Raipur: छत्तीसगढ़ के बहुचर्चित शराब घोटाले में प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) ने एक और बड़ी कार्रवाई की है। पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल के बेटे चैतन्य बघेल की करीब 61.20 करोड़ रुपये मूल्य की संपत्ति को ईडी ने अस्थायी रूप से कुर्क किया है। यह कार्रवाई मनी लॉन्ड्रिंग निवारण अधिनियम (PMLA), 2002 के प्रावधानों के तहत की गई है।
जानकारी के अनुसार, ईडी की रायपुर ज़ोनल इकाई द्वारा की गई इस कार्रवाई में 364 आवासीय प्लॉट्स और कृषि भूमि के टुकड़े शामिल हैं, जिनकी कुल कीमत 59.96 करोड़ रुपये बताई जा रही है। इसके अलावा, 1.24 करोड़ रुपये की चल संपत्तियां यानी बैंक बैलेंस और फिक्स्ड डिपॉजिट भी जब्त की गई हैं।
शराब घोटाले का खुलासा
ईडी ने यह जांच भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (ACB) और आर्थिक अपराध शाखा (EOW) रायपुर द्वारा दर्ज की गई FIR के आधार पर शुरू की थी। यह FIR भारतीय दंड संहिता (IPC) और भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की विभिन्न धाराओं के तहत दर्ज की गई थी। जांच के दौरान यह स्पष्ट हुआ कि इस घोटाले के जरिए राज्य सरकार के खजाने को भारी नुकसान पहुंचाया गया और करीब 2500 करोड़ रुपये की अवैध कमाई की गई।
ED, Raipur Zonal Office, has provisionally attached Immovable/ Movable properties on 10/11/2025 worth Rs 61.20 Crore in the form of 364 pieces of residential plots and agricultural lands (worth Rs 59.96 Crore) and bank balances and fixed deposits (worth Rs.1.24 Crore) belonging… pic.twitter.com/UwVV1KBIdE
— ED (@dir_ed) November 13, 2025
चैतन्य बघेल की क्या रही भूमिका
इसके अलावा, ईडी की रिपोर्ट में चौंकाने वाले खुलासे हुए हैं। जांच एजेंसी के अनुसार, चैतन्य बघेल शराब सिंडिकेट के शीर्ष स्तर पर थे। उनकी राजनीतिक स्थिति और प्रभाव के कारण वही पूरे नेटवर्क का प्रमुख निर्णयकर्ता था। वह अवैध कमाई की पूरी व्यवस्था, कलेक्शन से लेकर वितरण तक नियंत्रित करते थे। सभी वित्तीय लेन-देन उनके निर्देश पर किए जाते थे और उसने इस कमाई को वैध दिखाने के लिए कई फर्जी कंपनियों और रियल एस्टेट प्रोजेक्ट्स का सहारा लिया।
कहां इस्तेमाल हुआ अवैध धन
ईडी के अनुसार, चैतन्य ने शराब घोटाले से कमाई गई अवैध रकम को अपनी कंपनी एम/एस बघेल डेवलपर्स के तहत संचालित ‘विठ्ठल ग्रीन’ प्रोजेक्ट में निवेश किया। इस परियोजना का उद्देश्य रियल एस्टेट कारोबार के जरिए काले धन को सफेद करना था। जांच एजेंसी का कहना है कि यह निवेश मनी लॉन्ड्रिंग की एक सटीक मिसाल है, जिसके तहत गैरकानूनी धन को वैध रूप में दिखाने की कोशिश की गई।
गिरफ्तारी और पूर्व की कार्रवाई
ईडी ने चैतन्य बघेल को 18 जुलाई 2025 को गिरफ्तार किया था और वह फिलहाल न्यायिक हिरासत में है। ईडी की ओर से जारी बयान में कहा गया है कि यह 61.20 करोड़ रुपये की कुर्की पहले से कुर्क की गई 215 करोड़ रुपये की संपत्ति की कार्रवाई का ही विस्तार है।
इससे पहले इस मामले में कई बड़े नाम सामने आ चुके हैं। ईडी ने पूर्व IAS अधिकारी अनिल टूटेजा, अरविंद सिंह, त्रिलोक सिंह ढिल्लन, अनवर ढेबर, आबकारी विभाग के अधिकारी अरुण पति त्रिपाठी (ITS) और पूर्व आबकारी मंत्री कवासी लखमा (वर्तमान विधायक) को भी गिरफ्तार किया था।
मामले को लेकर राजनीतिक हलचल तेज
ईडी की इस ताज़ा कार्रवाई के बाद छत्तीसगढ़ की राजनीति में फिर से भूचाल आ गया है। विपक्ष इसे “भ्रष्टाचार पर करारा प्रहार” बता रहा है, जबकि कांग्रेस इसे “राजनीतिक प्रतिशोध” का हिस्सा मान रही है। भूपेश बघेल ने इससे पहले भी कई बार कहा था कि उनके परिवार को झूठे मामलों में फंसाया जा रहा है। फिलहाल, ईडी की टीम आगे की जांच में जुटी हुई है। ऐसा माना जा रहा है कि आने वाले दिनों में इस मामले में और भी बड़े खुलासे हो सकते हैं, क्योंकि ईडी ने संकेत दिए हैं कि शराब सिंडिकेट से जुड़े कई अन्य राजनेता और कारोबारी भी जांच के दायरे में हैं।

