सुप्रीम कोर्ट ने प्रयागराज स्थित इस विश्वविद्यालय के कुलपति, निदेशक को गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान किया

डीएन ब्यूरो

सुप्रीम कोर्ट ने उत्तर प्रदेश के प्रयागराज स्थित एक निजी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति एवं निदेशक को सामूहिक धर्मांतरण से जुड़े एक मामले में शुक्रवार को गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान किया। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)


नयी दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने उत्तर प्रदेश के प्रयागराज स्थित एक निजी कृषि विश्वविद्यालय के कुलपति एवं निदेशक को सामूहिक धर्मांतरण से जुड़े एक मामले में शुक्रवार को गिरफ्तारी से संरक्षण प्रदान किया।

प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ और न्यायमूर्ति पी एस नरसिम्हा तथा न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला की पीठ ने ‘मानद्’ विश्वविद्यालय के अधिकारियों की ओर से न्यायालय में पेश हुए वरिष्ठ अधिवक्ता सिद्धार्थ दवे की दलीलों का संज्ञान लिया। दवे ने यह दलील दी कि उनके मुवक्किल उस प्राथमिकी में गिरफ्तारी के संभावित खतरे का सामना कर रहे हैं, जिसमें वे आरोपी के रूप में नामजद नहीं हैं।

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इससे पहले, दिन में दवे ने मामले को खुद तत्काल सुनवाई के लिए उल्लेखित करते हुए कहा कि इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने सैम हिग्गिन्बॉटम यूनिवर्सिटी ऑफ़ एग्रीकल्चर, टेक्नोलॉजी एंड साइंसेस के कुलपति राजेंद्र बिहारी लाल और निदेशक विनोद बिहारी लाल को मामले में जमानत देने से इनकार कर दिया है।

यह प्रयागराज में सरकार से सहायता प्राप्त एक कृषि विश्वविद्यालय है। इसे पहले इलाहाबाद एग्रीकल्चरल इंस्टीट्यूट के नाम से जाना जाता था।

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पीठ ने शाम करीब चार बजे याचिका पर सुनवाई की और अपने आदेश में कहा, ‘‘अगला आदेश आने तक, याचिकाकर्ताओं की गिरफ्तारी पर रोक रहेगी’’ । साथ ही, पीठ मामले में उत्तर प्रदेश सरकार से जवाब मांगा है।

प्राथमिकी, हिमांशु दीक्षित नाम के एक व्यक्ति के शिकायत दायर करने पर पिछले साल अप्रैल में दर्ज की गई थी।










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