रामपुर तिराहा गोलीकांड और सामूहिक दुष्कर्म मामले से जुड़े मूल दस्तावेज गायब, CBI ने कोर्ट से मांगी ये अनुमति

डीएन ब्यूरो

मुजफ्फरनगर जिले के करीब 29 साल पुराने रामपुर तिराहा गोलीकांड और सामूहिक बलात्‍कार मामले में केन्‍द्रीय अन्‍वेषण ब्‍यूरो (सीबीआई) ने यहां अदालत से अनुरोध किया है कि मामले में गायब हो चुके दस्तावेजों की मूल प्रति की जगह छाया प्रति से ही सुनवाई की अनुमति दी जाए। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

फाइल फोटो
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मुजफ्फरनगर: मुजफ्फरनगर जिले के करीब 29 साल पुराने रामपुर तिराहा गोलीकांड और सामूहिक बलात्‍कार मामले में केन्‍द्रीय अन्‍वेषण ब्‍यूरो (सीबीआई) ने यहां अदालत से अनुरोध किया है कि मामले में गायब हो चुके दस्तावेजों की मूल प्रति की जगह छाया प्रति से ही सुनवाई की अनुमति दी जाए। अदालत ने इस मामले में सुनवाई के लिए तीन अगस्त, बृहस्पतिवार का दिन मुकर्रर किया है।

डाइनामाइट न्यूज़ संवाददाता के अनुसार, सीबीआई के अभियोजन अधिकारी धारा सिंह ने बताया कि सीबीआई ने अदालत को सूचित किया है कि रामपुर तिराहा गोलीकांड और सामूहिक बलात्‍कार मामले में दाखिल आरोप पत्र, प्राथमिक रिपोर्ट और अन्य कागजात समेत मूल दस्तावेज गायब हैं। इसलिए सीबीआई ने अदालत में मूल दस्तावेजों की छायाप्रति से सुनवाई का अनुरोध किया है।

उन्होंने बताया कि जिला सत्र न्यायाधीश शक्ति सिंह की अदालत ने सीबीआई के अनुरोध पर इसके लिए तीन अगस्त की तारीख तय की है।

सीबीआई ने अदालत को बताया कि मामले में जांच के बाद 1996 में देहरादून में सीबीआई अदालत में अन्‍य दस्‍तावेजों के साथ आरोप पत्र दाखिल किया गया था। बाद में इस मामले की सुनवाई मुजफ्फरनगर अदालत में स्थानांतरित कर दी गयी। यहां की अदालत में 19 पूर्व पुलिसकर्मियों पर भारतीय दंड संहिता की धारा 376 डी (सामूहिक दुष्कर्म), 554 (यौन उत्पीड़न), 492 (दूरस्थ स्थान पर सेवा करने के लिए अनुबंध का उल्लंघन) समेत कई धाराओं के तहत मुकदमा चल रहा है।

गौरतलब है कि मुजफ्फरनगर जिले के रामपुर तिराहा पर करीब 29 वर्ष पहले एक और दो अक्टूबर, 1994 की दरमियानी रात उत्तराखंड को उत्तर प्रदेश से अलग राज्‍य बनाने की मांग को लेकर आंदोलनकारी ऋषिकेश से दिल्ली के लिए जा रहे थे। तभी रामपुर तिराहे पर आंदोलनकारियों की पुलिस से झड़प हो गयी। आरोप है कि इस आंदोलन में पुलिस की गोली से सात आंदोलनकारी मारे गये और आंदोलनकारी महिलाओं से पुलिसकर्मियों ने दुष्कर्म किया। मामले की जांच कर रही सीबीआई ने इस मामले में अलग-अलग आरोप पत्र दाखिल किए थे, जिसके मूल दस्तावेजों के गायब होने के बाद सीबीआई ने छाया प्रति से ही सुनवाई और गवाही शुरू करने का अनुरोध किया है।










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