New Research: नये शोध में खुलासा, यातायात प्रदूषण से लोगों में बढ़ रही डिमेंशिया की बीमारी

डीएन ब्यूरो

वैज्ञानिकों के एक नये शोध में यह बात सामने आई है कि यातायात प्रदूषण के कारण लोगों में डिमेंशिया की बीमारी बढ़ रही है। पढ़िए पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

प्रतीकात्मक छवि
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नई दिल्ली: वाहनों की संख्या के साथ बढ़ता यातायात प्रदूषण अब एक नई चुनौती के रूप में सामने आने लगा है। अब वैज्ञानिकों के एक नये शोध में यह बात सामने आई है कि यातायात प्रदूषण के कारण लोगों में डिमेंशिया की बीमारी बढ़ रही है और इससे प्रभावित होने वालों की संख्या में लगातार इजाफा हो रहा है। अब तक अनिंद्रा, तनाव, अल्जाइमर और अनियमित लाइफ स्टाइल जैसे कारण ही डिमेंशिया बीमारी के लिये जिम्मेदार माने जाते थे लेकिन अब यातायात प्रदूषण ने भी इस मोर्चे पर चिंता बढ़ा दी है।  

वैज्ञानिकों के इस नये शोध के नतीजे विश्व के प्रतिष्ठित मेडिकल जर्नल न्यूरोलॉजी में प्रकाशित किये गये हैं। वैज्ञानिकों ने पीएम 2.5 प्रदूषक कणों को केंद्रित करते हुए अपना यह नया शोध किया। अमूमन जंगल की आग,  धूल-धुंआ, बिजली संयंत्रों और औद्योगिक प्रक्रियाओं से उत्सर्जित गैसों के  कारण हवा में पीएम 2.5 का स्तर बढ़ता है लेकिन अब यातायात प्रदूषण भी इसको तेजी से बढ़ा रहा है, जो इंसानी जीवन के लिये एक नया और बड़ा खतरा बनता जा रहा है।

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इस शोध के प्रमुख लेखक और वैज्ञानिक एहसान अबोलहासानी, एमडी, एमएससी, वेस्टर्न यूनिवर्सिटी, लंदन, कनाडा कहते हैं कि जैसे-जैसे लोग लंबे समय तक जीवित रहते हैं, उनमें डिमेंशिया ( मतिभ्रम) जैसी स्थितियां अधिक सामान्य होती जा रही हैं, जिसके लिये यातायात प्रदूषण एक अहम कारक बनता जा रहा है।  इसकी रोकथाम करना और जोखिम कारकों का पता लगाना ही इस शोध का उद्देश्य रहा है। 

इस रिसर्च में मेटा-विश्लेषण के लिए शोधकर्ताओं ने 17 अध्ययनों की समीक्षा की। शोध में 40 से अधिक उम्र के प्रतिभागियों को शामिल किया गया। इस शोध से जुड़े सभी अध्ययनों में 91 मिलियन से अधिक लोग शामिल हुए। शोध के नतीजों के मुताबिक 91 मिलियन में से  5.5 मिलियन या 6 प्रतिशत लोगों में डिमेंशिया (मनोभ्रंश) की स्थिति देखी गई। ऐसी स्थिति वाले लोगों में से अधिसंख्य लोगों का यातायात व इससे जनित प्रदूषण से सीधा जुड़ाव देखा गया।

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अध्ययन यह भी बताता है कि यातायात प्रदूषण के अलावा उम्र, लिंग, धूम्रपान, शिक्षा और रहन-सहन भी किसी व्यक्ति में डिमेंशिया को विकसित कर सकता है और इसके जोखिम को बढ़ाता है।

डिमेंशिया एक ऐसी बीमारी है, जिसका प्रभाव व्यक्ति की याददाश्त पर पड़ता है। इस कारण इंसान अक्सर भ्रम की स्थिति में रहता है। वह किसी बात को भूलने जैसी कई समस्याओं से जूझता है। इस कारण नींद न आना, लगातार तनाव मसहूस करना जैसी कई समस्याएं पैदा होती हैं।










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