अरुणाचल प्रदेश: बाघ के कारण राष्ट्रीय उद्यान में लकड़ियों के अवैध डिपो का पता लगा

डीएन ब्यूरो

अरुणाचल प्रदेश के नमदाफा राष्ट्रीय उद्यान एवं बाघ अभयारण्य के बाहर एक मानव बस्ती के पास बाघ दिखाई देने से उद्यान के बीचों-बीच लकड़ियों के अवैध डिपो का खुलासा हुआ है। एक वरिष्ठ जिला अधिकारी ने यह जानकारी दी।पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

अरुणाचल प्रदेश के नमदाफा राष्ट्रीय उद्यान एवं बाघ अभयारण्य
अरुणाचल प्रदेश के नमदाफा राष्ट्रीय उद्यान एवं बाघ अभयारण्य


ईटानगर: अरुणाचल प्रदेश के नमदाफा राष्ट्रीय उद्यान एवं बाघ अभयारण्य के बाहर एक मानव बस्ती के पास बाघ दिखाई देने से उद्यान के बीचों-बीच लकड़ियों के अवैध डिपो का खुलासा हुआ है। एक वरिष्ठ जिला अधिकारी ने यह जानकारी दी।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार इस साल जनवरी में कैमरे की फुटेज में एक बाघ डेबन वन निरीक्षण बंगले के पास नजर आया। यह आठ साल के अंतराल के बाद नमदाफा में देखा गया दूसरा बाघ है।

प्रशासन और वन विभाग के एक संयुक्त दल ने यह पता लगाने के लिए एक संयुक्त अभियान चलाया कि कोई बाघ 2015 के बाद आंतरिक इलाके से बाहर क्यों आया। इसी अभियान के दौरान राष्ट्रीय उद्यान के भीतर से बड़े पैमाने पर लकड़ियों की तस्करी के बारे में पता चला।

म्यांमा की अंतरराष्ट्रीय सीमा के पास चांगलांग जिले में नमदाफा राष्ट्रीय उद्यान 1,985 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला है, जिनमें से आंतरिक इलाका 1,808 वर्ग किलोमीटर है।

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चांगलांग के उपायुक्त सनी के सिंह के नेतृत्व वाले दल ने 14 मार्च को उद्यान के मुख्य क्षेत्र में अवैध लकड़ियों के कई डिपो का पता लगाया।

सिंह ने कहा कि लकड़ी आधारित उद्योग चांगलांग जिले में कानूनी रूप से काम करते हैं। उन्होंने कहा कि वन विभाग पेड़ों को काटने का एक कोटा निर्धारित करके परमिट जारी करता है।

उन्होंने कहा, ‘‘समस्या यह है कि लकड़ी के उद्योग से जुड़े लोग निर्धारित कोटे से अधिक पेड़ काटते हैं। उन्होंने राष्ट्रीय उद्यान के मुख्य क्षेत्र तक एक सड़क का निर्माण भी किया और पिछले साल नवंबर से पेड़ों की अवैध कटाई और उद्यान के अंदर से लकड़ियां ले जानी शुरू कीं।’’

इस अभियान के दौरान आठ लोगों को गिरफ्तार किया गया था।

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सिंह ने कहा कि आठ साल बाद मानव बस्ती के पास जनवरी में बाघ का दिखना कोई संयोग नहीं था और उन्होंने इसके लिए मपेन नाला के जलग्रहण क्षेत्र में लकड़ियों की तस्करी के लिए पेड़ों की कटाई को जिम्मेदार ठहराया।

 










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