पाकिस्तान में उठी भगत सिंह को देश का सर्वोच्च वीरता पदक देने की मांग

डीएन ब्यूरो

भगत सिंह केवल भारत के नहीं बल्कि पाकिस्तान के भी हीरो हैं। यह बात जगजाहिर है कि 24 साल की उम्र में फांसी के तख्त पर चढ़ने वाले भगत सिंह हर युवा दिल की धड़कन बने हुए हैं। पाकिस्तान में एक बार फिर शहीद-ए-आजम भगत सिंह को सर्वोच्च वीरता पदक देने मांग उठी है।

शहीद-ए-आजम भगत सिंह (फाइल फोटो)
शहीद-ए-आजम भगत सिंह (फाइल फोटो)


नई दिल्लीः भारत और पाकिस्तान कभी एक ही देश हुआ करते थे और 15 अगस्त 1947 को आजादी के साथ ही दोनों देशों का विभाजन हो गया था। अब भारत और पाकिस्तान के बीच जो तनातनी हो, वह अलग बात है। पर आजादी की लड़ाई में सहयोग देने वाले क्रांतिकारियों का सम्मान जितना भारत में है, उतना पाकिस्तान में भी और ऐसे क्रांतिकारियों में शहीद-ए-आजम भगत सिंह भा शामिल है, जिन्हें पाकिस्तान में भी भरपूर सम्मान दिया जाता है। 

निशान ए हैदर देने की मांग

पाकिस्तान में एक बार फिर से शहीद-ए-आजम भगत सिंह को देश का सर्वोच्च वीरता पदक ‘निशान ए हैदर’ दिए जाने की मांग उठाई गई है। एक संगठन ने मांग किया है कि लाहौर के शादमान चौक पर उनकी प्रतिमा लगाई जानी चाहिए जहां 86 साल पहले उन्हें फांसी दी गई थी। भगत सिंह को लेकर यह मांग उठाने वाला संगठन अदालत में स्वतंत्रता सेनानियों को निर्दोष साबित करने के लिए काम कर रहा है।

एक न्यूज एजेंसी की रिपोर्ट के मुताबिक भगत सिंह मेमोरियल फाउंडेशन ने शादमान चौक का नाम भगत सिंह चौक किए जाने की भी मांग की और कहा कि पंजाब सरकार को इसमें और विलंब नहीं करना चाहिए। संगठन का कहना है कि ‘जो देश अपने नायकों को भुला देते हैं, वे धरती की सतह से गलत शब्दों की तरह मिट गए हैं।’

हाफिज सईद के संगठन ने किया विरोध

हाफिज सईद का संगठन जमात उद दावा शादमान चौक का नाम बदलने के प्रस्ताव का कड़ा विरोध कर रहा है और उसने इस मुद्दे पर सिविल सोसाइटी के लोगों को धमकी भी दी है। बता दें कि भगत सिंह और उनके दो साथियों-राजगुरु और सुखदेव को अंग्रेजी हुकूमत के खिलाफ षड्यंत्र और ब्रिटिश पुलिस अधिकारी जॉन पी सांडर्स की हत्या के आरोप में 23 मार्च 1931 को लाहौर में फांसी दी गई थी। अब पाकिस्तान में यह मांग जोर पकड़ रही है।










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