SC: सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला, सिटीजनशिप एक्ट की धारा 6A की वैधता बरकरार

नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए पर फैसले में सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि असम में प्रवेश और नागरिकता प्रदान करने के लिए 25 मार्च, 1971 तक की समय सीमा सही है। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 17 October 2024, 1:34 PM IST
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नई दिल्ली: सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) के बहुमत से लिए गए फैसले में नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए की संवैधानिक वैधता को बरकरार रखने का फैसला लिया है। यह एक्ट असम (Assam) में प्रवासियों को नागरिकता प्रदान करती है। भारत (India) के प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति एम एम सुंदरेश और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा ने नागरिकता अधिनियम (Citizenship Act) की धारा 6ए की वैधता पर सहमति जताई। 

न्यायमूर्ति जे.बी. पारदीवाला ने अल्पमत का अपना फैसला सुनाते हुए असहमति जताई और नागरिकता अधिनियम की धारा 6ए को असंवैधानिक करार दिया। सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने केंद्र और राज्य सरकार से अवैध बांग्लादेशी प्रवासियों (Bangladeshi immigrants) की पहचान, पता लगाने और निर्वासन के लिए असम में तत्कालीन सर्बानंद सोनोवाल सरकार में NRC को लेकर दिए गए निर्देशों को प्रभावी ढंग से लागू करने के लिए कहा है। सुप्रीम कोर्ट अब से इस पहचान और निर्वासन प्रक्रिया (Deportation process) की निगरानी करेगी। 

क्या है सिटीजनशिप एक्ट
दरअसल, सिटीजनशिप एक्ट (Citizenship Act) की धारा 6A को 1985 में असम समझौते को आगे बढ़ाने के लिए संशोधन के बाद जोड़ा गया था। असम समझौते के तहत भारत आने वाले लोगों की नागरिकता के लिए एक विशेष प्रावधान के रूप में नागरिकता अधिनियम में धारा 6ए जोड़ी गई थी। 

इस धारा में कहा गया है कि जो लोग 1985 में बांग्लादेश समेत क्षेत्रों से 1 जनवरी 1966 या उसके बाद, लेकिन 25 मार्च 1971 से पहले असम आए हैं और तब से वहां रह रहे हैं, उन्हें भारतीय नागरिकता (Indian citizenship) प्राप्त करने के लिए धारा 18 के तहत अपना रजिस्ट्रेशन कराना होगा। इस प्रावधान ने असम में बांग्लादेशी प्रवासियों को नागरिकता देने की अंतिम तारीख 25 मार्च 1971 तय कर दी। 

संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाते हुए 17 याचिकाएं की गई थीं दाखिल 
इससे पहले पीठ ने फैसला सुरक्षित रखने से पहले चार दिनों तक अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणी, सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता, वरिष्ठ अधिवक्ता श्याम दीवान, कपिल सिब्बल और अन्य की दलीलें सुनीं थीं।

बता दें कि धारा 6ए की संवैधानिक वैधता पर सवाल उठाते हुए 17 याचिकाएं दाखिल की गई थीं। धारा 6ए को असम समझौते के तहत संविधान के नागरिकता अधिनियम (Citizenship Act) में शामिल लोगों की नागरिकता से निपटने के लिए एक विशेष प्रावधान के रूप में शामिल किया गया था। 

सुप्रीम कोर्ट ने क्या कहा
गुरुवार को सुप्रीम कोर्ट (Supreme Court) ने कहा, 6ए उन लोगों को नागरिकता प्रदान करता है, जो जुलाई 1949 के बाद प्रवासित हुए। लेकिन नागरिकता के लिए आवेदन नहीं किया। उन्होंने कहा, S6A उन लोगों को नागरिकता प्रदान करता है जो 1 जनवरी 1966 से पहले प्रवासित हुए थे। इस प्रकार यह उन लोगों को नागरिकता प्रदान करता है जो अनुच्छेद (Article) 6 और 7 के अंतर्गत नहीं आते हैं।  

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को नागरिकता अधिनियम 1955 की धारा 6ए की वैधता बरकरार रखी और 4:1 के बहुमत से फैसला दिया। जस्टिस जे पारदीवाला ने असहमति जताई। जस्टिस पारदीवाला का कहना था कि यह संभावित प्रभाव से असंवैधानिक है।