Greater Noida: देश का सबसे बड़ा एयरपोर्ट गौतमबुद्ध नगर की जमीन पर बन रहा है। अब वहां के आस-पास बाढ़ का खतरा बढ़ने लगा है। दरअसल, गौतमबुद्ध नगर के जेवर और रबूपुरा क्षेत्र के ग्रामीण इलाकों में यमुना नदी के बढ़ते जलस्तर से बाढ़ का खतरा मंडराने लगा है। यमुना के पानी ने अब इन क्षेत्रों के खेतों में प्रवेश करना शुरू कर दिया है, जिससे स्थानीय लोगों में डर और चिंता का माहौल है। नोएडा पुलिस ने स्थिति की गंभीरता को देखते हुए 5 स्थानों पर “बाढ़ चौकियां” स्थापित कर दी हैं।
कहां पर बनी “बाढ़ चौकियां”
जेवर तहसीलदार ओमप्रकाश पासवान ने जानकारी दी कि बाढ़ प्रबंधन के लिए पुख्ता इंतजाम किए गए हैं। जेवर क्षेत्र में प्राइमरी स्कूल नेवला, प्राइमरी स्कूल झुप्पा, शिव मंदिर भैपुर ब्राह्मणन, अपर प्राइमरी स्कूल फलाईदा बंगर और जनता इंटर कॉलेज जेवर में बाढ़ चौकियां स्थापित की गई हैं। उन्होंने बताया कि स्थिति फिलहाल नियंत्रण में है, लेकिन जलस्तर लगातार बढ़ रहा है। इस वजह से अधिकारियों द्वारा 24×7 निगरानी की जा रही है।
कहां-कहां घुसा यमुना का पानी?
यमुना का पानी जेवर क्षेत्र के फलाईदा खेड़ा, करौली बंगर, मेहंदीपुर, सिरौली बंगर, पलहाका और बेगमाबाद जैसे गांवों के खेतों में घुस चुका है। खेतों में पानी भरने से फसलें खराब होने का खतरा पैदा हो गया है और ग्रामीणों को संभावित बाढ़ की चिंता सताने लगी है। कई स्थानों पर जलभराव की स्थिति बन चुकी है, जिससे लोगों की रोजमर्रा की जिंदगी भी प्रभावित हो रही है।
दिल्ली का पुराना रेलवे पुल सबसे अहम
दिल्ली का पुराना रेलवे पुल यमुना के जलस्तर की निगरानी का प्रमुख केंद्र है, जो गौतमबुद्ध नगर जिले के लिए भी मानक बिंदु माना जाता है। मंगलवार सुबह 8 बजे यहां यमुना का जलस्तर 205.79 मीटर दर्ज किया गया, जो 206 मीटर की निकासी सीमा से थोड़ा ही कम है। सोमवार दोपहर को जलस्तर 205.55 मीटर तक पहुंच गया था, जो 205.33 मीटर के खतरे के निशान को पार कर चुका था। जलस्तर में यह वृद्धि लगातार बनी हुई है और विशेषज्ञों ने स्थिति को लेकर सतर्क रहने की सलाह दी है।
और बिगड़ सकते हैं हालात
बाढ़ नियंत्रण विभाग के अनुसार हरियाणा के हथिनीकुंड बैराज से लगभग 38,361 क्यूसेक पानी छोड़ा जा रहा है, जबकि दिल्ली के वजीराबाद से हर घंटे लगभग 68,230 क्यूसेक पानी यमुना में डाला जा रहा है। विशेषज्ञों का मानना है कि अगर इसी रफ्तार से पानी का प्रवाह जारी रहा तो आने वाले दिनों में बाढ़ की स्थिति और भी गंभीर हो सकती है। निचले इलाकों में बसे गांवों पर इसका सबसे अधिक असर पड़ेगा।