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Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी, “ईडी बदमाशों की तरह काम नहीं कर सकता, कानून के दायरे में रहना होगा”

सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय (ED) को फटकार लगाते हुए कहा कि एजेंसी को ‘बदमाशों की तरह’ काम करने की अनुमति नहीं दी जा सकती और उसे सख्ती से कानून के दायरे में रहकर काम करना होगा। अदालत ने ईडी द्वारा दर्ज मामलों में दोषसिद्धि की बेहद कम दर पर गंभीर चिंता व्यक्त की।
Post Published By: Poonam Rajput
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Supreme Court: सुप्रीम कोर्ट की सख्त टिप्पणी, “ईडी बदमाशों की तरह काम नहीं कर सकता, कानून के दायरे में रहना होगा”

New Delhi: सुप्रीम कोर्ट ने गुरुवार को प्रवर्तन निदेशालय (ED) को फटकार लगाते हुए कहा कि एजेंसी को ‘बदमाशों की तरह’ काम करने की अनुमति नहीं दी जा सकती और उसे सख्ती से कानून के दायरे में रहकर काम करना होगा। अदालत ने ईडी द्वारा दर्ज मामलों में दोषसिद्धि की बेहद कम दर पर गंभीर चिंता व्यक्त की।

न्यायमूर्ति सूर्यकांत, न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुयान और न्यायमूर्ति एन. कोटिश्वर सिंह की पीठ ने कहा, “हम प्रवर्तन निदेशालय की छवि को लेकर भी चिंतित हैं।” अदालत पीएमएलए (धन शोधन निवारण अधिनियम) के तहत ईडी को गिरफ्तारी की शक्तियाँ देने वाले 2022 के फैसले की समीक्षा संबंधी याचिकाओं पर सुनवाई कर रही थी।

ईडी के आंकड़े चिंताजनक: दोषसिद्धि 10% से भी कम

न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुयान ने कहा कि पिछले पाँच वर्षों में ईडी ने लगभग 5,000 ईसीआईआर (प्रवर्तन मामला सूचना रिपोर्ट) दर्ज की हैं, लेकिन दोषसिद्धि की दर 10% से भी कम है। उन्होंने दो टूक कहा, “आप बदमाश की तरह काम नहीं कर सकते। आपको कानून के दायरे में रहकर काम करना होगा।” न्यायमूर्ति भुयान ने यह भी जोड़ा कि ऐसी एजेंसी से उम्मीद की जाती है कि वह पेशेवर और निष्पक्ष ढंग से कार्य करे, क्योंकि यह सीधे नागरिकों की व्यक्तिगत स्वतंत्रता से जुड़ा मसला है।

ASG ने कहा – प्रभावशाली आरोपी प्रक्रिया का दुरुपयोग करते हैं

केंद्र सरकार और ईडी की ओर से पेश हुए अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल (ASG) एस.वी. राजू ने सुप्रीम कोर्ट में एजेंसी का बचाव करते हुए कहा कि कम दोषसिद्धि दर के लिए ईडी नहीं, बल्कि प्रभावशाली आरोपियों की कानूनी रणनीति जिम्मेदार है।
उन्होंने कहा “प्रभावशाली बदमाशों के पास वकीलों की फौज होती है। वे प्रक्रिया को लंबा खींचने के लिए अदालतों में अलग-अलग चरणों में याचिकाएं दायर करते हैं, जिससे जांच अधिकारी को केस की जांच छोड़कर अदालत के चक्कर लगाने पड़ते हैं।”

पृष्ठभूमि: क्यों हो रही है सुनवाई?

यह सुनवाई उस 2022 के ऐतिहासिक फैसले की समीक्षा याचिकाओं को लेकर हो रही है, जिसमें सुप्रीम कोर्ट ने पीएमएलए के तहत ईडी को गिरफ्तारी और पूछताछ जैसी शक्तियाँ बरकरार रखी थीं। उस फैसले के खिलाफ कई याचिकाकर्ताओं ने फिर से विचार करने की मांग की है, जिसमें कहा गया कि ईडी की शक्तियाँ नागरिक अधिकारों का उल्लंघन कर सकती हैं।

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