परीक्षा के 26 साल बाद पास हुए गुजरात लोक सेवा आयोग के दो अभ्यर्थी, फिर भी नहीं मिली नौकरी, पढ़िये हैरान करने वाली ये खबर

डीएन ब्यूरो

गुजरात लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) की परीक्षा पास करने के बावजूद अधिकतम उम्र सीमा के कारण 26 साल पहले सरकारी नौकरी पाने से वंचित रहे दो अभ्यर्थियों की सरकारी नौकरी पाने की उम्मीद टूट गयी।

26 साल बाद पास हुए जेपीएससी के दो अभ्यर्थी
26 साल बाद पास हुए जेपीएससी के दो अभ्यर्थी


अहमदाबाद: गुजरात लोक सेवा आयोग (जेपीएससी) की परीक्षा पास करने के बावजूद अधिकतम उम्र सीमा के कारण 26 साल पहले सरकारी नौकरी पाने से वंचित रहे दो अभ्यर्थियों की सरकारी नौकरी पाने की रही सही उम्मीद उस वक्त समाप्त हो गयी, जब गुजरात उच्च न्यायालय ने इन दोनों की याचिका का निपटारा करते हुए कहा कि इन्होंने भर्ती परीक्षा भले ही पास की है, लेकिन इनकी आज की उम्र को ध्यान में रखते हुए इन्हें नौकरी नहीं दी जा सकती है।

बृहस्पतिवार को अदालत की सुनवाई के दौरान याचिकाकर्ताओं- जगदीश धनानी और के. वी. वडोदरिया, को पता चला कि 26 साल पहले कृषि विभाग में उपनिदेशक पद के लिए उन्होंने जेपीएससी की भर्ती परीक्षा पास कर ली थी।

कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति ए. जे. देसाई और न्यायमूर्ति बिरेन वैष्णव की खंडपीठ ने हालांकि कहा कि यह सुनवाई अब बस ‘शैक्षणिक’ उद्देश्य से की जा रही है, क्योंकि आवेदक सेवानिवृत्ति की उम्र तक पहुंच रहे हैं और उन्होंने अपील लंबित रहने के दौरान दूसरी जगह रोजगार प्राप्त कर लिया है।

सुनवाई के दौरान सीलबंद लिफाफा खोले जाने के बाद जब आवेदक के वकील ने अपने पक्ष में फैसला सुनाने का अनुरोध किया तो, न्यायमूर्ति देसाई ने कहा, ‘‘आपको (आवेदक) क्या मिलेगा अगर हम (जेपीएससी का) आदेश रद्द कर दें और उसे खारिज कर दें? आपको अब नियुक्ति नहीं मिल सकती है? हम इसका निपटारा कर रहे हैं। यह सिर्फ शैक्षणिक उद्देश्य से है। आप (जगदीश धनानी) 58 साल के हैं और दूसरे (वडोदरिया) कहीं और काम कर रहे हैं।’’

मुकदमे के अनुसार, चार आवेदकों- जगदीश धनानी, के. वी. वडोदरिया, पी. डी. वेकारिया और वी. ए. नंदानिया- ने कृषि विभाग के उपनिदेशक पद के लिए 1997 में परीक्षा में बैठने से रोके जाने के जेपीएससी के आदेश को गुजरात उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी।

उस वक्त जेपीएससी ने अधिकतम आयु सीमा 30 साल तय की थी। चूंकि आवेदक आयु सीमा की पात्रता पूरी नहीं करते थे, आयोग ने उनका आवेदन खारिज कर दिया था।

जेपीएससी के आदेश के खिलाफ वे उच्च न्यायालय पहुंचे थे, जिसने 1997 में एक अंतरिम आदेश पारित करके आयोग को उन्हें परीक्षा और साक्षात्कार में शामिल होने देने और उसका परिणाम सीलबंद लिफाफे में सौंपने को कहा था।

अदालत के निर्देशानुसार, आवेदक भर्ती प्रक्रिया में शामिल हुए और उनका परिणाम अदालत को सौंपा गया।

बृहस्पतिवार को जब मामला अंतिम सुनवाई के लिए सामने आया तो पीठ ने जेपीएससी के वकील चैतन्य जोशी से सीलबंद लिफाफा खोलने को कहा, जिससे पता चला कि धनानी और वडोदरिया परीक्षा में उतीर्ण हुए थे।

सवाल करने पर आवेदकों के वकील रतिलाल सकारिया ने पीठ को बताया कि वडोदरिया फिलहाल सरकारी नवसारी कृषि विश्वविद्यालय में एसोसिएट प्रोफेसर हैं, जबकि धनानी स्वरोजगार करते हैं।

सकारिया ने अदालत को यह भी बताया कि वेकारिया जूनागढ़ कृषि विश्वविद्यालय में नौकरी कर रहे हैं, जबकि चौथे आवेदक वी. ए. नंदानिया एक साल पहले कॉलेज के प्राचार्य पद से 58 साल की आयु में सेवानिवृत्त हुए हैं।

जब न्यायमूर्ति देसाई ने आश्चर्य जताते हुए कहा कि ‘अब फैसला करने को रहा ही क्या है?’, तो सकारिया ने इसपर जोर दिया कि मामले में फैसला गुण-दोष के आधार पर किया जाना चाहिए।

इस पर, जेपीएससी के वकील ने कहा कि आवेदक ‘‘उसी रैंक के अन्य पदों पर, समान वेतन पर रोजगार कर रहे थे और अब उनकी उम्र करीब 57-58 साल होगी। ऐसे में यह सिर्फ शैक्षणिक मामला बन जाता है। यही नहीं, परिणाम सीलबंद लिफाफे में रखे गए थे।’’

आवेदकों के इस विचार से इत्तेफाक रखते हुए कि 30 साल की अधिकतम आयुसीमा ‘तार्किक’ नहीं थी, पीठ ने कहा कि समय गुजर जाने के कारण अब नौकरी नहीं दी जा सकती है।

सीलबंद लिफाफा खुलने पर न्यायमूर्ति देसाई ने सवाल किया, ‘‘अब उन्हें कैसे समायोजित किया जाए? अब उनकी उम्र लगभग 56-57 साल है। उन्हें नियुक्ति नहीं दी जा सकती है।’’










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