हरित उत्पादों जैसे क्षेत्रों में आत्मनिर्भर भारत के लिये पढ़ें व्यापार विशेषज्ञों की ये राय

डीएन ब्यूरो

भारत को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हिंद-प्रशांत आर्थिक रूपरेखा (आईपीईएफ) पर बातचीत हरित उत्पादों जैसे क्षेत्रों में आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा देने के लिये उसके घरेलू नीति विकल्पों को सीमित नहीं करे। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर

आईपीईएफ के नतीजों से भारत के घरेलू नीति विकल्प प्रभावित नहीं होने चाहिए
आईपीईएफ के नतीजों से भारत के घरेलू नीति विकल्प प्रभावित नहीं होने चाहिए


नयी दिल्ली: भारत को यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हिंद-प्रशांत आर्थिक रूपरेखा (आईपीईएफ) पर बातचीत हरित उत्पादों जैसे क्षेत्रों में आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा देने के लिये उसके घरेलू नीति विकल्पों को सीमित नहीं करे। 

हिंद-प्रशांत क्षेत्र की समृद्धि के लिये आर्थिक रूपरेखा (आईपीईएफ) अमेरिका की अगुवाई में एक पहल है। इसका मकसद 21वीं सदी की चुनौतियों से निपटने और निष्पक्ष तथा मजबूत व्यापार को बढ़ावा देने को लेकर नियमों पर बातचीत करना है। अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडन ने मई, 2022 में आईपीईएफ की शुरुआत की थी। इसके 14 सदस्य है।

आईपीईएफ के 14 भागीदारों की वैश्विक जीडीपी (सकल घरेलू उत्पाद) में 40 प्रतिशत हिस्सेदारी है और वैश्विक स्तर पर वस्तुओं तथा सेवाओं के व्यापार में 28 प्रतिशत हिस्सा है।

यह रूपरेखा व्यापार, आपूर्ति व्यवस्था, स्वच्छ और निष्पक्ष अर्थव्यवस्था के इर्द-गिर्द है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार अंतरराष्ट्रीय व्यापार विशेषज्ञ अभिजीत दास ने कहा कि आईपीईएफ बातचीत काफी गोपनीयता से हो रही है और इसके बारे में बहुत कम जानकारी सार्वजनिक मंच पर उपलब्ध है।

उन्होंने कहा कि यह सामान्य मुक्त व्यापार समझौता (एफटीए) वार्ता से अलग है, जिसमें सभी पक्ष सभी मुद्दों पर बातचीत में शामिल होते हैं।

सदस्य देशों के पास विकल्प होता है कि वे किस मामले पर बातचीत करना चाहते हैं। भारत व्यापार मामले से बाहर है, जबकि शेष तीन में शामिल है।

अबतक तीन दौर की बातचीत हो चुकी है। पिछले दौर की वार्ता 19 मार्च को हुई थी।

दास ने कहा कि आईपीईएफ के तहत नियमों का वास्तविक प्रभाव अंतिम समझौते की शर्तों और विस्तृत ब्योरे पर निर्भर करेगा। हालांकि, कई संकेत बताते हैं कि आईपीईएफ को अमेरिका ने अपनी समृद्धि के लिये तैयार किया है।

उन्होंने कहा कि विकासशील देशों के प्रतिभागियों के लिये संभवत: इसमें बहुत ज्यादा गुंजाइश नहीं है।

दास ने वाणिज्य और उद्योग मंत्री पीयूष गोयल से भारत के वार्ताकारों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश देने का आग्रह किया कि आईपीईएफ के नतीजों से डिजिटल अर्थव्यवस्था और हरित उत्पादों जैसे क्षेत्रों में आत्मनिर्भर भारत को बढ़ावा देने के उसके घरेलू नीति विकल्पों पर कोई असर नहीं पड़े।

एक अन्य व्यापार विशेषज्ञ विश्वजीत धर ने कहा कि अमेरिका ने आईपीईएफ के मसौदे के साथ आने के लिये अपनी कंपनियों से व्यापक विचार-विमर्श किया है और भारत को भी वार्ता में शामिल सभी विषयों पर विभिन्न पक्षों के साथ व्यापक स्तर पर चर्चा करनी चाहिए।










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