DN Exclusive बलरामपुर: शिक्षा का बुनियादी ढांचा जर्जर, बदहाली पर आंसू बहा रहा 107 साल पुराना कॉलेज

डीएन संवाददाता

बलरामपुर गर्ल्स इंटर कॉलेज का भवन लगभग 150 साल पुराना है लेकिन इस प्रतिष्ठित और 'बुजुर्ग' कॉलेज की सुध लेने वाला कोई नहीं है। पूरे कॉलेज में बदहाली का आलम इस कदर गहराया हुआ है कि यहां पढ़ने वाले छात्रों को भी पता नहीं कि कब इसकी कोई छत या दीवार उनके उपर गिर जाये। डाइनामाइट न्यूज़ की एक्सक्लूसिव रिपोर्ट..



बलरामपुर: सरकार शिक्षा संबंधी इंफ्रास्ट्रक्चर को सुधारने की कवायद में भले ही जुटी हो लेकिन कई मर्तबा सरकार का ये दावा झूठा नजर आता है। इसका अव्वल उदाहरण जिले का 107 वर्ष पुराना बलरामपुर गर्ल्स इंटर कॉलेज है, जो प्रशासनिक उपेक्षा के कारण जर्जर स्थिति में पहुंच गया है और दम तोड़ता हुआ नजर आ रहा है।

 

 

अधिकारियों की संवेदनहीनता 

जिला विद्यालय निरीक्षक के निर्देशन में चल रहा यह कॉलेज शिक्षा के बुनियादी ढांचे को बेहतर बनाने में जुटे अधिकारियों की संवेदनशीलता और जिम्मेदारियों की भी पोल खोलता है। किसी को पता नहीं कि एकदम जर्जर हो चुके इस विद्यालय की छत या दिवारें कब गिर पड़े। बलरामपुर गर्ल्स इंटर कॉलेज का भवन लगभग 150 वर्ष पुराना है लेकिन विद्यालय को मान्यता मिले लगभग 107 वर्ष पूरे हो चुके है। देख-रेख के अभाव में बिल्डिंग पूरी तरह जर्जर हो चुकी है। 

 

 

प्राइमरी सेक्शन में नहीं शिक्षक

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इसके ऊपर हैरानी इस बात की भी है कि विद्यालय के प्राइमरी सेक्शन के लिए एक भी शिक्षक नहीं है। प्राइमरी सेक्सन बाहर से प्राइवेट स्तर पर बुलाए गए शिक्षकों के भरोसे संचालित होती है। प्रशासनिक उपेक्षा का दंश झेल रहे इस स्कूल का अस्तित्व बस कुछ चंद शिक्षकों के दम पर ही टिका हुआ है। 

विद्यालय का संचालन राम भरोसे

विद्यालय के शिक्षक अविनाश मिश्र ने डाइनामाइट न्यूज़ को बताया कि विद्यालय का संचालन राम भरोसे हो रहा है। भवन पूर्ण रूप से जर्जर है, जिसके चलते कभी भी कोई बड़ी दुर्घटना हो सकती है। उन्होंने यह भी बताया की पूर्व में एक छात्रा यहां दुर्घटना का शिकार हो चुकी है जिसकी इलाज के दौरान मौत हो गई थी।

 

 

शौचालय-पानी कुछ भी सुलभ नहीं 

डाइनामाइट न्यूज़ को शिक्षिका वन्दना पाण्डेय ने बताया कि विद्यालय में छात्राओं की संख्या के अनुरूप शौचालय नहीं है। जिससे छात्राओं के साथ साथ शिक्षिकाओं को भी काफी असुविधा होती है। विद्यालय में 2500 छात्राएं हैं और सिर्फ एक नल के सहारे जल आपूर्ति हो रही है।

परिषदीय विद्यालय में जिस तरह बिना द्रोणाचार्य के नौनिहालों को अर्जुन बनाने की तैयारी चल रही है। वहीं माध्यमिक विद्यालय भी इस मामले में पीछे नहीं है। विद्यालय में कुल 54 शिक्षकों के सापेक्ष 13 शिक्षकों की तैनाती है। विद्यालय के प्रधानाचार्य को मिलाकर कुल 14 स्टाफ विद्यालय में तैनात है। आश्चर्य की बात तो यह है कि यहां प्राइमरी सेक्सन के लिए किसी भी शिक्षक की नियुक्ति ही नही है। यहां की शिक्षा व्यवस्था 15 पार्ट टाइम टीचरों के भरोसे संचालित हो रही है।

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प्रधानाचार्या ने कहा- कोई नहीं करता सुनवाई

डाइनामाइट न्यूज़ से बातचीत में विद्यालय की प्रधानाचार्या रेखा देवी ने बताया कि इस विषय में कई बार उच्चाधिकारियों को अवगत कराया जा चुका है लेकिन कोई सुनवाई नहीं हुई। विद्यालय की शिक्षा पूरी तरह भगवान भरोसे संचालित है।

 

 

विद्यालय की छतों से बरसात में टपकता पानी

एक ओर जहां जिला प्रशासन जिले को ओडीएफ बनाने में जुटा है वहीं दूसरी ओर विद्यालयों में शौचालयों की स्थिति अत्यंत दयनीय है। छात्राओं ने बताया कि यहां शौचालय की समस्या है। जिससे उन्हें काफी कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है। उन्होंने बताया कि विद्यालय में दो नल है जिसमें में से एक से दूषित पानी आता है। विद्यालय की विद्युति आपूर्ति भी जर्जर तारों के सहारे होती है। उन्होंने बताया कि विद्यालय की छतों से बरसात में पानी टपकता है और प्लास्टर भी छूट कर गिरता है, जिससे उन्हें डर लगता है।

जिम्मेदार बोल

पूरे मामले में जब जिला विद्यालय निरीक्षक महेन्द्र कुमार कन्नौजिया से बातचीत की गयी तो उन्होंने काफी गैर जिम्मेदाराना बयान दिया। उन्होंने कहा कि निर्देशित किया गया है कि जर्जर 
भवन में बच्चों को न बैठाएं। लेकिन बच्चों को कहा बैठाया जाए इसका जवाब वह नहीं दे सके। उन्होंने कहा कि सभी बिन्दुओं पर शीघ्र ही कार्य करवाया जाएगा। विद्यालय में जो कमियां है उन्हें अतिशीघ्र दूर किया जायेगा।










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