आईएएस टॉपर इरा सिंघल की बात शोध में हुई सच साबित.. ट्विटर पर 90 फीसदी यूजर्स फैलाते हैं झूठ

डीएन ब्यूरो

देश की सिविल सेवा की परीक्षा में टॉपर रहीं आईएएस इरा सिंघल ने कुछ दिनों पहले डाइनामाइट न्यूज को एक मुलाकात में दिये एक्सक्लूसिव इंटरव्यू कहा था कि ट्विटर.. झूठी अफवाहें फैलाने का सबसे बड़ा अड्डा है और अब इरा की यह बात एक शोध में सच निकली है। पूरी खबर..

इरा सिंघल (फाइल फोटो)
इरा सिंघल (फाइल फोटो)


नई दिल्ली: आज के दौर में सोशल मीडिया के बिना मानो जिंदगी अधूरी सी है, लेकिन इसके उलट यह भी सच है कि सोशल मीडिया के कारण ही जीवन में कई बार बार उथल-पुथल भी मच जाती है। कम शब्दों में बड़ी बात कहने का मौके देने वाली सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर को लेकर एक चौंकाने वाला शोध सामने आया है। इस शोध के मुताबिक सक्रिय रूप से मौजूद 90 फीसदी लोग आपातकाल या प्राकृतिक आपदा के दौरान ट्विटर पर अफवाह फैलाते हैं। 

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इरा सिंघल के दावे पर लगी मुहर 

आईएएस टॉपर्स के देश के सबसे बड़े और लोकप्रिय शो 'एक मुलाक़ात' में कुछ दिन पहले ही 2015 बैच IAS की टॉपर इरा सिंघल ने एडिटर-इन-चीफ  मनोज टिबड़ेवाल आकाश को दिये इंटरव्यू में कहा था कि सोशल नेटवर्किंग साइट ट्विटर पर सबसे ज्यादा झूठ फैलाया जाता है और वे ट्विटर को सोशल मीडिया का सबसे नेगेटिव प्लेटफार्म मानती हैं। अब ट्विटर को लेकर सामने आये इस नये शोध ने इरा की बात पर मुहर लगा दी है।

 

 

केवल 9 फीसदी यूजर्स करते हैं सत्यता की मांग

मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक शोधकर्ताओं ने लगभग 20 हजार ट्विट का अध्य्यन करने के बाद पाया कि 86 से 91 फीसदी यूजर्स किसी ऑरिजनल पोस्ट को लाइक या रिट्विट करके प्राकृतिक आपदा के दौरान अफवाहों को फैलाने या बढ़ाने का काम करते हैं। केवल 5 से 9 फीसदी यूजर्स ही किसी पोस्ट को लाइक या रिट्विट करने से पहले सूचना के सत्यता की मांग करते है या उसकी जांच करते है। जबकि एक से 9 फीसदी यूजर्स ही किसी पोस्ट की सत्यता को लेकर आशंकित रहते है। 

ट्विटर यूजर गलत जानकारी फैलाते हैं 

'नेचुरल हेजर्ड' पत्रिका में भी प्रकाशित इस शोध के बारे में न्यूयार्क की एक यूनिवर्सिटी के एसोसिएट प्रोफेसर जून झुआंग ने कहा कि हमारी जानकारी के मुताबिक इस विषय पर पहली बार इस तरह का अध्ययन हुआ है कि आपदा के दौरान ट्विटर यूजर गलत जानकारी फैलाते हैं।'  

तीन तरह के यूजर्स

ट्विटर पर सबसे ज्यादा अफवाह न्यूयॉर्क स्टॉक एक्सचेंज के बाढ़ में डूबने की रही। शोधकर्ताओं ने ट्विटर पर तीन तरह के यूजर्स पाए। पहला यूजर अफवाह फैलाता है, दूसरा उस सूचना की पुष्टि चाहता और तीसरा सूचना पर संदेह जताता है।

ट्विटर क्यों नही लेकर आता कोई समाधान

सबसे बड़े आश्चर्य की बात तो यह है कि ट्विटर इससे प्रभावशाली तरीके से निपटने के लिए को स्थायी उपाय लेकर अब तक सामने नही दिख रहा है ताकि आम लोगों को इससे हो रही परेशानियों से बचाया जा सके। 










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