New Delhi: गुड्स एंड सर्विस टैक्स (GST) लागू होने के बाद से ही इसकी दरों और ढांचे को लेकर समय-समय पर सुधार की चर्चा होती रही है। अब 3-4 सितंबर को होने वाली जीएसटी काउंसिल की बैठक को लेकर देशभर में नजरें टिकी हुई हैं। इस बैठक में केंद्र सरकार टैक्स स्लैब्स को पुनर्गठित (Restructure) करने का प्रस्ताव पेश करेगी। इस सुधार से उम्मीद है कि टैक्स सिस्टम और पारदर्शी होगा तथा आम लोगों और व्यवसायों को इसका फायदा मिलेगा। लेकिन विपक्ष शासित आठ राज्यों ने इस प्रस्ताव पर गंभीर आपत्ति जताई है। उनका कहना है कि इस कदम से उन्हें हर साल 1.5 लाख करोड़ से 2 लाख करोड़ रुपये तक का राजस्व नुकसान होगा।
किन राज्यों ने जताई आपत्ति?
कर्नाटक, हिमाचल प्रदेश, झारखंड, केरल, पंजाब, तमिलनाडु, तेलंगाना और पश्चिम बंगाल इन आठ राज्यों के मंत्रियों ने शुक्रवार को एक संयुक्त बयान दिया। उन्होंने कहा कि टैक्स स्लैब में बदलाव से राज्यों की आमदनी पर सीधा असर पड़ेगा। केंद्र सरकार को इस नुकसान की भरपाई पांच साल तक मुआवजा देकर करनी चाहिए। टैक्स दरों में कटौती के बाद होने वाली मुनाफाखोरी को रोकने के लिए एक मजबूत मैकेनिज्म बनाया जाए। इन राज्यों का मानना है कि टैक्स घटने का असली लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंचे, न कि केवल व्यवसायों तक सीमित रह जाए।
लग्जरी और सिन गुड्स पर अतिरिक्त टैक्स का सुझाव
राज्यों ने यह भी सुझाव दिया है कि मौजूदा टैक्स स्लैब से मिलने वाले राजस्व को बनाए रखने के लिए लग्जरी और सिन गुड्स (जैसे शराब, सिगरेट, पान मसाला आदि) पर 40% की दर से अलग भी अतिरिक्त शुल्क लगाया जा सकता है। इससे होने वाली अतिरिक्त आय का एक हिस्सा राज्यों को दिया जाए, जिससे वे जीएसटी रिफॉर्म्स के कारण हुए नुकसान की भरपाई कर सकें।
कर्नाटक के वित्त मंत्री की चेतावनी
कर्नाटक के वित्त मंत्री कृष्ण बायरे गौड़ा ने कहा कि टैक्स स्लैब कम करने से राज्यों के जीएसटी राजस्व में 15-20% तक की गिरावट हो सकती है। जीएसटी राजस्व में 20% की कमी पूरे देश में राज्यों की वित्तीय स्थिति को अस्थिर कर देगी। दरों में कटौती से टैक्स वसूली बढ़ने का दावा भी वास्तविकता से दूर है। उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि राज्यों को कम से कम पांच साल तक मुआवजा मिलना चाहिए और जरूरत पड़ने पर इसे आगे भी बढ़ाया जाए।
पंजाब और अन्य राज्यों की मांग
पंजाब के वित्त मंत्री हरपाल सिंह चीमा ने कहा कि टैक्स कटौती का लाभ उपभोक्ताओं तक पहुंचे, इसके लिए मुनाफाखोरी रोकने की व्यवस्था होनी चाहिए। उन्होंने राजस्व संरक्षण की गणना के लिए 2024-25 को आधार वर्ष मानने की भी मांग की। इसी तरह, केरल, तमिलनाडु और तेलंगाना ने भी कहा कि अगर केंद्र सरकार सुधार लागू करती है तो राज्यों के अधिकार और वित्तीय स्वायत्तता प्रभावित नहीं होनी चाहिए।
केंद्र की रणनीति और विपक्ष की चुनौती
केंद्र सरकार का मानना है कि टैक्स दरों को युक्तिसंगत (Rationalize) करने से जीएसटी का ढांचा और मजबूत होगा और व्यापार जगत को सरल व्यवस्था मिलेगी। लेकिन विपक्षी राज्यों का कहना है कि जब तक उन्हें राजस्व का भरोसा नहीं मिलता, तब तक वे इस सुधार का समर्थन नहीं कर सकते। केंद्र के सामने चुनौती यह है कि सुधारों को आगे बढ़ाते हुए राज्यों की आशंकाओं को दूर करना और मुआवजा तंत्र को स्पष्ट करना।