Sawan 2024: तस्वीरों में करें 12 ज्योतिर्लिंग के दर्शन, जानिये भगवान शिव के प्रमुख स्थानों के रहस्य के बारे में

डीएन ब्यूरो

सावन शिव भक्तों के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माह है। सावन के पवित्र माह में जानें 12 ज्योतिर्लिंगों का महत्व और भगवान शिव के प्रमुख स्थानों की रहस्यमयी कहानी।

सोमनाथ मंदिर, गुजरात

सोमनाथ मंदिर को महाबाहु पुराण में 'प्रभास क्षेत्र' के रूप में उल्लेख किया गया है। सोमनाथ का नाम 'चंद्रमौलीश्वर' भी है, जिसका अर्थ है 'चंद्रमा का भगवान शिव'। यह मंदिर इतिहास में कई बार नष्ट हुआ और पुनः निर्मित हुआ है। यह स्थल अपने धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है और वैदिक काल से आज तक भक्तों का आकर्षण केंद्र रहा है।

मल्लिकार्जुन श्रीशैलम, आंध्र प्रदेश

मल्लिकार्जुन श्रीशैलम का इतिहास प्राचीन है और इसे अनेक राजा-महाराजाओं ने समर्पित किया। इस मंदिर का निर्माण चालुक्य साम्राज्य के समय में हुआ था और बाद में राजाओं द्वारा समृद्ध किया गया। यहाँ पर श्रवणबेलगोला के बाद भारत के दूसरे स्थान हैं

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग, मध्य प्रदेश

महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का इतिहास वेदिक काल में भी प्राचीन है और महाभारत काल में भी इसे महत्वपूर्ण माना गया है। महाकालेश्वर ज्योतिर्लिंग का निर्माण चंद्रगुप्त द्वितीय के शासनकाल में हुआ था। इसे पुनः बनवाया गया जब मुग़ल सम्राट अकबर ने इसे ध्वस्त कर दिया।

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग, मध्य प्रदेश

ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग का निर्माण पृथ्वीराज चौहान द्वारा 11वीं शताब्दी में किया गया था। ओंकारेश्वर ज्योतिर्लिंग का इतिहास महाभारत काल से जुड़ा हुआ है और इसे अपने पुरातात्विक और धार्मिक महत्व के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ पर विशेष रूप से महाशिवरात्रि पर भक्तों की भीड़ आती है और इसे शिवशक्ति पीठ के रूप में भी जाना जाता है।

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग को श्रीमंत बाजीराव पेशवा ने पुनः निर्माण किया था जब यह विनाशपूर्वक तबाह हो गया था। इस मंदिर का स्थान सह्याद्री पर्वत के पास है और यहाँ पर विशेष रूप से कार्तिक पूर्णिमा पर शिवरात्रि का उत्सव मनाया जाता है।

बैद्यनाथ ज्योतिर्लिंग, झारखंड

ज्योतिर्लिंग का निर्माण राजा दाक्षिणराज द्वारा किया गया था ज्योतिर्लिंग का इतिहास पुरातात्विक है और यह स्थल हिंदू धर्म के महत्वपूर्ण तीर्थ स्थलों में गिना जाता है। यहाँ पर भगवान शिव की पूजा-अर्चना विशेष रूप से कार्तिक पूर्णिमा पर की जाती है और यह धार्मिक और सांस्कृतिक उत्सव का केंद्र है।

रामनाथस्वामी ज्योतिर्लिंग, तमिलनाडु

रामनाथस्वामी ज्योतिर्लिंग का निर्माण रामायण काल में भगवान राम द्वारा किया गया था, जब वे लंका युद्ध के बाद यहाँ शिव की पूजा करने आए थे। रामनाथस्वामी ज्योतिर्लिंग को तमिलनाडु का विशेष धार्मिक स्थल माना जाता है, जहाँ भक्तों की भीड़ विशेष रूप से महाशिवरात्रि पर आती है ।

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग, गुजरात

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग का निर्माण द्वारका के महाराज नाग ने किया था। यहाँ पर विशेष रूप से श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिदिन रात्रि में ज्योतिर्लिंग पर अर्चना की जाती है और शिवरात्रि के उत्सव का महत्वपूर्ण स्थल है।

काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग, उत्तर प्रदेश

विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग के पास गंगा नदी की धारा बहती है और इसे शिव भक्तों के लिए एक पवित्र स्थल बनाती है।

त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग नासिक, महाराष्ट्र

त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग का नाम 'त्र्यंबक' उस स्थान के लिए प्रसिद्ध है जहाँ तीन अंश एक साथ मिलते हैं, अर्थात् इसे त्रियम्बक के रूप में भी जाना जाता है। यहाँ पर श्रावण मास के कृष्ण पक्ष की प्रतिदिन रात्रि में ज्योतिर्लिंग पर अर्चना की जाती है।

केदारनाथ ज्योतिर्लिंग, उत्तराखंड

केदारनाथ ज्योतिर्लिंग इसका नाम 'केदार' भगवान शिव के एक पुराने नाम से जुड़ा हुआ है। यह श्रीशंकराचार्य ने पुनः स्थापित किया था। इस मंदिर का निर्माण पांडव काल में हुआ था और इसे महाभारत काल से महत्वपूर्ण माना गया है। यहाँ पर भगवान शिव के भक्त विशेष रूप से कार्तिक पूर्णिमा पर आते हैं और इसे उत्सवी रूप से मनाया जाता है।

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग, महाराष्ट्र

घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग का नाम 'घृष्णेश्वर' भगवान शिव के एक पुराने नाम से जुड़ा हुआ है। यह ज्योतिर्लिंग प्राचीन काल में बनाया गया था और इसे चालुक्य साम्राज्य के राजाओं ने समर्पित किया था। इस मंदिर की विशेषता यह है कि यह स्थान मुख्यतः वार्षिक उत्सवों में भक्तों की भीड़ आती है, जैसे महाशिवरात्रि और कार्तिक पूर्णिमा।








संबंधित समाचार