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एक बार फिर सामने आया भाषा विवाद, मराठी को लेकर पनवेल में हुआ हंगामा; जानें पूरा मामला

मराठी भाषा को लेकर इन दिनों काफी विवाद सामने आ रहा है। खासकर मुंबई या उससे सटे इलाकों में भाषा को लेकर लड़ाई-झगड़े कुछ ज्यादा ही देखने मिल रहे हैं। एक ऐसा ही केस अब पनवेल से सामने आया है।
Post Published By: Mrinal Pathak
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एक बार फिर सामने आया भाषा विवाद, मराठी को लेकर पनवेल में हुआ हंगामा; जानें पूरा मामला

Mumbai: मुंबई के नजदीक पनवेल स्थित गोदरेज सिटी सोसाइटी में एक विवाद ने तूल पकड़ लिया है, जो मराठी भाषा को लेकर हुआ। सोशल मीडिया पर वायरल हुए एक वीडियो में, विजय चंदेल नामक ट्रैवल ब्लॉगर कह रहे हैं कि वह एक भारतीय हैं और सिर्फ हिंदी बोलेंगे। उनका यह बयान उस समय आया जब सोसाइटी में गणेश उत्सव के आयोजन को लेकर विवाद शुरू हुआ था।

विजय चंदेल ने दी सफाई

विजय चंदेल ने वीडियो में यह भी कहा कि उन्हें मराठी बोलने या सीखने के लिए मजबूर नहीं किया जा सकता। उन्होंने स्पष्ट किया कि वह मराठी भाषा के खिलाफ नहीं हैं, बल्कि किसी भी भाषा को जबरदस्ती सीखने या बोलने के लिए दबाव डालना गलत है। चंदेल ने कहा, “मुझे मराठी बहुत पसंद है, लेकिन यह सही नहीं है कि किसी को अपनी मातृभाषा के लिए दबाव डाला जाए।”

गणेश उत्सव में हुआ विवाद

विजय चंदेल ने इस विवाद के बारे में बताया कि यह सब गणेश उत्सव के आयोजन से जुड़ा था। सोसाइटी के कुछ लोग इस आयोजन के खिलाफ थे, जबकि विजय और उनकी टीम ने इसे मनाने का फैसला किया। इसी मुद्दे पर धीरे-धीरे मराठी भाषा का विवाद शुरू हो गया। विजय का कहना है कि यह विवाद किसी धार्मिक या सांस्कृतिक आयोजन के बारे में नहीं था, बल्कि यह एक सामान्य समझ और सम्मान का मामला था।

पुलिस से की शिकायत

विजय ने इस घटना के बाद पुलिस में शिकायत दर्ज कराई थी, जिसके बाद कुछ लोगों ने माफी भी मांगी। हालांकि, चंदेल ने कहा कि वह अब भी सोशल मीडिया और व्हाट्सएप के जरिए परेशान किए जा रहे हैं। उन्होंने कहा, “यह सब खत्म नहीं हो रहा है और मुझे मानसिक दबाव महसूस हो रहा है।”

परिवार की लोग सेना में

चंदेल ने अपने परिवार की बैकग्राउंड पर भी रोशनी डाली। उन्होंने बताया कि उनका परिवार हमेशा देश सेवा से जुड़ा रहा है और उनके पिता रक्षा विभाग में थे। वह और उनकी पत्नी दोनों ही किसी भी भाषा से जुड़े मुद्दे पर विचारशील हैं, लेकिन उन्होंने जोर दिया कि असली मुद्दा यह है कि किसी भी व्यक्ति को अपनी पसंद की भाषा बोलने के लिए दबाव में नहीं डाला जाना चाहिए।

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