बलरामपुर की बदहाल सड़कों ने खोली सीएम की गड्डा मुक्त सड़कों के दावों की पोल

यूपी की सत्ता संभालते ही सीएम योगी आदित्यनाथ नाथ ने 15 दिनों में प्रदेश की सड़कों को गड्ढ़ा मुक्त बनाने की घोषणा की थी, हलांकि सीएम की इस घोषणा पर अमल भी हुआ लेकिन सड़कें बनाने वाली कंपनियों की लापरवाही से सड़कें फिर गड्डों में तब्दील हो गयी। पूरी खबर..

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 2 August 2018, 7:44 PM IST
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बलरामपुर: यूपी में सरकार बदली, निजाम बदले पर बलरामपुर की सड़कों की सूरत नहीं बदली। योगी आदित्यनाथ नाथ ने सीएम बनते ही फरमान जारी किया था कि 15 दिनों में प्रदेश की सड़के गड्ढ़ा मुक्त हो जाएगी। फरमान सीएम का था तो उस पर अमल भी हुआ। सड़कों को गड्ढ़ा मुक्त करने के नाम पर जिलों में लाखों रूपए का व्यय हुए लेकिन सड़कें आज भी गड्ढ़ा मुक्त नहीं हुई।

नगर क्षेत्र की सड़कों पर चलना किसी रोमांचक यात्रा से कम नहीं है। यह पता लगाना भी मुश्किल है कि सड़कों पर गड्ढा है या गड्ढे में सड़क। नगर क्षेत्र से गोंडा जाने वाली रोड की कुछ ऐसी हालत है। थोड़ी सी ही बरसात में सड़कें तालाब का रूप ले लेती है। जिम्मेदारों की उदासीनता से स्थिति दिन प्रतिदिन और दुस्वार होती जा रही है।

सरकारी धन का दुरूपयोग

सीएम योगी आदित्यनाथ के फरमान के बाद इन सड़कों पर युद्धस्तर पर काम शुरू हुआ। जिससे आम जनमानस में आस जगी की अब सड़कें चलने लायक हो जाएगी। अभियान के कुछ दिन बात ही सड़कों की गिट्टियां उजड़ कर गायब हो गई और सड़कें फिर अपनी पुराने हाल पर आ गई। वर्ष 2017 के बाद से कई बार सड़कों को गड्ढ़ा मुक्त करने का अभियान चला लेकिन सड़के अभी तक गड्ढा मुक्त नही हो सकी। बरसात शुरू होने के बाद विभाग द्वारा एक बार फिर सड़कों को गड्ढ़ा मुक्त करने का काम शुरू हुआ। इस बार सड़को को गड्ढ़ा मुक्त करने के लिए ईटो और मिट्टी का सहारा लिया जा रहा है। एक ही सड़क को बार बार गड्ढा मुक्त करने के नाम पर जमकर सरकारी धन का दुरूपयोग किया जा रहा है।

टेंडर देने में बड़ा खेल

बड़ा सवाल यह भी है कि सड़कों को गड्ढा मुक्त करने को टेंडर देने के बाद उसके गुणवक्ता की जांच क्यों नहीं करवाई जाती है। सूत्रों की माने तो टेंडर देने में बड़ा खेल होता है। अधिकारियों सेटिंग करने पर ही ठेकेदारों को काम मिलता है जिसके चलते विभागीय अधिकारी आंख मूंदो जग अंधेर की कार्यशैली अपना कर कुंभकरणी नींद में सोए रहते है।

नगर की सड़कों की भी है दुर्दशा

नगर की सड़कों पर चलना किसी खतरे से कम नही। अंबेडकर चौराहे से सिटी पैलेस रोड, डिग्री काॅलेज से भंडारखाना, राजा ड्योढ़ी से बड़ापुल, सिटी पैलेस से खलवा, टेढ़ी बाजार व कालीथान से मेजर चौराहा सहित अन्य सड़कों ही हालत जर्जर है।

सड़कों से अच्छी है नगर की गलियां

हम यदि बात नगर की गलियों की करें तो उनकी हालत सड़को से बेहतर है। पूर्व चेयरमैन इशरत जमाल द्वारा नगर की लगभग सभी गलियों की इंटरलाकिंग करवाई गई थी। जिससे उनकी स्थिती सड़को से कही बेहतर है। वहीं वर्तमान नगर पालिका अध्यक्षा किताबुननिशा  द्वारा सड़कों की हालत पर ध्यान देना तो दूर की बात है बरसात के समय में बनी बनाई पटरियों को उजाड़ कर सड़को पर काम करवाया जा रहा है। जिससे स्थिती और भी खराब हो गई है।

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