Uttar Pradesh: पुरानी पेंशन मामले को लेकर सपा सदस्यों ने विधान परिषद से किया बहिर्गमन

डीएन ब्यूरो

उत्तर प्रदेश में पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाली के मुद्दे पर विधान परिषद में समाजवादी पार्टी के सदस्यों ने सरकार के जवाब से असंतुष्ट होकर सदन से बहिर्गमन किया। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

सदन में सपा का हंगामा
सदन में सपा का हंगामा


लखनऊ: उत्तर प्रदेश में पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाली के मुद्दे पर विधान परिषद में समाजवादी पार्टी के सदस्यों ने  सरकार के जवाब से असंतुष्ट होकर सदन से बहिर्गमन किया।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार प्रश्नकाल के दौरान सदन में सपा सदस्य मान सिंह यादव ने पुरानी पेंशन योजना को बहाल किए जाने से संबंधित सवाल किया। इस पर संसदीय कार्य राज्यमंत्री मयंकेश्वर शरण सिंह ने कहा कि वर्ष 2004 से सरकारी सेवा में प्रवेश करने वाले कर्मियों के लिए सरकार द्वारा नई पेंशन योजना को राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली से संबद्ध किया गया है।

इसके अलावा एक अप्रैल 2005 को या उसके बाद उत्तर प्रदेश सरकार की सेवा में अथवा सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थाओं एवं स्वायत्तशासी संस्थाओं के कर्मचारी राष्ट्रीय पेंशन योजना (एनपीएस) से आच्छादित हैं।

उन्होंने कहा कि प्रदेश में एनपीएस के तहत माह जनवरी 2023 तक 5.95 लाख सरकारी कर्मचारियों तथा सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थाओं एवं स्वायत्तशासी संस्थाओं के 3.5 लाख कर्मचारियों का पंजीकरण किया जा चुका है।

जनवरी 2023 तक सरकारी कर्मचारियों के परमानेंट रिटायरमेंट अकाउंट नंबर (प्रान) खातों में 28836 करोड़ रुपए की धनराशि तथा सहायता प्राप्त शिक्षण संस्थाओं एवं स्वायत्तशासी संस्थानों के कर्मचारियों के प्रान खातों में 14262 करोड़ रुपए की धनराशि डाली जा चुकी है।

राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली न केवल सरकारी कर्मचारियों बल्कि संगठित एवं असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों तथा सामान्य जन के लिए बेहतर राष्ट्रव्यापी वृद्धावस्था सुरक्षा विकसित करने के उद्देश्य से लाई गई है। ''ऐसे में राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली को समाप्त कर पुरानी पेंशन लागू किया जाना संभव नहीं है।''

सपा सदस्य मान सिंह यादव ने अपने अनुपूरक प्रश्न में कहा कि मंत्री ने कहा है कि पुरानी पेंशन व्यवस्था लागू करना संभव नहीं है। हालांकि 23 फरवरी 2022 को राजस्थान सरकार ने अपने राज्य में पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल कर दी है। इसके अलावा मार्च 2022 में छत्तीसगढ़ में, पिछली जनवरी में हिमाचल प्रदेश में और नवंबर 2022 में पंजाब ने भी पुरानी पेंशन योजना बहाल कर दी है।

यादव ने कहा कि वह सरकार से जानना चाहते हैं कि जब कोई चीज संभव ही नहीं है तो इन राज्यों के पास कौन सी जादुई छड़ी है कि उन्होंने इसे संभव करके दिखा दिया।

उन्होंने मंत्री पर सदन को गुमराह करने का अरोप लगाते हुए कहा कि नयी पेंशन योजना के तहत जमा धनराशि का उपयोग सिर्फ पूंजीपति लोग ही करते हैं। उसका इस्तेमाल न तो कर्मचारी के हित में हो पाता है और ना ही सरकार के हित में।

इस पर राज्य मंत्री सिंह ने सफाई देते हुए कहा ''पेंशन राशि का 80 प्रतिशत धन भारतीय स्टेट बैंक या भारतीय जीवन बीमा निगम में जमा होता है। बाकी 20 फीसद अन्य कंपनियों में जमा होता है। पूंजीपतियों को बढ़ावा देने का आरोप सरासर गलत है। अब तक लाखों कर्मचारी राष्ट्रीय पेंशन योजना में अपना पंजीकरण करा चुके हैं। इसका मतलब यह है कि वह इसके पक्ष में हैं। ऐसे में यह कहना है कि सारे कर्मचारी इसके विरोध में हैं, यह भी गलत है।''

यादव ने इस पर कहा ''मंत्री का यह कहना कि सारे कर्मचारी नई पेंशन योजना से सहमत है यह असत्य वचन है। अगर ऐसा होता तो वही पुरानी पेंशन बहाली को लेकर इतने बड़े-बड़े आंदोलन न करते।''

सभापति कुंवर मानवेंद्र सिंह ने यादव से कहा ''आप सरकार से सवाल करें। उत्तर प्रदेश में जब पुरानी पेंशन योजना खत्म की गई थी, उस वक्त समाजवादी पार्टी की सरकार थी। क्या सरकार से यह काम गुमराह करके करा लिया था? उसकी सरकार ने जनहित में निर्णय लिया था। आज आप उस निर्णय को बदलना चाहते हैं। बस इतनी सी बात है।''

इस पर सपा के सदस्य लाल बिहारी यादव, नरेश उत्तम पटेल तथा अन्य कुछ सदस्य खड़े होकर अपनी दलीलें पेश करने लगे। सभापति ने उन्हें बैठने को कहा इस पर सपा सदस्य लाल बिहारी यादव ने कहा ''जो उत्तर सरकार को देना चाहिए वह अगर पीठ की तरफ से दिया जाएगा तो दोनों के बीच अंतर क्या रह जाएगा।''

इस पर सभापति ने कहा ''पीठ कोई उत्तर नहीं दे रही है। आप गलत बोल रहे हैं। वह बस आपको ध्यान दिला रही है। आप पीठ पर आरोप नहीं लगा सकते। अगर आप कोई सवाल पूछना चाहते हैं तो पूछ लें।''

इस पर लाल बिहारी यादव सरकार से पूछा कि क्या वह पुरानी पेंशन योजना लागू करने पर विचार करेगी। इस पर मंत्री ने कहा कि मौजूदा पेंशन योजना बेहतर तरीके से चल रही है और सरकार पुरानी पेंशन की बहाली पर विचार नहीं करेगी।

बहरहाल, सपा सदस्य सरकार के जवाब से संतुष्ट नहीं हुए और नारेबाजी करते हुए सदन से बाहर चले गए।










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