Punjab: भगवंत मान ने बीजेपी को लिया आड़े हाथ, जानिए संघवाद पर क्या बोले

डीएन ब्यूरो

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बृहस्पतिवार को संघवाद पर ‘हमला’ करने और विपक्षी पार्टी शासित राज्यों में ‘राज्यपालों के माध्यम से सरकार के काम में बाधा उत्पन्न करने के लिए भाजपा को आड़े हाथ लिया। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान
पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान


नयी दिल्ली: पंजाब के मुख्यमंत्री भगवंत मान ने बृहस्पतिवार को संघवाद पर ‘हमला’ करने और विपक्षी पार्टी शासित राज्यों में ‘राज्यपालों के माध्यम से सरकार के काम में बाधा उत्पन्न करने के लिए’ भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) नीत केंद्र सरकार को आड़े हाथ लिया।

उन्होंने कहा कि जनता ने जिन्हें निर्वाचित किया है, लोकतंत्र में उन्हें ही शासन करने का अधिकार है।

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डाइनामाइट न्यूज संवाददाता के अनुसार मान ने यहां केरल के मुख्यमंत्री पिनराई विजयन के नेतृत्व में वाम लोकतांत्रिक मोर्चा (एलडीएफ) के विरोध प्रदर्शन को संबोधित करते हुए कहा कि उन्हें पंजाब के लिए नीतियां बनाने के बजाय जंतर-मंतर पर आने के लिए मजबूर किया गया है।

उन्होंने कहा, ‘‘हमें अपने सचिवालयों में रहकर नीतियां बनानी चाहिए थी, लेकिन हम यहां अपने अधिकार मांगने आए हैं। देश को बचाने के लिए एकजुट रहना जरूरी है।’’

आम आदमी पार्टी (आप) नेता ने विपक्ष शासित राज्यों के राज्यपालों पर राज्य सरकारों के काम में बाधा डालने का आरोप लगाया।

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उन्होंने कहा, ‘‘ (पंजाब के) राज्यपाल ने कहा कि विधानसभा सत्र अवैध था, इसलिए हमें उच्चतम न्यायालय जाना पड़ा... भाजपा पंजाब में कहीं नहीं है। उसके पास सिर्फ दो विधायक हैं। जहां भी भाजपा मौजूद नहीं है, वहां राज्यपाल विपक्ष के रूप में कार्य करते हैं।’’

मान ने कहा, ‘‘ लोकतंत्र में जो निर्वाचित होंगे वही शासन करेंगे। आप हुक्म नहीं चला सकते। आप किसी विधेयक को रोक कर नहीं रख सकते हैं।’’

उन्होंने 30 जनवरी को हुए चंडीगढ़ महापौर चुनाव से जुड़े विवाद का भी जिक्र किया। भाजपा ने चुनाव में कांग्रेस-आप गठबंधन के खिलाफ जीत हासिल की थी।

भाजपा के मनोज सोनकर ने ‘आप’ के कुलदीप कुमार को महापौर चुनाव में हराया था। चुनाव में सोनकर को 16 मत मिले थे जबकि उनके प्रतिद्वंद्वी को 12 मत मिले थे, आठ मतों को अमान्य करार दिया गया था। विपक्षी पार्षदों ने पीठासीन अधिकारी पर मतपत्रों के साथ छेड़छाड़ करने का आरोप लगाया था जिसका भाजपा ने खंडन किया था।

मान ने आगामी लोकसभा चुनाव का संदर्भ देते हुए कहा, ‘‘आपने देखा होगा चंडीगढ़ में क्या हुआ। उन्हें 36 मतों को गिनना था लेकिन उन्होंने करीब 25 प्रतिशत मतों का घोटाला किया...मई में 90 करोड़ मतों को गिना जाना है।’’

द्रविड़ मुनेत्र कषगम (द्रमुक) के नेता तिरुचि शिवा ने तमिलनाडु के राज्यपाल पर राज्य सरकार के कामकाज में हस्तक्षेप करने का आरोप लगाया। उन्होंने कहा, ‘‘हम देश को यह अहसास कराने के लिए यहां एकत्र हुए हैं कि हम भाजपा के नेतृत्व वाली केंद्र सरकार की निरंकुशता के खिलाफ हैं।’’

उन्होंने आरोप लगाया, ‘‘राज्यों को दबाया जा रहा है, हमारे अधिकार छीने जा रहे हैं।’’

द्रमुक नेता ने आरोप लगाया कि राज्यपाल विपक्ष शासित राज्यों में ‘‘संविधानेतर और अनुचित गतिविधियों’’ में संलिप्त हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘ वे (राज्यपाल) राज्यों को कानून बनाने नहीं दे रहे हैं। तमिलनाडु में राज्यपाल ने यह काम किया है और सभी जानते हैं कि केरल के राज्यपाल क्या कर रहे हैं। क्या आपने कभी देखा है कि राज्यपाल सड़क पर धरना देने बैठे हों?’’

शिवा ने भरोसा जताया कि विपक्ष अप्रैल-मई में होने वाले लोकसभा चुनाव के बाद केंद्र में सरकार बनाएगा।

उन्होंने कहा, ‘‘द्रमुक का दो ही नारा है - राज्य की स्वायत्ता और राज्यपाल व्यवस्था की समाप्ति। 2024 का चुनाव एकमात्र अवसर है जो हमारे सामने है...उस समय तक भाजपा सरकार गिर चुकी होगी और हमारा गठबंधन सत्ता संभाल चुका होगा। अगले स्वतंत्रता दिवस पर हमारे गठबंधन का प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर पर तिरंगा फहराएगा। वह दिन दूर नहीं है।’’

नेशनल कॉन्फ्रेंस (नेकां) के अध्यक्ष फारूक अब्दुल्ला ने पूछा कि जम्मू-कश्मीर में विधानसभा चुनाव क्यों नहीं कराए जा रहे हैं। उन्होंने सवाल किया कि संविधान के अनुच्छेद 370 के प्रावधानों को निरस्त करने से क्या हासिल हुआ।

जम्मू-कश्मीर के पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, ‘‘जब उन्होंने (केंद्र ने) अनुच्छेद 370 को निरस्त किया, तो कहा कि यह आतंकवाद के लिए जिम्मेदार था। कल,(श्रीनगर में) दो निर्दोष लोगों की गोली मारकर हत्या कर दी गई।’’

अब्दुल्ला ने कहा, ‘‘आपने हमें चुनाव से वंचित कर दिया, जो संविधान के अनुसार हमारा अधिकार है। क्या हम भारत का हिस्सा नहीं हैं कि आपने हमें खुद पर शासन करने के बुनियादी अधिकार से वंचित कर दिया है? हमें हमारा संवैधानिक अधिकार दीजिए ताकि हम आगे बढ़ सकें।’’

अब्दुल्ला ने इस बात पर जोर दिया कि विपक्ष सरकार का दुश्मन नहीं है।

उन्होंने कहा, ‘‘यदि आप सशक्त भारत चाहते हैं तो विपक्ष को दुश्मन नहीं समझें। विपक्ष जरूरी है...संसद का मतलब एकतरफा नहीं है। संसद में बैठने वाले हम में से कोई भी नहीं चाहता कि भारत असफल हो।’’

पूर्व कांग्रेस नेता और राज्यसभा सदस्य कपिल सिब्बल ने चुनावी बांड योजना के बारे में बात की और आरोप लगाया कि इसके जरिये भाजपा को मिल रहे पैसे का इस्तेमाल विपक्ष शासित राज्यों की सरकारों को अस्थिर करने में किया जा रहा है।

सिब्बल ने कहा, ‘‘भाजपा ने चुनावी बांड के जरिये करीब पांच हजार करोड़ रुपये जमा किए है। उच्चतम न्यायालय में मैंने पूछा क्या, आप इसका चुनाव में इस्तेमाल करेंगे? क्योंकि सांसद चुनाव में 95 लाख रुपये से अधिक और विधायक 45 लाख से अधिक खर्च नहीं कर सकते हैं... इस राशि का इस्तेमाल तब किया जाता है जब वे विपक्षी सरकारों को अपदस्थ करते हैं।’’










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