Asian Games: एशियाड स्वर्ण पदक विजेता सुदीप्ति हजेला ने कहा,अगला लक्ष्य ओलंपिक में सोना जीतना

डीएन ब्यूरो

एशियाई खेलों की घुड़सवारी प्रतियोगिता के टीम ड्रेसेज वर्ग में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीतने वाली टीम में शामिल सुदीप्ति हजेला का अगला लक्ष्य इस सुनहरी उपलब्धि को ओलंपिक खेलों में दोहराना है। उनका कहना है कि जब तक वह ओलंपिक में देश के लिए सोना नहीं जीत लेतीं, तब तक उनका सफर जारी रहेगा। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

एशियाड स्वर्ण पदक विजेता सुदीप्ति हजेला
एशियाड स्वर्ण पदक विजेता सुदीप्ति हजेला


इंदौर: एशियाई खेलों की घुड़सवारी प्रतियोगिता के टीम ड्रेसेज वर्ग में भारत के लिए स्वर्ण पदक जीतने वाली टीम में शामिल सुदीप्ति हजेला का अगला लक्ष्य इस सुनहरी उपलब्धि को ओलंपिक खेलों में दोहराना है। उनका कहना है कि जब तक वह ओलंपिक में देश के लिए सोना नहीं जीत लेतीं, तब तक उनका सफर जारी रहेगा।

हजेला रविवार को गृहनगर इंदौर लौटीं जहां हवाई अड्डे पर महापौर पुष्यमित्र भार्गव और अन्य लोगों ने उनका ढोल-नगाड़ों की थाप पर जोरदार स्वागत किया। उन्हें हवाई अड्डे से खुली जीप में सवार करके शहर की सड़कों पर जुलूस निकाला गया। जुलूस में तिरंगे झंडे वाली कई गाड़ियों का काफिला चल रहा था।

भारत ने चीन के हांगझोउ में 26 सितंबर (मंगलवार) को एशियाई खेलों की घुड़सवारी प्रतियोगिता के टीम ड्रेसेज वर्ग में शीर्ष पर रहकर स्वर्ण पदक के 41 साल के इंतजार को खत्म किया। एड्रेनेलिन फिरफोड पर सवार दिव्यकीर्ति सिंह, हृदय विपुल छेड़ा (चेमक्सप्रो एमरेल्ड) और अनुश अग्रवाला (एट्रो) ने कुल 209.205 प्रतिशत अंक के साथ शीर्ष स्थान हासिल किया। हजेला भी टीम का हिस्सा थीं, लेकिन सिर्फ शीर्ष तीन खिलाड़ियों के स्कोर गिने जाते हैं।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार हजेला ने इंदौर में संवाददाताओं से कहा,‘‘भारत के लिए स्वर्ण पदक जीतने वाली टीम का हिस्सा होना मेरे लिए गर्व की बात है। अब मेरा अगला लक्ष्य ओलंपिक में देश के लिए स्वर्ण पदक जीतना है। जब तक मैं ओलंपिक में स्वर्ण पदक नहीं जीत लेती, तब तक मेरा सफर जारी रहेगा।’’

घुड़सवारी की 21 वर्षीय खिलाड़ी ने बताया कि वह पिछले दो साल से फ्रांस में प्रशिक्षण ले रही थीं और कोविड-19 के प्रकोप से पहले एशियाई खेलों के चयन ट्रायल की तैयारी कर रही थीं। उन्होंने कहा,‘‘इस मुकाम तक पहुंचने का सफर कतई आसान नहीं था, लेकिन अब लगता है कि मेरा हर प्रयास बेहद कीमती था।’’

हजेला ने यह भी कहा कि देश की महिलाओं को कभी हार नहीं माननी चाहिए। उन्होंने कहा,‘‘अगर झांसी वाली रानी लक्ष्मीबाई मुश्किलों से लड़ी थीं, तो उनसे प्रेरणा लेकर हम भी अपने जीवन में बहुत कुछ कर सकते हैं।’’

सुदीप्ति के पिता मुकेश हजेला ने कहा,‘‘अपनी बेटी की उपलब्धि पर मैं बेहद गौरवान्वित हूं। आपके लिए उससे बड़ा दिन कोई नहीं हो सकता, जब आपको आपके बच्चों के नाम से पहचाना जाए।’’

उन्होंने बताया कि उनकी बेटी छह साल की उम्र से घुड़सवारी सीख रही है। सुदीप्ति के पिता ने कहा,‘‘मेरी बेटी हमारे घर से ज्यादा अस्तबलों में रही है। उसने शून्य से शीर्ष तक का सफर तय किया है।’’










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