Motivational Story: बिहार की रुक्मिणी की चारों ओर चर्चा, बच्चे को जन्म देने के बाद किया ये शानदार काम

डीएन ब्यूरो

बिहार के बांका जिला में एक महिला अस्पताल में बच्चे को जन्म देने के कुछ घंटे बाद दसवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा देने के लिए एंबुलेंस से परीक्षा केंद्र पहुंची। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

(फाइल फोटो )
(फाइल फोटो )


बांका (बिहार): बिहार के बांका जिला में एक महिला अस्पताल में बच्चे को जन्म देने के कुछ घंटे बाद दसवीं कक्षा की बोर्ड परीक्षा देने के लिए एंबुलेंस से परीक्षा केंद्र पहुंची।

बांका जिले के सरकारी स्कूल में पढ़ने वाली रुक्मिणी कुमारी (22) बुधवार से शहर में चर्चा का विषय बनी हुई हैं जब उन्होंने सुबह बच्चे को जन्म दिया और तीन घंटे बाद विज्ञान विषय की परीक्षा देने परीक्षा केंद्र पहुंच गयीं।

रुक्मिणी ने डॉक्टर और परिवार के सदस्यों की स्वास्थ्य लाभ लेने की सलाह मानने से इनकार कर दिया और एक एंबुलेंस पर सवार होकर परीक्षा देने परीक्षा केंद्र पहुंच गयीं।

बांका के जिला शिक्षा अधिकारी पवन कुमार ने फोन पर ‘पीटीआई-भाषा’ को बताया, ‘‘यह साबित करता है कि महिलाओं की शिक्षा पर सरकार के जोर को बढ़ावा मिला है। अनुसूचित जाति से संबंधित रुक्मिणी सभी के लिए प्रेरणा बन गई हैं।’’

पत्रकारों से बातचीत में रुक्मिणी ने कहा, ‘‘मंगलवार से मुझे कुछ परेशानी हो रही थी जब मैंने गणित की परीक्षा दी थी पर पेपर अच्छा गया था। मैं विज्ञान के बारे में उत्साहित थी जिसकी परीक्षा अगले दिन होने वाली थी। लेकिन मुझे देर रात अस्पताल जाना पड़ा। सुबह छह बजे मैंने एक बच्चे को जन्म दिया।’’

अस्पताल में महिला का इलाज करने वाले डॉक्टर भोला नाथ के अनुसार, ‘‘शुरुआत में हमने रुक्मिणी को मनाने की कोशिश की कि वह परीक्षा न दें क्योंकि बच्चे के जन्म की कठिनाइयों ने उनके स्वास्थ्य पर असर डाला था लेकिन वह अड़ी रहीं। इसलिए, हमने एक एंबुलेंस व्यवस्था की और किसी भी आपात स्थिति में उनकी सहायता के लिए कुछ पैरामेडिकल कर्मियों की तैनाती की।’’

रुक्मिणी ने कहा, ‘‘मैं चाहती हूं कि मेरा बच्चा अच्छी तरह से पढ़ाई करे और बड़ा होने पर एक मुकाम हासिल करे, इसलिए मैं खुद को नहीं रोक पायी थी।’’

महिला ने बताया, ‘‘मेरा विज्ञान का पेपर भी अच्छा गया। मुझे उम्मीद है कि मैं अच्छा स्कोर करूंगी।’’ डॉक्टर भोला नाथ ने कहा, ‘‘मुझे संतोष है कि मां और बच्चा दोनों स्वस्थ हैं और रुक्मिणी बेहतर शिक्षा पाने की अपनी महत्वाकांक्षा को पूरा करने में सक्षम हो सकी हैं।’’

 










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