Mumbai: एनसीपी कमेटी ने शरद पवार का इस्तीफा नामंजूर किया, जानिये इस नये प्रस्ताव और बैठक से जुड़ी बड़ी बातें
शरद पवार का उत्तराधिकारी चुनने के लिए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की एक समिति की बैठक ने शरद पवार का इस्तीफा नामंजूर कर दिया है। पढ़ें पूरी रिपोर्ट डाइनामाइट न्यूज़ पर
मुंबई: शरद पवार का उत्तराधिकारी चुनने के लिए राष्ट्रवादी कांग्रेस पार्टी (राकांपा) की एक समिति की अहम बैठक मुंबई में 11 बजे शुरू हुई। एनसीपी कमेटी ने शरद पवार का इस्तीफा नामंजूर कर दिया है। बैठक में प्रफुल्ल पटेल ने ये प्रस्ताव पेश किया, जिसे बैठक में स्वीकार कर लिया गया। एनसीपी कोर कमेटी की बैठक द्वारा थोड़ी देर में प्रेस कॉंफ्रेंस की जाएगी।
एनसीपी की बैठक अभी जारी है। ऑफिस के बाहर पार्टी कार्यकर्ताओं और शरद पवार के समर्थकों की भारी भीड़ है। थोड़ी देर में बैठक में लिये गये निर्णय का औपचारिक ऐलान किया जायेगा।
#Mumbai : एनसीपी कमेटी की बैठक में शरद पवार का इस्तीफा नामंजूर, बैठक जारी, ऑफिस के बाहर पार्टी कार्यकर्ताओं और समर्थकों की भीड़, थोड़ी देर में होगा बैठक में लिये गये निर्णय का औपचारिक ऐलान#SharadPawar #NCPMeeting pic.twitter.com/o7mIVtfBgO
— डाइनामाइट न्यूज़ हिंदी (@DNHindi) May 5, 2023
बता दें कि शरद पवार (82) ने मंगलवार को मुंबई में अपनी आत्मकथा ‘लोक माझे सांगाती’ के अद्यतन संस्करण के विमोचन कार्यक्रम में राकांपा प्रमुख के पद से इस्तीफा देने की घोषणा कर सभी को चौंका दिया था।
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उन्होंने अपने उत्तराधिकारी पर फैसला लेने के लिए पार्टी की एक समिति भी गठित की थी, जिसमें अजित पवार, सुप्रिया सुले, पूर्व केंद्रीय मंत्री प्रफुल्ल पटेल और छगन भुजबल शामिल हैं।
शरद पवार ने बृहस्पतिवार को कहा था कि राकांपा अध्यक्ष के पद से इस्तीफा देने का उनका फैसला पार्टी के भविष्य और नया नेतृत्व तैयार करने के लिए है। उन्होंने पार्टी कार्यकर्ताओं द्वारा लगातार अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किए जाने के बीच यह टिप्पणी की थी।
अटकलें लगाई जा रही थीं कि राकांपा नेताओं ने नाम न जाहिर करने की शर्त पर कहा कि बारामती से लोकसभा सदस्य एवं शरद पवार की बेटी सुप्रिया सुले के राष्ट्रीय अध्यक्ष का पद संभालने की संभावना है, जबकि अजित पवार को महाराष्ट्र इकाई की कमान सौंपी जा सकती है।
पार्टी नेताओं ने कहा कि 1999 में अस्तित्व में आई राकांपा की बागडोर पवार परिवार के हाथों में ही रहने की संभावना है, क्योंकि किसी और को कमान सौंपे जाने की सूरत में पार्टी में दरार पनपने और वर्चस्व की लड़ाई शुरू होने की आशंका है।
इन नेताओं ने जोर देकर कहा कि तीन बार की लोकसभा सदस्य सुले खुद को एक प्रभावी सांसद के रूप में स्थापित करने में कामयाब रही हैं और उनके विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं से अच्छे रिश्ते हैं, जबकि अजित पवार की राकांपा की प्रदेश इकाई पर अच्छी पकड़ है और उन्हें एक सक्षम प्रशासक के रूप में व्यापक स्वीकार्यता हासिल है।
इन नेताओं ने यह भी कहा कि अजित पवार ने हाल ही में महाराष्ट्र का मुख्यमंत्री बनने की अपनी ख्वाहिश उजागर की थी, जबकि सुले ने हमेशा स्पष्ट किया है कि उन्हें राष्ट्रीय राजनीति में दिलचस्पी है।
यही नहीं, राकांपा के वरिष्ठ नेता और राज्य के पूर्व मंत्री छगन भुजबल भी कह चुके हैं कि सुले को राष्ट्रीय स्तर पर पार्टी की जिम्मेदारी संभालनी चाहिए, जबकि अजित पवार को प्रदेश इकाई का नेतृत्व करना चाहिए। हालांकि, बाद में उन्होंने यह कहने में भी देरी नहीं लगाई कि यह उनकी निजी राय है।