सावधान! योग और फिटनेस पर भी साइलेंट अटैक का कहर, जानिये हैरान करने वाली अकाल मौत

डीएन ब्यूरो

योगाचार्य डॉक्टर पवन सिंघल की अकाल मौत ने कई सवाल खड़े कर दिये हैं। क्या नियमित योगाभ्यास करने वाले शख्स को भी साइलेंट अटैक आ सकता है? पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

स्वास्थ्य की खबर
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अशोक नगर: स्वस्थ तन और मन के लिये योग बेहद जरूरी माना जाता है। कोई इंसान यदि रोजाना और नियमित तौर पर योगाभ्यास करे तो उसके स्वस्थ और लंबे समय तक जीवित रहने के चांस बढ़ जाते हैं। लेकिन यदि कोई व्यक्ति रोज योग करे, फिट रहने के लिये जो जरूरी हो वो सब कुछ करे, उसके देश और दुनिया में लाखों प्रशंसक भी हों, लोग उससे उर्जा पातें हों, प्रेरित होतें हों और एक दिन उस फिट और खुशमिजाज शख्स की अचानक मौत हो जाये, यूं कहें कि अकाल मौत हो जाये तो कई सवाल उठने स्वाभाविक हो जाते हैं। 

आज हम आपके लिये एक ऐसी ही दर्दनाक खबर लेकर आये हैं, जो बेहद चौंकाने वाली हैं, चिंताजनक है, जागरूक और सावधान करने वाली है और कई सवाल खड़े करने वाली भी है। इसलिये ये खबर हर व्यक्ति और हमारे समाज के लिये बेहद जरूरी भी। हम बात कर रहे हैं, देश और दुनिया की एक चर्चित शख्सियत, चिकित्सक और योगाचार्य के बारे में। एक फिट, सर्वसंपन्न और खुशमिजाज व्यक्ति के बारे में। 

मौत से उठे सवाल

खबर है मध्य प्रदेश के अशोक नगर जनपद से। पेश से वेटरनी डॉक्टर और मशहूर योगाचार्य डॉक्टर पवन सिंघल लंबसे समय से लोगों को योग के जरिये सेहतमंद रहने का तरीका सिखाते थे, लेकिन अब 54 साल की उम्र में उनका निधन हो गया। उनके निधन से कई लोग सदमे में है। उनकी मौत ने एक नई बहस को जन्म दे दिया है। सवाल ये कि आखिर स्वस्थ रहने के लिये हर जरूरी उपाय और जागरूक रहने वाले डॉक्टर पवन सिंघल की कैसे मौत हो गई। उनकी मौत से उठे सवालों का जवाब जानने से पहले हम आपको बताएंगे कि आखिर कौन थे डॉक्टर अशोक सिंघल और क्या कुछ हुआ उनके साथ। 

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डॉक्टर पवन सिंघल की मौत

डॉ. पवन सिंघल पशुपालन विभाग में सीनियर सर्जन थे। वे एक रिकॉर्डधारी योगाचार्य भी थे। उनके नाम 11 घंटे में 100 किलोमीटर दौड़ने और 8 घंटे में 3600 सूर्य नमस्कार करने के रिकॉर्ड में दर्ज है। उन्होंने 17 बार रक्तदान भी किया था। इसलिए लोग उन्हें 'योग पुरुष' भी कहते थे। इसके अलावा उनकी ऑनलाइन योग क्लासेज में मध्य प्रदेश, राजस्थान, उत्तर प्रदेश, दिल्ली, देहरादून समेत देश के अलग-अलग हिस्सों से प्रतिदिन सैकड़ों शिष्य जुड़ते थे। अब हम आपको बतातें हैं कैसे हुई डॉक्टर पवन सिंघल की मौत।

जानकारी के मुताबिक डॉक्टर सिंघल हर रोज की तरह रविवार की रात को 2 बजे उठे। हमेशा की तरह उन्होने स्नान किया। पूजा की और इसके बाद घर पर ही डेढ़ घंटे योग किया। इसके बाद उन्होंने मंदिर जाने के लिए तीन किलोमीटर की दौड़ लगाई। फिर हमेशा की तरह वे कार लेकर योग सिखाने तुलसी सरोवर पार्क के रवाना हो गये। लेकिन वे पार्क पहुंचते और वहां शिष्यों व अन्य लोगों को योग सिखाते, इससे पहले ही उनकी मौत हो गई। उनको कुछ लोगों ने कार के अंदर लेटा देखा। शिष्य भी मौके पर पहुंचे और उनको कार से अस्पताल ले जाया गया। जहां चिकित्सकों ने डॉक्टर पवन सिंघल को मृत घोषित कर दिया। डॉक्टरों ने बताया कि उनकी नेचुरल डेथ हुई इसलिये उनका पोस्टमार्टम भी नहीं कराया गया। डॉक्टरों ने बताया कि मौत का असली साइलेंट अटैक था। साइलेंट अटैक के कारण ही वे कार की सीट पर ही गिर गए थे। 

बताया जाता है कि योगाचार्य डॉ. सिंघल का खान-पान बेहद संतुलित था। उन्होंने एक माह से नमक व शक्कर खाना पूरी तरह बंद कर दिया था। नवरात्र में वे 10 दिन सिर्फ नींबू पानी पीते थे, एक बार तो उन्होंने फल व ड्राई फ्रूट का सेवन भी बंद कर दिया। वे सिर्फ पांच घंटे ही नींद लेते थे। सर्दियों में भी उन्होंने गर्म कपड़े नहीं पहने। योगाचार्य के निधन की ये घटना शहर और सोशल मीडिया पर बहस का विषय बन गई है।

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योगाचार्य डॉक्टर पवन सिंघल की मौत ने कई सवाल खड़े कर दिये हैं। ऐसे फिट शख्स को कैसे साइलेंट अटैक आ सकता है, सबसे बड़ा सवाल ये उठ रहा है। अक्सर कहा जाता है कि खराब जीवन शैली, तनाव और गलत-खान पान के कारण दिल  कमजोर हो जाता है। लेकिन ये घटना उलट है। यहां सब कुछ ठीक दिखाई देता है।

वैसे साइलैंट अटैक आज एक बड़ा किलर बन गया है। चौंकाने वाली बात यह है कि ये किसी भी उम्र के फिट और एक्टिव इंसान को भी अपनी चपेट में ले सकता है। बताया जाता है कि साइलेंट हार्ट अटैक एक ऐसा दिल का दौरा होता है, जिसमें हार्ट अटैक के लक्षण जैसे सीने में दर्द, पसीना आना या सांस फूलना जैसे लक्षण सामने नहीं आते। इसलिये समय समय पर डॉक्टर की परामर्श जरूर लें।

डॉ. पवन सिंघल की मौत ने हर किसी को हैरान कर दिया है, सोशल मीडिया पर कई तरह की चर्चाएं हो रही है। कुछ लोग योग और एलोप़ॉथी पर भी बात कर रहे हैं। कई डॉक्टर्स भी रिएक्शंस दे रहे हैं। राजेंद्र इंस्टीट्यूट ऑफ मेडिकल साइंसेज, रांची के न्यूरो एंड स्पाइन सर्जन डॉक्टर विकास कुमार ने अपने एक्स अकाउंट पर लिखा है कि, "बहुत लोग जो योग करते हैं, वो एलोपैथिक मेडिसिन में यकीन नहीं रखते हैं या यूं कहे कि इसे नकार देते हैं। वे लिखते हैं कि मैंने अपनी ओपीडी में कई लोगों को देखा है, जिनकी बीपी और शुगर बहुत बढ़ी हुई है और वो दवा छोड़कर सिर्फ योग के पीछे लगे हैं। सोचने वाला सवाल ये है कि क्या हम दोनों का प्रयोग करके सेहतमंद नहीं रह सकते हैं ? योग और मेडिसिन में लड़ाई क्यों ?? दोनों का अपना अलग-अलग काम है." यानी डॉक्टर विकास कुमार दोनों को साथ लेकर चलने की बात करते हैं।

कुल मिलाकर बाहर से स्वस्थ और तंदुरस्त दिखने वाला व्यक्ति अंदर से भी स्वस्थ हो, ऐसा जरूरी नहीं है। इसलिये नियमित रूप से डॉक्टर से हेल्थ जरूर चेक कराएं। समय-समय पर अपनी सेहत संबंधी हर जानकारी के लिये डॉक्टर से जरूर सलाह लें।
 










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