West Bengal Government: किशोरियों पर उच्च न्यायालय के फैसले को चुनौती देते हुए पश्चिम बंगाल सरकार ने अपील दायर की

पश्चिम बंगाल सरकार ने बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि उसने कलकत्ता उच्च न्यायालय के उस फैसले को चुनौती देते हुए एक अपील दायर की है, जिसमें किशोरियों को अपनी ‘यौन इच्छाओं पर नियंत्रण रखने’ की सलाह दी गई थी। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

Post Published By: डीएन ब्यूरो
Updated : 4 January 2024, 5:31 PM IST
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नयी दिल्ली:  पश्चिम बंगाल सरकार ने बृहस्पतिवार को उच्चतम न्यायालय को बताया कि उसने कलकत्ता उच्च न्यायालय के उस फैसले को चुनौती देते हुए एक अपील दायर की है, जिसमें किशोरियों को अपनी ‘यौन इच्छाओं पर नियंत्रण रखने’ की सलाह दी गई थी।

शीर्ष न्यायालय ने इस फैसले की पिछले साल आठ दिसंबर को आलोचना की थी और उच्च न्यायालय की कुछ टिप्पणियों को ‘अत्यधिक आपत्तिजनक और पूरी तरह से अवांछित’ करार दिया था।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक शीर्ष न्यायालय ने इस विषय में स्वत: संज्ञान लेते हुए एक रिट याचिका दायर की। उच्चतम न्यायालय ने कहा था कि फैसले लिखते समय न्यायाधीशों से उपदेश देने की उम्मीद नहीं की जाती है।

यह विषय बृहस्पतिवार को न्यायमूर्ति ए एस ओका और न्यायमूर्ति उज्ज्वल भुइयां की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आया।

पश्चिम बंगाल सरकार की ओर से पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता हुजेफा अहमदी ने पीठ को बताया कि राज्य ने उच्च न्यायालय के 18 अक्टूबर के फैसले के खिलाफ शीर्ष न्यायालय में एक अपील दायर की है।

उन्होंने कहा, ‘‘अपील आज इस न्यायालय की दूसरी पीठ के समक्ष सूचीबद्ध की गई।’’

पीठ ने कहा कि स्वत: संज्ञान वाली रिट याचिका और राज्य सरकार द्वारा दायर अपील की सुनवाई साथ में की जाएगी।

न्यायालय ने कहा, ‘‘कई निष्कर्षों को रिकार्ड में रखा गया है। ये अवधारणाएं कहां से आईं, हम नहीं जानते। लेकिन हम इससे निपटना चाहते हैं। आपकी सहायता की जरूरत है।’’

पीठ ने रजिस्ट्री को स्वत: संज्ञान वाली रिट याचिका और राज्य की द्वारा दायर विशेष अनुमति याचिका प्रधान न्यायाधीश की मंजूरी लेने के बाद 12 जनवरी को सूचीबद्ध करने को कहा।

उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में कहा था कि किशोरियों को अपनी यौन इच्छाओं पर नियंत्रण रखना चाहिए और दो मिनट के आनंद के लिए खुद को समर्पित नहीं करना चाहिए।

उच्च न्यायालय ने एक व्यक्ति की अपील पर सुनवाई करते हुए यह टिप्पणी की थी। व्यक्ति को यौन उत्पीड़न के अपराध को लेकर 20 साल कैद की सजा सुनाई गई थी। अदालत ने उसे बरी कर दिया था।

 

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