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गुरु नानक जयंती पर पाकिस्तान जा रहे थे 12 सिख तीर्थयात्री, लेकिन बॉर्डर पर हुआ कुछ ऐसा; वापस भागना पड़ा

गुरु नानक देव जी की 556वीं जयंती पर 1942 सिख श्रद्धालु अटारी-वाघा बार्डर से पाकिस्तान रवाना हुए। बार्डर पर वीजा संबंधी समस्याओं के कारण 12 सिख श्रद्धालुओं को जाने की अनुमति नहीं दी गई, जिससे विरोध प्रदर्शन किया गया। गुरु नानक जयंती ननकाना साहिब में मनाने जा रहे थे तीर्थयात्री।
Post Published By: Subhash Raturi
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गुरु नानक जयंती पर पाकिस्तान जा रहे थे 12 सिख तीर्थयात्री, लेकिन बॉर्डर पर हुआ कुछ ऐसा; वापस भागना पड़ा

Amritsar: प्रथम पातशाही श्री गुरु नानक देव जी की 556वीं जयंती मनाने के लिए भारत से 1942 सिख तीर्थ यात्रियों का एक जत्था अंतर्राष्ट्रीय अटारी-वाघा बार्डर पाकिस्तान के लिए रवाना हुआ। यह जत्था श्री अकाल तख्त साहिब के जत्थेदार कुलदीप सिंह गड़गज्ज के नेतृत्व में ‘बोले सो निहाल, सत श्री अकाल’ के जयकारों के साथ रवाना हुआ, जिनका वाघा सीमा पर पाकिस्तान सिख गुरुद्वारा प्रबंधक समिति और उकाफ बोर्ड के अधिकारियों द्वारा गर्मजोशी से स्वागत किया गया।

आज श्री गुरु नानक देव जी की जयंती पर भारत और पाकिस्तान के श्रद्धालुओं के साथ-साथ विदेशों से आई संगत द्वारा पाकिस्तान स्थित उनके जन्मस्थान, गुरुद्वारा श्री ननकाना साहिब में यह आयोजन मनाया जाएगा।

पाकिस्तान नहीं पहुंच पाए भारत के श्रद्धालु

सिख तीर्थ यात्रियों ने कहा कि उनकी वर्षों की श्रद्धा पूरी होगी जब वे धर्मस्थलों के दर्शन कर अपना जीवन सफल बना सकेंगे। इस दर्शन के लिए भारत से 1942 श्रद्धालु रवाना हुए लेकिन 300 से अधिक श्रद्धालु जिनके पास वीजा है, उन्हें पाकिस्तान जाने की अनुमति नहीं मिली, क्योंकि उनकी अनुमति नहीं आई है और कागजी कार्रवाई में भी गलतियां थी, जिसके कारण उन्हें आगे जाने से रोक दिया गया। इसे लेकर सभी श्रद्धालुओं ने मिलकर विरोध प्रदर्शन किया।

ननकाना साहिब के लिए रवाना हुए सिख तीर्थ यात्री (Image Sorce: Internet)

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तीर्थयात्रा के पीछे का सच क्या था?

सरकार की सूत्रों के अनुसार, जिन व्यक्तियों को वाघा बॉर्डर पर रोका गया, उनमें से कुछ पाकिस्तान में रह चुके थे और बाद में उन्होंने भारतीय नागरिकता ले ली। रिपोर्ट में कहा गया है कि ये तीर्थयात्रा के लिए नहीं बल्कि अपने पहचान वालों से मिलने के लिए पाक जाना चाहते थें, जैसा कि उन्होंने भारतीय एजेंसियों को बताया था। सूत्रों के अनुसार, “प्रवेश से इनकार करने का निर्णय पाकिस्तान के संप्रभु अधिकार क्षेत्र में आता है और भारत इस संबंध में आधिकारिक तौर पर कोई आपत्ति नहीं उठा सकता है।”

वापस भेजें गए हिंदुओं के लिए यह घटना बेहद निराशाजनत थी। ‘TOI’ को दिल्ली के श्रद्धालु अमर चंद ने बताया कि कैसे उनके परिवार ने सीमा पार की, सारे नियमों का पालन किया और बस के टिकट भी खरीदे, लेकिन अंतिम क्षण में उन्हें रोक दिया गया और वापस लौटने को कहा गया। यह परिवार गुरु नानक देव जी के पवित्र स्थलों पर सिख तीर्थयात्रियों के साथ श्रद्धांजलि अर्पित करने की उम्मीद कर रहा था।

भारतीय सिख तीर्थयात्रियों का पहला जत्था मंगलवार को अटारी-वाघा सीमा पार कर पाकिस्तान में प्रवेश कर चुका है, ताकि ननकाना साहिब स्थित गुरुद्वारा जन्मस्थान में गुरु नानक देव जी के प्रकाश पर्व समारोह में भाग लिया जा सके। सिख धर्म के संस्थापक की 556वीं जयंती का मुख्य समारोह आज, 5 नवंबर, को मनाया जा रहा है।

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