बलात्कर की शिकायत के बाद महिला ने सहमति से संबंधों की बात स्वीकारी, हाई कोर्ट ने लगाया जुर्माना

डीएन ब्यूरो

बंबई उच्च न्यायालय ने छह साल पहले एक व्यक्ति पर दुष्कर्म करने और दो बार उसका गर्भपात कराने के लिए मजबूर करने का आरोप लगाने वाली तथा बाद में सहमति से संबंध बनाना स्वीकार करने वाली महिला के खिलाफ मुकदमा खर्च के तौर पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

बंबई उच्च न्यायालय
बंबई उच्च न्यायालय


मुंबई:  बंबई उच्च न्यायालय ने छह साल पहले एक व्यक्ति पर दुष्कर्म करने और दो बार उसका गर्भपात कराने के लिए मजबूर करने का आरोप लगाने वाली तथा बाद में सहमति से संबंध बनाना स्वीकार करने वाली महिला के खिलाफ मुकदमा खर्च के तौर पर 25 हजार रुपये का जुर्माना लगाया है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक न्यायमूर्ति अनुजा प्रभुदेसाई और न्यायमूर्ति एन आर बोरकर की पीठ ने 20 सितंबर को यह आदेश दिया जिसकी प्रति मंगलवार को उपलब्ध हुई। अदालत ने अपने आदेश में कहा कि महिला ने यह भी स्वीकार किया था कि उसने अपनी इच्छा से गर्भपात कराया था।

मामले में आरोपी ने प्राथमिकी रद्द कराने के लिए उच्च न्यायालय का रुख किया था।

अदालत ने अपने आदेश में रेखांकित किया, ‘‘शिकायतकर्ता ने हलफनामा दायर कर कहा कि याचिकाकर्ता (आरोपी) के साथ संबंध सहमति से बने थे और उसने गर्भपात कराने का फैसला सोच समझ कर लिया क्योंकि वह कानूनी रूप से शादीशुदा नहीं थी। महिला का दावा है कि उसकी पहले से ही किसी अन्य व्यक्ति से शादी हो चुकी है और उसका एक बच्चा भी है और वह शांतिपूर्ण पारिवारिक जीवन जी रही है। उसने प्राथमिकी और उसके बाद की सभी कार्यवाही को रद्द करने के लिए अपनी सहमति दे दी है।’’

पीठ ने निर्देश दिया कि प्राथमिकी को रद्द कर दिया जाए, लेकिन साथ ही महिला से कहा कि वह दो सप्ताह के भीतर मुंबई स्थित टाटा मेमोरियल अस्पताल में मुकदमा लागत के रूप में 25,000 रुपये का भुगतान करे।

 










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