Video: महराजगंज: कीड़े से कैसे निकलता है रेशम, बनारस-बंगाल में बनते हैं कीमती कपड़े, महिलाओं का अहम प्रशिक्षण

महराजगंज के सिंदुरिया ब्लॉक अंतर्गत हरिहरपुर गांव में स्थित राजकीय रेशम फार्म आजकल खासा सुर्खियों में है। देखिये डाइनामाइट न्यूज़ की खास रिपोर्ट

Post Published By: Rohit Goyal
Updated : 16 June 2025, 5:30 PM IST

महराजगंज: जिले के सिंदुरिया ब्लॉक अंतर्गत हरिहरपुर गांव में स्थित राजकीय रेशम फार्म आजकल खासा सुर्खियों में है। लगभग 6 एकड़ 35 डिशमिल क्षेत्रफल में फैला यह फार्म न सिर्फ रेशम उत्पादन का प्रमुख केंद्र बन गया है, बल्कि ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूती देने का भी कार्य कर रहा है। यहां एक छोटे से कीड़े के अंडे से करीब 900 से 1000 मीटर तक रेशम तैयार किया जाता है, जो बनारस और बंगाल जैसे शहरों में कीमती कपड़ों के निर्माण में इस्तेमाल होता है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार रेशम उत्पादन की इस प्रक्रिया को तकनीकी सहायता और आधुनिक मशीनों की मदद से अधिक सुलभ और गुणवत्तापूर्ण बनाया गया है। बनारस से आए विशेषज्ञ दुर्गा दास ने बताया कि कीड़ों को टोकरी में रखकर शहतूत के पत्तों से पोषण दिया जाता है। एक कोकून से काफी लंबा रेशम धागा प्राप्त होता है। अब इन कोया (कोकून) से रेशम निकालने की प्रक्रिया को मशीनों के माध्यम से किया जा रहा है, जिससे उत्पादन की मात्रा और गुणवत्ता दोनों में बढ़ोत्तरी हुई है।

महिलाओं को मिल रहा रोजगार

रेशम फार्म में दर्जनों महिलाओं को प्रशिक्षण देकर रोजगार से जोड़ा गया है। उन्हें कोया से धागा निकालने की प्रक्रिया में दक्ष किया गया है। इससे न सिर्फ उन्हें आत्मनिर्भर बनने का अवसर मिला है बल्कि हर माह नियमित आमदनी भी सुनिश्चित हो रही है। यह पहल महिला सशक्तिकरण की दिशा में भी एक बड़ा कदम साबित हो रही है।

किसानों की आमदनी में हुआ इजाफा

डाइनामाइट न्यूज़ से बात करते हुए रेशम विभाग के अधिकारियों ने बताया कि पहले किसान केवल कोया बेचते थे, जिससे उन्हें सीमित आमदनी होती थी। अब विभाग की मल्टी इंड रीलिंग यूनिट में कोया से रेशम धागा निकालने की व्यवस्था शुरू की गई है। इससे किसान को 600 से 800 रुपये प्रति किलो की दर से बिकने वाले कोया की जगह अब 4500 से 6000 रुपये प्रति किलो के हिसाब से रेशम धागा बेचने का अवसर मिल रहा है।

जिले में 7 राजकीय फार्म, 750 किसान जुड़े

महराजगंज में कुल सात सरकारी रेशम फार्म हैं, जिनमें कुल 60 एकड़ भूमि पर रेशम कीट पालन किया जाता है। इनसे 750 से अधिक किसान लाभान्वित हो रहे हैं। अप्रैल 2025 से हरिहरपुर स्थित फार्म में मल्टी इंड रीलिंग यूनिट के संचालन की शुरुआत हो गई है। इसमें एयर ड्रायर, ककून कुकिंग मशीन, मल्टी इंड रीलिंग मशीन, जनरेटर जैसे आधुनिक उपकरण लगाए गए हैं।

इससे प्रतिदिन साढ़े सात किलो तक रेशम धागा उत्पादित किया जा सकता है और भविष्य में इसमें तीन गुना वृद्धि की संभावना है। इस परियोजना से जिले के किसान न केवल आर्थिक रूप से सशक्त हो रहे हैं, बल्कि महराजगंज अब रेशम उत्पादन के क्षेत्र में एक नई पहचान की ओर अग्रसर है।

Location : 
  • Maharajganj

Published : 
  • 16 June 2025, 5:30 PM IST