अमृतपाल के खिलाफ कार्रवाई के दौरान हिरासत में लिए गए 348 लोग रिहा, जानिये कितनों की हई गिरफ्तारी

डीएन ब्यूरो

पंजाब सरकार ने सिखों की सर्वोच्च धार्मिक संस्था अकाल तख्त को सूचित किया है कि कट्टरपंथी उपदेशक अमृतपाल सिंह के खिलाफ पुलिस कार्रवाई के दौरान हिरासत में लिए गए 360 लोगों में से 348 को अब रिहा कर दिया गया है। पढ़िये डाइनामाइट न्यूज़ की पूरी रिपोर्ट

अमृतपाल के गिरफ्तारी के प्रयास जारी
अमृतपाल के गिरफ्तारी के प्रयास जारी


चंडीगढ़: पंजाब सरकार ने सिखों की सर्वोच्च धार्मिक संस्था अकाल तख्त को सूचित किया है कि कट्टरपंथी उपदेशक अमृतपाल सिंह के खिलाफ पुलिस कार्रवाई के दौरान हिरासत में लिए गए 360 लोगों में से 348 को अब रिहा कर दिया गया है।

अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह के निजी सचिव जसपाल सिंह ने बृहस्पतिवार को कहा कि राज्य सरकार की ओर से संदेश मिला है कि बाकी लोगों को भी जल्द रिहा कर दिया जाएगा।

इस हफ्ते की शुरुआत में अकाल तख्त के जत्थेदार ज्ञानी हरप्रीत सिंह ने पंजाब सरकार को अल्टीमेटम दिया था कि अमृतपाल सिंह और उसके सहयोगियों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई के दौरान पकड़े गए सभी सिख युवकों को रिहा कर दिया जाए।

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जत्थेदार ने पुलिस कार्रवाई के दौरान कुछ लोगों के खिलाफ राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत मामला दर्ज करने के लिए राज्य सरकार की निंदा भी की थी।

जत्थेदार के अल्टीमेटम से कुछ दिन पहले पंजाब पुलिस ने कहा था कि हिरासत में लिए गए लोगों में से करीब 30 कुख्यात अपराधी हैं जबकि शेष लोगों को जांच के बाद रिहा कर दिया जाएगा।

इस बीच, पुलिस ने अमृतसर और बठिंडा तथा उसके आस-पास के इलाकों की सुरक्षा बढ़ा दी है, क्योंकि अमृतपाल सिंह अमृतसर में स्वर्ण मंदिर अथवा बठिंडा में तख्त श्री दमदमा साहिब में प्रवेश करने के बाद आत्मसमर्पण कर सकता है।

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अमृतपाल के खिलाफ 18 मार्च को पुलिस ने कार्रवाई शुरू की थी और तभी से वह फरार है। लेकिन गत बुधवार को वह एक वीडियो में दिखा था।

नवीनतम वीडियो में, अमृतपाल सिंह अकाल तख्त के जत्थेदार से 'सरबत खालसा' (सिख समुदाय से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक सम्मेलन)आयोजित करने का आग्रह करता दिख रहा है। अमृतपाल ने समुदाय के सदस्यों से बड़ी संख्या में इसमें हिस्सा लेने को कहा।

उसने अपनी अपील में कहा, ‘‘'अगर हमें नौजवानों और पंजाब को बचाना है तो हमें सरबत खालसा का हिस्सा बनना चाहिए। हम जानते हैं कि हम किस रास्ते पर चल रहे हैं, हमें इन सबका सामना करना होगा। इसके खिलाफ आवाज उठाना हमारा कर्तव्य है।’’










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