सुप्रीम कोर्ट की जस्टिस ने मानवाधिकारों की रक्षा को लेकर कही ये बात

डीएन ब्यूरो

उच्चतम न्यायालय की न्यायाधीश न्यायमूर्ति हिमा कोहली ने शनिवार को कहा कि शीर्ष अदालत ने भारत में मानवाधिकारों की रक्षा करने और उन्हें मजबूत करने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)
सुप्रीम कोर्ट (फाइल फोटो)


पुणे: उच्चतम न्यायालय की न्यायाधीश न्यायमूर्ति हिमा कोहली ने शनिवार को कहा कि शीर्ष अदालत ने भारत में मानवाधिकारों की रक्षा करने और उन्हें मजबूत करने में बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।

न्यायमूर्ति कोहली ने भारती विद्यापीठ विश्वविद्यालय के न्यू लॉ कॉलेज में मानवाधिकारों पर आयोजित 11वीं न्यायमूर्ति पी एन भगवती अंतरराष्ट्रीय मूट कोर्ट प्रतियोगिता में यह टिप्पणी की।

उन्होंने कहा, ‘‘भारत का उच्चतम न्यायालय देश की शीर्ष अदालत होने के नाते, भारत में मानवाधिकारों के संरक्षण, संवर्द्धन और प्रचार में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। उच्चतम न्यायालय की ओर से बीते वर्षों के दौरान मानवाधिकारों की परिभाषा को मजबूत करने और उसका दायरा बढ़ाने के लिए कई ऐतिहासिक निर्णय सुनाए गए हैं।’’

न्यायमूर्ति कोहली ने ऐसे कुछ प्रभावशाली फैसलों के बारे में बात करते हुए मेनका गांधी बनाम भारत संघ (1978) के मामले का उल्लेख किया, जहां याचिकाकर्ता ने उन्हें पासपोर्ट देने से इनकार करने के फैसले को चुनौती दी थी।

उन्होंने कहा, ‘‘सात-न्यायाधीशों की संविधान पीठ ने इस मामले में घोषणा की थी कि विदेश यात्रा का अधिकार जीवन और व्यक्तिगत स्वतंत्रता के अधिकार का एक तत्व है, और कानून की उचित प्रक्रिया का पालन किए बिना इस अधिकार को कम नहीं किया जा सकता है।’’

न्यायमूर्ति कोहली ने कहा कि हाल के वर्षों में न्यायपालिका नागरिकों के अधिकारों की रक्षा करने में सबसे आगे रही है, विशेष रूप से नागरिक स्वतंत्रता, पर्यावरण संरक्षण और लैंगिक न्याय से संबंधित मामलों में।










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