ल्यू) हमारे आदेश का उल्लंघन नहीं है? यही मुद्दा है।’’

पीठ ने कहा कि जमानत याचिका खारिज करने के उच्च न्यायालय के आदेश के परिणामस्वरूप एनबीडब्ल्यू जारी किया गया है। पीठ ने अर्जी पर ईडी से जवाब मांगा और मामले की सुनवाई छह सप्ताह बाद तय की। शीर्ष अदालत ने कहा, ‘‘इस बीच, याचिकाकर्ता की अंतरिम जमानत जारी रहेगी और गैर-जमानती वारंट जारी करने के आदेश पर रोक लगाई जाती है।’’

न्यायमूर्ति कौल ने ईडी के वकील से कहा, ‘‘मुझे समझ नहीं आता कि इतनी जल्दी क्यों है।’’

ढेबर ने वकील मलक मनीष भट्ट के माध्यम से दायर अपनी अर्जी में कहा कि ईडी ने शीर्ष अदालत के 18 जुलाई के आदेश का ‘‘पूरी तरह से उल्लंघन’’ करते हुए विशेष न्यायाधीश के समक्ष एक याचिका दायर कर उनके खिलाफ गैर जमानती वारंट की मांग की है।

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अर्जी में दावा किया गया है कि प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट (ईसीआईआर) के संबंध में पूरी जांच और कार्यवाही ‘‘पूरी तरह से अवैध और अधिकार क्षेत्र से परे’’ होने तथा शीर्ष अदालत द्वारा पारित आदेश के बावजूद, याचिकाकर्ता को उसके खिलाफ एनबीडब्ल्यू जारी किए जाने के आदेश के आलोक में हिरासत में लिया जाएगा।

शीर्ष अदालत ने 16 मई को मामले की सुनवाई करते हुए ईडी से कहा था कि वह ‘‘डर का माहौल’’ पैदा न करें। छत्तीसगढ़ सरकार ने अदालत में दावा किया था कि जांच एजेंसी ‘‘अनियंत्रित कदम उठा रही है’’ और मुख्यमंत्री भूपेश बघेल को राज्य में कथित शराब घोटाले से संबंधित धन शोधन के मामले में फंसाने की कोशिश कर रही है।

ईडी का आरोप है कि छत्तीसगढ़ में शराब व्यापार में बड़े पैमाने पर घोटाला हुआ, जिसमें राज्य सरकार के उच्च स्तरीय अधिकारियों, निजी व्यक्तियों और नेताओं के एक गिरोह ने 2019-22 में 2,000 करोड़ रुपये से अधिक का काला धन कमाया।

 










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