बीआरएस ने ‘डीपफेक’ तकनीक के इस्तेमाल को लेकर कांग्रेस के खिलाफ निर्वाचन आयोग से शिकायत की

तेलंगाना में भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) ने कांग्रेस के खिलाफ निर्वाचन आयोग (ईसी) में शिकायत दर्ज कराई है कि पार्टी ने मनगढ़ंत सामग्री बनाने के लिए ‘डीपफेक’ तकनीक का इस्तेमाल किया है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 30 November 2023, 5:01 PM IST
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हैदराबाद:  तेलंगाना में भारत राष्ट्र समिति (बीआरएस) ने कांग्रेस के खिलाफ निर्वाचन आयोग (ईसी) में शिकायत दर्ज कराई है कि पार्टी ने मनगढ़ंत सामग्री बनाने के लिए ‘डीपफेक’ तकनीक का इस्तेमाल किया है।

बीआरएस ने आरोप लगाया है कि कांग्रेस ने मुख्यमंत्री एवं बीआरएस अध्यक्ष के. चंद्रशेखर राव (केसीआर) और राज्य में विधानसभा चुनाव लड़ रहे पार्टी के अन्य प्रमुख नेताओं और उम्मीदवारों को इस तकनीक का इस्तेमाल करके निशाना बनाया है।

‘डीपफेक’ तकनीक शक्तिशाली कंप्यूटर और तकनीक का उपयोग करके वीडियो, छवियों, ऑडियो में हेरफेर करने की एक विधि है।

मुख्य निर्वाचन आयुक्त, तेलंगाना के मुख्य निर्वाचन अधिकारी और राज्य के पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) को संबोधित शिकायत में बीआरएस ने कहा कि विश्वसनीय स्रोतों से जानकारी मिली है कि तेलंगाना प्रदेश कांग्रेस कमेटी (टीपीसीसी) ‘डीपफेक’ तकनीक और कृत्रिम बुद्धिमत्ता के इस्तेमाल के जरिये ‘‘फर्जी ऑडियो और वीडियो’’ सामग्री बनाने और इसके प्रसार में ‘‘शामिल’’ है।

इसमें कहा गया है कि मनगढ़ंत सामग्री में केसीआर, के. टी. रामा राव, मंत्री हरीश राव, विधान परिषद सदस्य (एमएलसी) के. कविता और चुनाव मैदान में खड़े पार्टी के अन्य उम्मीदवारों सहित बीआरएस के प्रमुख नेताओं को निशाना बनाया गया है।

बीआरएस ने टीपीसीसी द्वारा तकनीक का कथित तौर पर गैरकानूनी इस्तेमाल किये जाने के खिलाफ तत्काल कार्रवाई की मांग की।

बीआरएस ने शिकायत में कहा कि ऐसी आशंका है कि हेरफेर करके बनाई गई इस सामग्री को विभिन्न सोशल मीडिया मंचों पर प्रसारित किया गया है। इसमें कहा गया है कि टीपीसीसी को मीडिया प्रारूप में ऐसी भ्रामक सामग्री बनाने और प्रसारित करने से रोकने के लिए आवश्यक कार्रवाई की जानी चाहिए।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार कविता ने ‘एक्स’ पर एक पोस्ट में कहा, ‘‘प्रिय मतदाताओं, आइए सतर्क रहें! हताश पार्टियां तेलंगाना में फर्जी खबरें फैला रही हैं! फर्जी खबरों को अपने फैसलों पर हावी न होने दें। किसी जानकारी या सूचना पर विश्वास करने या साझा करने से पहले इसे सत्यापित करें।’’

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