

बुधवार को देर रात लोकसभा ने वक्फ (संशोधन) विधेयक 2025 को बहुमत से मंजूरी दे दी, लेकिन इस दौरान सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस देखने को मिली। पढ़िए डाइनामाइट न्यूज़ की खबर रिपोर्ट
नई दिल्ली: केंद्र सरकार द्वारा प्रस्तुत वक्फ संशोधन विधेयक 3 अप्रैल को लोकसभा में पारित हुआ। जिसको लेकर पूरे दिन एक गहमा-गहमी का माहौल रहा। इस विधेयक के पारित होने तक लगभग 12 घंटे तक चर्चा चली।
डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, जिसमें सत्ता पक्ष और विपक्ष के बीच तीखी बहस देखने को मिली। चर्चा के दौरान एआईएमआईएम के सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने विरोध स्वरूप बिल की प्रति को फाड़कर अपनी नाराजगी जाहिर की, जो भारतीय राजनीति में एक दुर्लभ दृश्य था।
वक्फ संशोधन विधेयक को लेकर पहले से ही माना जा रहा था कि यह विधेयक सदन में हंगामा और तीखी बहस का कारण बनेगा। बुधवार को दोपहर 12 बजे जब अल्पसंख्यक मामलों के मंत्री किरेन रिजिजू ने विधेयक पेश किया तो इसके बाद ही विपक्ष ने इसका विरोध शुरू कर दिया। दिनभर के आरोप-प्रत्यारोप के बाद बहस की तीव्रता रात तक बढ़ती गई।
असदुद्दीन ओवैसी ने अपनी बात रखते हुए विधेयक पर कड़ा विरोध जताया और इसे मुस्लिम समुदाय के खिलाफ बताया। ओवैसी ने यह आरोप लगाया कि यह विधेयक गरीब मुसलमानों के लिए हानिकारक है और मदरसों और मस्जिदों को निशाना बनाया जा रहा है। उन्होंने इस विधेयक को गांधीजी के जमाने के किसी अन्यायपूर्ण कानून से तुलना करते हुए इसे फाड़ने का ऐलान किया। इसके बाद ओवैसी ने विधेयक की प्रति को फाड़कर अपना विरोध व्यक्त किया।
कांग्रेस सांसद ने संवैधानिक हमले का लगाया आरोप
कांग्रेस सांसद गौरव गोगोई ने इस विधेयक पर कटाक्ष करते हुए कहा कि यह संविधान की मूल भावना पर हमला है। उनका कहना था कि विधेयक के प्रावधान समाज में असंतोष और विवाद बढ़ाएंगे। जिससे भाईचारे का वातावरण टूटेगा। गोगोई ने यह भी आरोप लगाया कि सरकार राज्य सरकारों से उनकी शक्तियां छीनने की कोशिश कर रही है, जिससे राज्यों का अधिकार खत्म होगा।
विधेयक पर सरकार का पक्ष
सदन में लंबी बहस के बाद, केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने विधेयक के समर्थन में जवाब दिया। उन्होंने कहा कि विपक्ष द्वारा विधेयक को असंवैधानिक बताना गलत है। उन्होंने यह सवाल उठाया कि अगर यह विधेयक असंवैधानिक होता तो अदालत ने इसे रद्द क्यों नहीं किया? रिजिजू ने यह भी कहा कि यह विधेयक गरीब मुसलमानों के हित में है और उनके अधिकारों की रक्षा करने के लिए लाया गया है।
रिजिजू ने ओवैसी के आरोपों का जवाब देते हुए कहा कि इस विधेयक में संविधान के खिलाफ कुछ भी नहीं है। उन्होंने यह भी दावा किया कि भारत में वक्फ की संपत्तियां बहुत बड़ी हैं और यह सरकार की जिम्मेदारी है कि उन संपत्तियों का सही प्रबंधन किया जाए।
रात 12 बजे तक चला घमासान
बिल पर वोटिंग रात करीब 12 बजे शुरू हुई। प्रस्ताव के पक्ष में 288 और विरोध में 232 वोट पड़े। हालांकि, इसके बाद सदन में कुछ विवाद हुआ जब विपक्षी सदस्य कुछ विधायकों के प्रवेश पर सवाल उठाने लगे। इसके बाद लोकसभा अध्यक्ष ओम बिरला ने स्पष्ट किया कि शौचालय की सुविधा केवल लॉबी में थी, जिससे कोई भी सदस्य बाहर से बिना अनुमति के सदन में प्रवेश नहीं कर सकता था।
विधेयक के कुछ संशोधनों पर भी मत विभाजन हुआ। विशेषकर, वक्फ बोर्ड में दो गैर-मुस्लिम सदस्यों की नियुक्ति के प्रस्ताव को लेकर रिवॉल्यूशनरी सोशलिस्ट पार्टी के सदस्य एन.के. प्रेमचंद्रन ने संशोधन पेश किया था, जिसे 231 के मुकाबले 288 मतों से अस्वीकार कर दिया गया।
केंद्रीय गृह मंत्री का बयान
इससे पहले केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि यह भारत सरकार का कानून है और इसे सभी को स्वीकार करना होगा। उन्होंने विपक्ष पर आरोप लगाते हुए कहा कि वे मुसलमानों को डराकर उनका वोट बैंक बनाने की कोशिश कर रहे हैं और समाज में भ्रम फैला रहे हैं।
जानें कब हुई थी विधेयक की शुरुआत
वक्फ संशोधन विधेयक का लोकसभा में पारित होना एक अहम राजनीतिक घटना है। विधेयक की शुरुआत 8 अगस्त 2024 को हुई थी, जब इसे पहले लोकसभा में पेश किया गया था, लेकिन उसके बाद इसे संयुक्त संसदीय समिति (जेपीसी) के पास भेजा गया था। जेपीसी की रिपोर्ट के आधार पर विधेयक में कुछ संशोधन किए गए थे, जिसे बुधवार को एक बार फिर लोकसभा में पेश किया गया और यह पारित हो गया।