सैट ने डार्क-फाइबर मामले में एनएसई पर जुर्माना लगाने का सेबी का आदेश पलटा

डीएन ब्यूरो

प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (सैट) ने बृहस्पतिवार को डार्क-फाइबर मामले में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) पर सात करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने का बाजार नियामक सेबी का आदेश रद्द कर दिया। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण
प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण


नयी दिल्ली:  प्रतिभूति अपीलीय न्यायाधिकरण (सैट) ने बृहस्पतिवार को डार्क-फाइबर मामले में नेशनल स्टॉक एक्सचेंज (एनएसई) पर सात करोड़ रुपये का जुर्माना लगाने का बाजार नियामक सेबी का आदेश रद्द कर दिया।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के मुताबिक इसके अलावा न्यायाधिकरण ने एनएसई के पूर्व अधिकारी आनंद सुब्रमण्यम पर पांच करोड़ रुपया जुर्माना लगाने के सेबी के आदेश को भी निरस्त कर दिया है।

इसके साथ ही एनएसई की पूर्व प्रबंध निदेशक एवं मुख्य कार्यपालक अधिकारी (सीईओ) चित्रा रामकृष्ण, पूर्व अधिकारी रवि वाराणसी और कुछ स्टॉक ब्रोकरों समेत अन्य के खिलाफ नियामकीय आदेश को भी आंशिक रूप से निरस्त किया गया है।

सैट का यह फैसला एनएसई, उसके पूर्व अधिकारियों और स्टॉक ब्रोकरों सहित 18 संस्थाओं के खिलाफ जून, 2022 में पारित सेबी के आदेश के खिलाफ दायर अपीलों पर आया है। अपीलकर्ताओं ने विभिन्न आधारों पर इस आदेश को चुनौती दी थी।

भारतीय प्रतिभूति एवं विनिमय बोर्ड (सेबी) ने अपने आदेश में पीएफयूटीपी (धोखाधड़ी और अनुचित व्यापार प्रथाओं का निषेध) नियमों के साथ अपने परिपत्रों के उल्लंघन के लिए अलग-अलग राशि का जुर्माना लगाया था। इसके अलावा प्रतिभूति अनुबंध (विनियमन) अधिनियम, 1956 (एससीआरए) के उल्लंघन पर भी जुर्माना लगाया गया था।

सेबी ने अपने आदेश में एनएसई पर सात करोड़ रुपये और रामकृष्ण, वाराणसी एवं सुब्रमण्यम पर पांच-पांच करोड़ रुपये का जुर्माना लगाया था। इसके अलावा वे2वेल्थ ब्रोकर्स, जीकेएन सिक्योरिटीज और संपर्क इंफोटेनमेंट पर भी जुर्माना लगा था।

यह मामला एनएसई में कुछ ब्रोकिंग फर्मों को अन्य फर्मों से पहले ‘डार्क फाइबर’ के रूप में दी गई कथित पहुंच से संबंधित है। इससे इन फर्मों को शेयर सौदों के लेनदेन में बढ़त मिलने का आरोप है।

अपीलीय न्यायाधिकरण ने इस मामले में सेबी का आदेश खारिज करते हुए कहा कि निर्णय देने वाले अधिकारी के आदेश में एनएसई पर लगाए गए नौ आरोपों में से सात आरोप वही थे जो पूर्णकालिक सदस्य ने दिए थे। इन सात आरोपों को सैट पहले ही खारिज कर चुका है। सैट ने एनएसई के खिलाफ दो अन्य आरोपों को भी खारिज कर दिया।

रामकृष्ण पर पीएफयूटीपी नियमों के उल्लंघन पर लगा तीन करोड़ रुपये का जुर्माना भी निरस्त कर दिया गया। सैट ने सेबी के जुर्माने को मनमाना और अत्यधिक बताते हुए एससीआरए के उल्लंघन के लिए दो करोड़ रुपये के जुर्माने को घटाकर 25 लाख रुपये कर दिया है।

इसके अलावा रवि वाराणसी पर जुर्माने की राशि कम करते हुए न्यायाधिकरण ने कहा कि पांच लाख रुपये का जुर्माना लगाया जाता है तो पर्याप्त न्याय होगा।

इसके साथ ही सैट ने रामकृष्ण को तीन साल और तीन अन्य पूर्व अधिकारियों - रवि वाराणसी, नागेंद्र कुमार और देवी प्रसाद सिंह- को दो साल के लिए किसी कंपनी में प्रबंधकीय पद पर रहने से रोकने के सेबी के निर्देश को भी रद्द कर दिया।

अगस्त में सैट ने सेबी के उस आदेश को आंशिक रूप से रद्द कर दिया था जिसमें एनएसई को डार्क-फाइबर मामले में ब्याज समेत 62.6 करोड़ रुपये वसूलने का निर्देश दिया गया था।

 










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