DN Exclusive: क्या चल रहा है जिले के प्रशासनिक महकमे में? क्यों कर रहे हैं दो अफसर खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे वाली हरकत!

शिवेंद्र चतुर्वेदी

मुख्यमंत्री की मंशा के अनुरुप जिले के डीएम और एसपी शासन की योजनाओं के सफलतापूर्वक क्रियान्वयन में दिन-रात जुटे हैं लेकिन यह क्या विभाग के ही दो अति जिम्मेदार अफसर इन दोनों वरिष्ठों के खिलाफ अंदर ही अंदर षड़यंत्र करने में जुटे हैं। डाइनामाइट न्यूज़ एक्सक्लूसिव:

क्या खेल करने वाले अफसरों का खुलेगा भेद?
क्या खेल करने वाले अफसरों का खुलेगा भेद?


महराजगंज: मुख्यालय के तमाम विभागों में इन दिनों चर्चाओं का बाजार गर्म है। गर्म होने की वजह विभागीय अंदरुनी साजिश है। लंबे समय बाद जिले को एक ऊर्जावान जिलाधिकारी मिला है जिसने दलालों की आमद कलेक्ट्रेट में बंद कर दी है। इससे काफी दिनों से भ्रष्टों के माथे पर चिंता की लकीरें खींची हुई है।

ज्वाइनिंग के बाद से ही डीएम ने दागी छवि के अफसरों पर नकेल कसना शुरु किया, इससे परेशान अफसर अपने बॉस के खिलाफ ही लोगों को अंदर ही अंदर भड़काने में जुटे हुए हैं।

वाकया मंगलवार की सुबह का है। जिले के एक बड़े प्रशासनिक अफसर अपनी गाड़ी से उतर कार्यालय में जाने वाले थे, तभी गेट पर उनकी मुलाकात सत्तारुढ़ भाजपा के एक जिम्मेदार नेता से होती है। नेताजी दबा के सलाम ठोंकते हैं लेकिन ये क्या अफसर साहब तो बुरी तरह उखड़ गये और कहा कि "क्या नमस्ते करते हो? तुम लोगों की वजह से ही तो मेरा ये हाल हो गया है, नौकरी बचानी मुश्किल हो गयी है, जाओ- मुझे नहीं अपने चहेते साहब को सलाम ठोंको" 

बातचीत का अंदाज देखकर लगा कि इस अफसर और नेता का काफी पुराना याराना है लेकिन सत्तारुढ़ पार्टी के नेता को इस तरह भड़काना कई संदेश दे गया। अंदर के जानकार बताते हैं कि पुराने समय में जमकर मलाई काटने वाले ये अफसर इन दिनों अपने कार्यालय में बैठ खास सत्तारुढ़ नेताओं को तरह-तरह से भड़काने वाले "सलेक्टिव लीक्स" देते रहते हैं। 

यही हाल अनुशासित माने जाने वाले पुलिस महकमे का भी है। इस प्रशासनिक अफसर के खास वर्दीधारी मातहत पुलिसकर्मियों को गालियां बकने से लेकर आम लोगों को फर्जी मुकदमों में फंसाने और घर बैठे एकतरफा झूठी जांच रिपोर्ट लगाने के लिए कुख्यात हैं। हद तो तब हो जाती है जब कोई जिम्मेदार नेता इन कारगुजारियों पर इनसे सवाल दागता है तो ये वर्दीधारी कहने से नहीं चूकते "मैं क्या करुं? मुझे जो साहब कहते हैं, मैं बस वही करता हूं" जबकि अंदरुनी जानकार बताते हैं कि बड़े साहब को तो कई बार इन खेलों के बारे में कोई जानकारी ही नहीं होती।

सवाल ये है कि आखिर क्यों अति जिम्मेदार इस तरह का खेल कर रहे हैं तो विभागीय सूत्रों ने डाइनामाइट न्यूज़ को बताया कि इनके पर कतरे जाने से ये अंदर ही अंदर ये बौखलाहट में हैं, इसलिए इन दिनों ये "खिसियानी बिल्ली खंभा नोचे" वाले अंदाज में है। 










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