150 महिलाओं त्याग दी अपनी मोह-माया, महाकुंभ में किया ये काम
महाकुंभ में 150 महिलाएं नागा संन्यासिनी बनीं। उन्होंने अपने सभी मोह को त्याग दिया है। डाइनामाइट न्यूज़ की इस रिपोर्ट में पढ़िए पूरी खबर
प्रयागराज: महाकुंभ से एक बड़ी खबर सामने आ रही है। बता दें, 150 महिलाओं ने मोह-माया त्यागकर संन्यास का मार्ग अपनाया। श्री पंच दशनाम जूना अखाड़ा से जुड़कर विधि-विधान से संन्यास की प्रक्रिया पूर्ण की। इस कठिन प्रक्रिया में महिलाओं ने गंगा में 108 बार डुबकी लगाई पिंडदान किया और पूर्व के सभी रिश्ते-नातों से संबंध समाप्त कर लिया।
महिलाओं ने छोड़ा अपना मोह
कहा जाता है कि महिलाएं अपने परिवार को संभालने के लिए अपनी पूरी जिंदगी लगा देती हैं। लेकिन महाकुंभ से एक बड़ी खबर सामने आई है, जहां करीब 150 महिलाओं ने अपने को इस मोह को त्याग दिया है। जी हां घर-परिवार से मोह-माया त्याग कर 150 महिलाएं वैराग्य पथ पर चल पड़ीं। श्री पंच दशनामी जूना अखाड़ा ने उन्हें नागा संन्यासिनी के रूप में स्वीकार किया। विधि-विधान से उनके संन्यास की प्रक्रिया पूरी कराई गई। भोर में गंगा स्नान के बाद सभी को सफेद वस्त्र धारण कर उनका मुंडन कराया गया। फिर सभी का पिंडदान हुआ।
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नागा संन्यासिनी बनीं 150 महिलाएं
अखाड़ों में महिलाओं को संन्यास देने की प्रक्रिया अत्यंत कठिन है। ऐसा नहीं है कि कोई सीधे आकर संन्यासी बन जाए। अखाड़ों में संपर्क करने पर संबंधित महिला के घर-परिवार, पढ़ाई, काम-काज व चारित्र की जांच कराई जाती है। जांच अखाड़े के पंच परमेश्वर के निर्देश पर गुप्त रूप से किया जाता है।
भजन-पूजन में लीन रहती हैं महिलाएं
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हर कसौटी पर खरा उतरने के बाद अखाड़े के महिला आश्रम में उन्हें रखा जाता है। कुछ को उन मंदिरों में रखा जाता है जहां महंत महिलाएं होती हैं। वहां वह भजन-पूजन में लीन रहती हैं।
108 बार लगाई डुबकी
नागा संन्यासिनी बनने वाली महिलाओं ने सुबह मंत्रोच्चार के बीच गंगा में 108 बार बिना रुके डुबकी लगाई। फिर पिंडदान कर पूर्व के समस्त रिश्ते-नातों से संबंध समाप्त कर लिया। अखाड़े की धर्मध्वजा के नीचे विजय हवन किया। इसके उपरांत विधिवत दीक्षा ली। अब नाम के अलावा उन्हें माई, अवधूतानी, संन्यासिनी अथवा साध्वी कहा जाएगा।