पहली स्टेज में कैंसर की पहचान से इससे बचने की दर 85 से 90 प्रतिशत है संभव-डॉ लेडवानी

डीएन ब्यूरो

देश में मुंह एवं गले के कैंसर के करीब 67 प्रतिशत रोगी बीमारी की बढ़ी हुई अवस्था में उपचार के लिए अस्पताल पहुंचते हैं और इस कारण इसके बचने की दर घट रही हैं। पढ़िये पूरी खबर डाइनामाइट न्यूज़ पर

कैंसर (फाइल फोटो )
कैंसर (फाइल फोटो )


जयपुर: देश में मुंह एवं गले के कैंसर के करीब 67 प्रतिशत रोगी बीमारी की बढ़ी हुई अवस्था में उपचार के लिए अस्पताल पहुंचते हैं और इस कारण इसके बचने की दर घट रही हैं लेकिन पहली स्टेज में इसकी पहचान और उपचार से इससे बचने की दर 85 से 90 प्रतिशत संभव हैं।

भगवान महावीर कैंसर हॉस्पिटल एंड रिसर्च सेंटर (बीएमसीएचआरसी) के सीनियर ऑन्को सर्जन डॉ नरेश लेडवानी ने विश्व हैड एंड नेक कैंसर डे के अवसर पर आज बताया कि नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम इंडिया की ओर से जारी एक रिपोर्ट के अनुसार देश में मुंह एवं गले के कैंसर के 66.6 रोगी बीमारी की बढ़ी हुई अवस्था में उपचार के लिए अस्पताल पहुंचते हैं वहीं राजस्थान में यह आंकडा 65 से 70 प्रतिशत है।

डॉ लेडवानी ने बताया कि कैंसर की चार स्टेज होती है। पहली स्टेज में कैंसर सरवाइवर रेट 85 से 90 फीसदी होती है वहीं दूसरी स्टेज में यह रेट 65 से 70 प्रतिशत पहुंच जाती है। तीसरी और चौथी स्टेज को एडवांस स्टेज (बढ़ी हुई अवस्था) कहा जाता हैै। इस स्तर में रोगी के बचने की दर 25 से 40 प्रतिशत ही होताी है। उन्होंने बताया कि जागरूकता की कमी और लक्षणों की अनदेखी के कारण अधिकांश रोगियों में रोग की पहचान एडवांस स्टेज में हो पाती है। जिसकी वजह से इस रोग की बचने की दर भी घट रही है।

उन्होंने बताया कि नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम इंडिया की ओर से वर्ष 2020 में जारी की गई एक एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2020 में देश 13. 92 लाख कैंसर रोगी हैं इनमें से सर्वाधिक कैंसर रोगी स्तन, फेफेड़े, मुंह, सर्विक्स और जीभ के है। रिपोर्ट में बताया गया कि मुंह एवं गले के कैंसर के 66. 6 प्रतिशत रोगी, सर्विक्स कैंसर के 60, ब्रेस्ट कैंसर के 57 प्रतिशत और पेट के कैंसर के 50 प्रतिशत रोगी बीमारी की बढ़ी हुई अवस्था में उपचार के लिए पहुंचते है।

उन्होंने बताया कि नेशनल कैंसर रजिस्ट्री प्रोग्राम के तहत बीएमसीएचआरसी में संचालित कैंसर रजिस्ट्री के अनुसार वर्ष 2021 में अस्पताल में 14979 नए कैंसर रोगी रजिस्टर्ड हुए इनमें से 27 प्रतिशत रोगी मुंह एवं गले के कैंसर के सामने आए हैं। प्रदेश के युवाओं में तेजी से बढ़ती गुटखा, तंबाकू और सिगरेट की आदत के चलते प्रदेश में हर साल हैड एंड नेक कैंसर रोगियों की संख्या में बढ़ोतरी होती जा रही है। पहले 45 की उम्र में इस रोग के रोगी सामने आते थे वहीं आज 35 वर्ष की उम्र में सैकड़ों युवा इस बीमारी की गिरफ्त मे आ चुके हैं।

उन्होंने बताया कि हैड एंड नेक कैंसर के प्रमुख कारणों में गुटखा, तंबाकू, सिगरेट, ओरल हाइजिन ना होने के साथ ही जीवन यापन में आता बदलाव है। राजस्थान में गुटखा, तंबाकू, सिगरेट की आदतों के कारण हैड एंड नेक कैंसर के रोगी अन्य कैंसर के मुकाबले अधिक है। यह रोगी जानकारी के अभाव में कैंसर के शुरूआती लक्षणों को नजर अंदाज कर देते हैं और रोग की बढ़ी हुई अवस्था में अस्ताल पहुंचते है।

बीएमसीएचआरसी के सीनियर रेडिएशन ऑन्कोलॉजिस्ट डॉ तेज प्रकाश सोनी ने बताया कि शहर के मुकाबले ग्रामीण स्तर की महिलाओं में धूम्रपान और तंबाकू की आदतों की वजह से ग्रामीण स्तर की महिलाओं में हैड एंड नेक कैंसर के मामले अधिक पाए जाते है। डा सोनी ने बताया कि अगर कैंसर के शुरूआती लक्षणों की पहचान रोगी समय पर करके चिकित्सक के पास पहुंचे तो रोगी के रोग मुक्त होने की संभावना अधिक होती है। (वार्ता)










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