चीतों की मौत पर शीर्ष न्यायालय चिंतित, कहा-केंद्र इन्हें अन्य अभयारण्यों में भेजने की संभावना तलाशे
उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि कूनो राष्ट्रीय उद्यान (मध्य प्रदेश) में एक साल से भी कम समय में आठ चीतों की मौत हो जाना एक ‘‘सही तस्वीर’’ पेश नहीं करता। इसने केंद्र से इसे प्रतिष्ठा का मुद्दा नहीं बनाने और इन वन्यजीवों को अन्य अभयारण्यों में भेजने की संभावना तलाशने को कहा।
नई दिल्ली: उच्चतम न्यायालय ने बृहस्पतिवार को कहा कि कूनो राष्ट्रीय उद्यान (मध्य प्रदेश) में एक साल से भी कम समय में आठ चीतों की मौत हो जाना एक ‘‘सही तस्वीर’’ पेश नहीं करता। इसने केंद्र से इसे प्रतिष्ठा का मुद्दा नहीं बनाने और इन वन्यजीवों को अन्य अभयारण्यों में भेजने की संभावना तलाशने को कहा।
‘प्रोजेक्ट चीता’ के तहत ‘रेडियो कॉलर’ लगे 20 चीते नामीबिया और दक्षिण अफ्रीका से कूनो राष्ट्रीय उद्यान लाए गए थे और बाद में नामीबियाई चीता ज्वाला ने चार शावकों को जन्म दिया था। इन 24 वन्यजीवों में से तीन शावकों सहित आठ की मौत हो चुकी है।
न्यायमूर्ति बी आर गवई, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ ने चीतों की मौत पर चिंता जताई तथा इसके (मौत के) कारणों और इसके निवारण के लिए किए गए उपायों की जानकारी के साथ केंद्र से एक विस्तृत हलफनामा दाखिल करने को कहा।
न्यायालय ने कहा, ‘‘समस्या क्या है? क्या यहां की जलवायु उनके अनुकूल नहीं है या कोई और कारण है। 20 चीतों में से आठ की मौत हो चुकी है। पिछले हफ्ते दो मौतें हुईं। आप उन्हें अन्य अभयारण्यों में भेजने की संभावना क्यों नहीं तलाशते? आप इसे प्रतिष्ठा का मुद्दा क्यों बना रहे हैं?’’
पीठ ने केंद्र का प्रतिनिधित्व कर रहीं अतिरिक्त सॉलिसिटर जनरल ऐश्वर्या भाटी से कहा, ‘‘कृपया कुछ सकारात्मक कदम उठाएं। राज्य या सरकार द्वारा उन्हें एक स्थान पर रखने के बजाय आपको उन्हें अन्य अभयारण्यों में स्थानांतरित करने की संभावना तलाशनी चाहिए।’’
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भाटी ने कहा कि केंद्र चीतों की मौत के कारणों की विस्तार से जानकारी देते हुए एक हलफनामा दाखिल करने वाला है और उन्होंने प्रत्येक चीते की मौत से जुड़ी परिस्थितियों का वर्णन करते हुए एक विस्तृत हलफनामा दाखिल करने की अनुमति मांगी।
उन्होंने यह भी कहा कि अधिकारी इन्हें अन्य अभयारण्यों में भेजने सहित सभी संभावनाएं तलाश रहे हैं।
भाटी ने न्यायालय से कहा, ‘‘आठ चीतों की मौत दुर्भाग्यपूर्ण है, लेकिन इसकी आशंका थी। इन मौतों के पीछे कई कारण हैं।’’
उन्होंने कहा कि यह देश के लिए एक प्रतिष्ठित परियोजना है तथा अधिकारी भविष्य में और चीतों की मौत टालने के लिए हरसंभव कदम उठा रहे हैं।
पीठ ने भाटी की दलीलों पर कहा, ‘‘यदि यह परियोजना देश के लिए इतनी ही प्रतिष्ठित है तो एक साल से भी कम समय में 40 प्रतिशत से अधिक चीतों की मौत हो जाना सही तस्वीर पेश नहीं करता।’’
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वरिष्ठ अधिवक्ता पी सी सेन ने कूनो राष्ट्रीय उद्यान में चीतों की मौत रोकने के विषय पर विशेषज्ञों के कुछ सुझाव पेश किए।
पीठ ने सेन से कहा कि वह भाटी को सुझाव दें और उनसे 28-29 जुलाई तक जवाब दाखिल करने को कहें, तथा विषय की सुनवाई एक अगस्त के लिए सूचीबद्ध कर दी।
दक्षिण अफ्रीका से लाए गए सूरज नाम के एक नर चीते की 14 जुलाई को मौत हो जाने के साथ इस साल मार्च से श्योपुर जिले में मरने वाले चीतों की कुल संख्या बढ़कर आठ हो गई।